मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार समेत कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस से नाराज चल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की है। इस मुलाकात के बाद पार्टी से इस्तीफे के बाद अब तय माना जा रहा है कि सिंधिया भाजपा सरकार को समर्थन देने जा रहे हैं या फिर भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
Jyotiraditya Scindia's office staff leaves after handing over a hard copy of his resignation at Congress President Sonia Gandhi's residence https://t.co/NpsGIvfmJR pic.twitter.com/hO2WhjZGov
— ANI (@ANI) March 10, 2020
भाजपा सूत्रों ने बताया है कि सिंधिया भोपाल में भाजपा की बैठक में भी शामिल हो सकते हैं। सरकार और पार्टी में उनकी और उनके समर्थक विधायकों की क्या भूमिका होगी, यह तय कर लिया गया है। सिंधिया ने इस्तीफे से पहले दो शर्तें रखीं थी । पहली उन्हें पार्टी की तरफ से राज्यसभा भेज जाए और दूसरी मध्य प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष पद दिया जाये।
पर उनकी मांग को नजरअंदाज किया गया जिसके बाद 18 अन्य विधायकों के साथ उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के बाद सूत्रों ने बताया है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को भाजपा पार्टी में शामिल भी किया जा सकता है। भाजपा इस बात को लेकर आश्वस्त है कि अगले दो-तीन दोनों में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी।
माना जा रहा है कि कांग्रेस के बागी विधायक विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भेज दिया है और अब विधायकों की संख्या 20 हो गयी है। यानी अगर ऐसा होता है तो कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी और इसके बाद शिवराज सिंह चौहान सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। माना जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजे जाने के साथ ही उनके कुछ समर्थक विधायकों को मंत्री पद भी दिया जा सकता है।
बता दें कि मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीटें हैं। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं, जबकि सरकार बनाने का जादुई आंकड़ा 115 है। कांग्रेस को चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एक समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक का समर्थन हासिल है। इस तरह कांग्रेस के पास कुल 121 विधायकों का समर्थन है। वहीं भाजपा के पास 107 विधायक हैं।