24 फरवरी को जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भारत के दौरे पर आए थे, तो उन्होंने अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में सवा लाख लोगों को संबोधित किया था। उनकी और पीएम मोदी की इस विशाल रैली से दुनियाभर में यह संदेश गया था कि ट्रम्प भारत में भी बेहद लोकप्रिय हैं। यह उस नेरेटिव में बिलकुल भी सूट नहीं हो रहा था, जिसके तहत पश्चिमी मीडिया डोनाल्ड ट्रम्प और उनके प्रशासन पर दुनियाभर में अमेरिका की इज्ज़त को मिट्टी में मिलाने के आरोप लगाती रहती है।
भारत, भारत के लोगों और पीएम मोदी ने पश्चिमी मीडिया के सालों की मेहनत से बनाए गए ट्रम्प विरोधी एजेंडे को मात्र 1 घंटे में धराशायी कर दिया। ऐसे में पश्चिमी मीडिया का भारत और खासकर पीएम मोदी को लेकर गुस्सा जाहिर करना तो बनता ही था और दिल्ली दंगों पर मोदी-विरोधी, हिन्दू-विरोधी रिपोर्टिंग कर पश्चिमी मीडिया ने ठीक वही काम किया है।
गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित ‘नमस्ते ट्रम्प’ कार्यक्रम बेहद ही सफल कार्यक्रम रहा था जिसमें लगभग सवा लाख लोगों ने हिस्सा लिया था। दुनियाभर की मीडिया का ध्यान इस ओर गया था। यह कार्यक्रम इतना बड़ा था कि राष्ट्रपति ट्रम्प भारत दौरे के बाद भी अपनी चुनावी सभाओं में उसका ज़िक्र करना नहीं भूल रहे हैं। अभी हाल ही में दोबारा अपनी एक चुनावी सभा में ट्रम्प ने नमस्ते ट्रम्प आयोजन का जिक्र किया। ट्रम्प ने कहा “भारत में इतनी बड़ी crowd देखकर शायद अब मुझे अमेरिका में बड़ा जनसमूह देखने का उत्साह नहीं रहेगा। वहाँ सवा लाख लोगों की भीड़ जुटी थी, यहाँ उससे बेहद कम है। मैं उस जनसमूह को भी पसंद करता हूँ, मैं इस जनसमूह को भी पसंद करता हूँ”।
एक तरफ जहां डोनाल्ड ट्रम्प अपनी चुनावी रैलियों में भारत यात्रा का ज़िक्र कर अपने लिए वोट बटोरने की कोशिश कर रहे हैं, तो वहीं पूरी की पूरी पश्चिमी मीडिया दिल्ली दंगों की आड़ में ट्रम्प के भारत दौरे की नकारात्मक छवि पेश करने की कोशिश कर रही है, और इसके लिए वह झूठी खबर फैलाने से भी बाज़ नहीं आ रही है।
उदाहरण के तौर पर अमेरिका के एक मशहूर अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल में अंकित शर्मा की मौत से जुड़ा एक झूठा दावा किया गया था। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में अंकित शर्मा के भाई के साथ फोन पर हुई बातचीत के हवाले से लिखा था कि अंकित शर्मा की हत्या जिस भीड़ ने की वो जय श्री राम के नारे लगा रही थी लेकिन अंकित शर्मा के भाई ने इस बात से साफ इनकार किया है।
अंकित शर्मा के भाई का दावा है कि ये हत्या आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन के इशारे पर की गई थी। दिल्ली के दंगों में मारे गए लोगों का संबंध हिन्दू धर्म से भी है और मुस्लिम धर्म से भी, दोनों ही समुदाय के लोग इस दंगे से पीड़ित हुए हैं, लेकिन तमाम पश्चिमी मीडिया में इन दंगो को सिर्फ मुस्लिम विरोधी बताया जा रहा है और इसे मुस्लिम विरोधी हिंसा के तौर पर प्रोजेक्ट किया जा रहा है।
इसका एक और उदाहरण आप दिल्ली दंगों पर न्यू यॉर्क टाइम्स की कवरेज के रूप में दिख जाएगा। इस अखबार ने दिल्ली पुलिस पर मुस्लिमों के खिलाफ पक्षपाती रवैया रखने का आरोप लगा डाला, और इसके साथ ही कहा कि दिल्ली पुलिस इस दंगे से निपटने में असफल रही।
इसी अखबार में आगे लिखा है कि पीएम मोदी की हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी के एक नेता (कपिल मिश्रा) को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है जबकि दिल्ली में दंगे भड़काने में उसी के भड़काऊ भाषणों का सबसे बड़ा योगदान था।
पश्चिमी मीडिया जब भी पीएम मोदी या BJP का ज़िक्र करती है, तो उनके नाम के साथ हिन्दू राष्ट्रवादी शब्द जोड़ना कभी नहीं भूलती। इसके माध्यम से पढ़ने वाले के मन में भारत और हिन्दुओं के बारे में नकारात्मक सोच पैदा करने की कोशिश की जाती है और पीएम मोदी और उनकी पार्टी को कट्टरवाद से जोड़कर दिखाने का प्रयास किया जाता है।
पश्चिमी मीडिया के ट्रम्प विरोधी और वामपंथी एजेंडे के एजेंडे को जिस तरह भारत और पीएम मोदी ने कुछ घंटों में तहस-नहस कर दिया, उसी का नतीजा है कि अब भारत के खिलाफ पूरी वैश्विक लिबरल मीडिया में लेख देखने को मिल रहे हैं। दुनिया की तमाम मीडिया अब दिल्ली दंगों को आड़ बनाकर पीएम मोदी को बदनाम करने की साजिश रच रही है और इसीलिए ट्रम्प के भारत दौरे के साथ दिल्ली दंगों को जोड़कर ट्रम्प और पीएम मोदी की नकारात्मक छवि पेश करने की कोशिश की जा रही है।