Corona से मरने वाले गैर हिंदुओं को जलाओ मत, जमीन में दफनाओ’ NCP के फैसले से Corona भयंकर रूप ले सकता है

WHO, AIIMS की सलाह से ऊपर है NCP का मजहबी प्रेम!

नवाब मलिक, दाह संस्कार, कोरोना, बीएमसी

कहते हैं, चोर चोरी से जाये हेरा फेरी से न जाये। वुहान वायरस के मामले में महाराष्ट्र सरकार फिर से एक बार चर्चा के केंद्र में आई है, पर यहां की सरकार के लिए छद्म धर्मनिरपेक्षता ही सर्वोपरि है। अभी हाल ही में बीएमसी ने एक दिशानिर्देश जारी किया था, जिसमें वुहान वायरस से मृत पाये जाने वाले हर व्यक्ति का दाह संस्कार किया जाएगा, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, परंतु एनसीपी के हस्तक्षेप के बाद ये निर्देश हटा लिया गया है।

कल बीएमसी प्रमुख प्रवीण परदेशी ने बताया, “वुहान वायरस से मरने वाले हर व्यक्ति का दाह संस्कार होगा। दाह संस्कार के अलावा कोई और तरीका नहीं अपनाया जाएगा। दाह संस्कार में 5 से ज़्यादा लोग शामिल नहीं होंगे”।

बता दें कि वुहान वायरस के कारण भारत में 1300 से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिसमें 210 से ज़्यादा मामले अकेले महाराष्ट्र से सामने आए हैं। संक्रमण के असर को देखते हुए बीएमसी ने एक स्वागत योग्य निर्णय लिया था। परंतु रात होते-होते एनसीपी के नेता और राज्य में कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक ने ट्वीट किया, “बीएमसी का पुराना सर्कुलर हटा लिया गया है। अब मृत मरीजों का उनकी आस्था के अनुसार अंतिम संस्कार होगा।”।

विडम्बना तो देखिये, जिसकी बीएमसी में 10 सीटें भी नहीं है, वो मुंबई के लिए निर्णय ले रहा है और दूसरों को दिशा निर्देश भी दे रहा है। लगता है उद्धव ठाकरे ने सत्ता के खातिर अपने आत्मसम्मान और महाराष्ट्र की सुरक्षा की बलि चढ़ा देने का निर्णय भी ले लिया है। इस निर्णय से यह भी स्पष्ट होता है की महाराष्ट्र के सीएम भले ही उद्धव ठाकरे हों, पर असल मालिक तो शरद पवार और उनकी एनसीपी ही है।

इससे ज़्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि एक महामारी के समय भी महाराष्ट्र सरकार को अपने एजेंडे की पड़ी है। स्वयं WHO तक को वुहान वायरस से मृत पाये गए व्यक्तियों को दफन करने के लिए सख्त दिशा निर्देश जारी करने पड़े हैं।

AIIMS के दिशानिर्देश के अनुसार वुहान वायरस से मृत मरीजों के अंतिम संस्कार के लिए या तो इलेक्ट्रिक या फिर सीएनजी संचालित दाहगृह का प्रयोग होना चाहिए। यदि मृत शरीर को दफनाना है, तो परिवारजनों को यह सुनिश्चित करना होगा कि मृत शरीर एक मोटे, एयरटाइट ताबूत में दफनाया जाये।

हाल ही में शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी कहते हैं,  यदि एक मुसलमान इस महामारी के कारण मारा जाता है, तो उसके शव को विद्युत दाहगृह में जला दें, ताकि इस वायरस का असर खत्म हो जाये”।

जब वसीम रिजवी जैसे व्यक्ति तक वुहान वायरस के दुष्परिणामों को समझ गए हैं, तो आखिर महाराष्ट्र में उद्धव सरकार को बीएमसी के दिशानिर्देश से क्या समस्या है? मुंबई से जो कोई भी परिचित है, उसे स्पष्ट पता है कि कैसे नियमों की आए दिन धज्जियां उड़ाई जाती है। ऐसे में भला मृत शरीर को दफनाने में WHO के दिशानिर्देश का कोई पालन भला क्यों करेगा? परंतु महा विकास अघाड़ी को अपने कुत्सित एजेंडा के अलावा कुछ नहीं दिखाई देता, और न ही सुनाई देता है, जिसके दुष्परिणाम महाराष्ट्र को भुगतने पड़ रहे हैं।

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