‘वीर सावरकर’ के नाम पर JNU की सड़क होने के बाद आइशी घोष का भयंकर मातम शुरु

वीर सावरकर से ही साफ होगा जेएनयू का जहर!

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वीर सावरकर को लेकर जेएनयू के लिबरलों को फिर से मिर्ची लगी है। जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने वीर सावरकर के नाम पर बने सड़क को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। घोष ने कहा है यूनिवर्सीटी की रोड का नाम विनय दामोदर सावरकर रखा गया है जो जेएनयू के विरासत के लिए शर्म की बात है।

इस पर लेफ्ट की छात्र नेता आइशी घोष ने जेएनयू प्रशासन की कड़ी निंदा की है। आइशी घोष ने कहा है कि सुबनसीर हॉस्टल के तरफ जाने वाले रास्ते का नाम बदलकर वीडी सावरकर मार्ग रख दिया गया है। घोष ने इसको लेकर ट्वीट किया है।

आइशी ने लिखा है कि यह जेएनयू के विरासत के लिए शर्म की बात है कि ऐसे व्यक्ति के नाम पर यूनिवर्सिटी के मार्ग का नाम रखा गया है। उन्होंने कहा है कि सावरकर और उन जैसे लोगों के लिए जेएनयू में न कभी जगह था न कभी होगा।

बता दें कि जेएनयू उन कुछ विश्वविद्यालयों में शामिल है जहां अभी भी वामपंथियों का वर्चस्व है। जहां पूरी दुनिया ने मार्क्स के विचारों को नकार दिया है, वहीं जेएनयू ही एक ऐसी जगह है जहां इन वामपंथियों ने इसे जिंदा करने का ठेका लिया है।

जेएनयू में वामपंथ का कितना असर है वहां की कैंपस में जाकर देखा जा सकता है। जेएनयू की दीवारें लाल रंगों से रंग दी गई हैं। वामपंथ के नारों से दीवारों को पाट दिया गया है। सुबह-शाम लाल सलाम, लाल सलाम कॉमरेड, कश्मीर मांगे आजादी, पंजाब बोला आजादी, यूपी बोला आजादी, अरुणाचल बोला आजादी और दिल्ली बोली आजादी जैसे नारें लगना यहां आम बात है।

दीवारों पर खिलाफत 2.0, लाल किले पर लाल निशान, ब्राह्मणवाद से आजादी जैसे तमाम स्लोगनों से जेएनयू की दीवारें पटी होती हैं। हद तो तब हो गई थी जब जेएनयू के कैंपस में ”अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं,” भारत तेरे टुकड़े होंगे, संग बाजी वाली आजादी (पत्थरबाजी वाली), ‘इंडियन आर्मी को दो रगड़ा’, ‘गो इंडिया, गो बैक’, ‘कितने मकबूल मारोगे, हर घर से मकबूल निकलेगा’ जैसे देशविरोधी नारे यहां से निकलते हैं।

कुल मिलाकर जेएनयू के वामपंथी छात्र जेएनयू को अलग देश की तरह मानते हैं और खुद को वहां की सरकार। उन्हें भारत सरकार, न्याय व्यवस्था, संविधान और प्रशासन से कोई मतलब नहीं होता। इससे पहले यही आइशी घोष ने ट्वीट कर दिल्ली के दंगाइयों को हॉस्टल में शरण देने की बात कही थीं। अब सड़क के नाम को लेकर भी इनका मातम शुरु हो गया है।

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