दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हाल ऐसा हो गया है कि वे न घर के रहे न घाट के। यदि काम करो तो मुसीबत, और न करो तो भी मुसीबत। जनाब ने हाल ही में आईबी अफसर अंकित शर्मा के परिवार की सहायता के लिए 1 करोड़ रुपए के मुआवजे की घोषणा की, और ट्वीट किया-
“अंकित शर्मा IB के जांबाज़ अधिकारी थे। दंगो में उनका नृशंस तरीक़े से क़त्ल कर दिया गया। देश को उन पर नाज़ है। दिल्ली सरकार ने तय किया है कि उनके परिवार को 1 करोड़ की सम्मान राशि और उनके परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देंगे। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें”।
अंकित शर्मा IB के जाँबाज़ अधिकारी थे। दंगो में उनका नृशंस तरीक़े से क़त्ल कर दिया गया। देश को उन पर नाज़ है। दिल्ली सरकार ने तय किया है कि उनके परिवार को 1 करोड़ की सम्मान राशि और उनके परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देंगे। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 2, 2020
पर इस ट्वीट से उनके लिबरल शुभचिंतकों एवं कट्टरपंथियों के छाती पर मानो सांप लोटने लगा, और वे ऐसे react करने लगे मानो केजरीवाल ने उनकी पीठ में छुरा घोंप दिया हो।
लिबरलों के चलते-फिरते अपशब्दों के शब्दकोश श्री श्री अशोक स्वेन ने अधिक शब्द न खर्च करते हुए केजरीवाल को ‘मोदी बिन गाय’ की संज्ञा दे दी। कम शब्दों में लिखकर अपनी बेइज्जती करवाना कोई इनसे सीखे।
https://twitter.com/ashoswai/status/1234432466607386624
परंतु केजरीवाल को संघी बनाने का अभियान यहीं पर नहीं रुका। कर्नाटक के कांग्रेस आईटी सेल प्रमुख श्रीवत्स ने अपना निजी दर्द ट्विटर पर साझा करते हुए ट्वीट किया,–
‘’उस फैजान का क्या, जिसे दिल्ली पुलिस ने ‘लाठी से पीट–पीट कर मार डाला?’ बाकी के 40 पीड़ित परिवारों को यूँ ही छोड़ दिया गया है। अंकित शर्मा का परिवार इतना मुआवजा डिजर्व करता है लेकिन बाकियों का क्या? आप मौतों को बांट रहे हैं। सभी जिंदगियां बराबर हैं।
What about Faizan who died after being shot and then beaten by Delhi Police?
What about the remaining 40 or so victims?
Family of Ankit Sharma deserves as much compensation as the state can give but so do the others.
All lives are equal Kejriwal. Don't divide the dead also. https://t.co/9HHjSBGZtw
— Srivatsa (@srivatsayb) March 2, 2020
एक अन्य यूज़र ने श्रीवत्स को दिए उत्तर में केजरीवाल के ‘ढोंगी’ बताते हुए लिखा-
“आंदोलन से निकली हुई पार्टी का नेता, जिसके लिए जमीन पर बैठा हुआ हर व्यक्ति बराबर था, आज उसने भी लोगों के बीच में दरार डालना शुरू कर दिया। आखिर क्यों कई दिग्गजों ने आम आदमी पार्टी को छोड़ा? शायद इसलिए ही”
https://twitter.com/abhishek_rising/status/1234423095957622784
इतना ही नहीं, लालू प्रसाद यादव नामक एक पैरोडी अकाउंट ने ट्वीट करते हुए यहां तक कह डाला, “संघी केजरीवाल का खाकी स्वरूप दिख गया है” –
संघी अरविंद केजरीवाल का आखिर खाकी चड्डी दिख ही गया
Well played 👏👏
— Lalu Prasad Yadav (Parody) (@ModiLeDubega) March 2, 2020
अब केजरीवाल के प्रति इतना विष कोई नई बात है, आखिर लिबरलों के आंखों के तारे और जेएनयू के राज दुलारे पर केजरीवाल सरकार ने मुकदमा जो चलाया है।
अरविंद केजरीवाल अब ऐसे नेता बन गए हैं, जिन्हें दक्षिणपंथ और वामपंथ, दोनों ही जगह से आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। एक ओर जहां उन्हें ताहिर हुसैन, अब्दुल रहमान और अमानतुल्लाह खान जैसे दंगाइयों को शह देने के लिए आड़े हाथों लिया जा रहा है, तो वहीं अंकित शर्मा को मुआवजा देने और कन्हैया कुमार के विरुद्ध मुकदमा चलाने की स्वीकृति देने के लिए वामपंथी अब केजरीवाल की बैंड बजाने पर तुले हुए हैं।
अभी हाल ही में केजरीवाल सरकार ने कन्हैया कुमार के खिलाफ जेएनयू कैम्पस में ‘देशद्रोही नारे’ लगाने के संबंध में मुकदमा चलाने की स्वीकृति दे दी है। परंतु इसने मानो लिबरल बुद्धिजीवियों और कन्हैया के कई समर्थकों को हृदयाघात दे दिया। बौखलाहट में सभी अरविंद केजरीवाल को बिका हुआ, तो कुछ महोदय दो कदम आगे बढ़कर केजरीवाल को भाजपा का एजेंट ही घोषित कर दिया। उदाहरण के लिए अनुराग कश्यप के इस ट्वीट को देख लीजिए, जहां वे कहते है-
“महाशय अरविंद केजरीवाल जी, आप को क्या कहें। spineless तो कॉम्प्लिमेंट है, आप तो हो ही नहीं, AAP तो है ही नहीं, कितने में बिके?”
Mahashay @ArvindKejriwal ji.. aap ko kya kahein .. spineless toh compliment hai .. aap to ho hi nahin .. AAP to hai hi nahin .. कितने में बिके ? https://t.co/nSTfmm0H8r
— Anurag Kashyap (@anuragkashyap72) February 28, 2020
अनुराग कश्यप की ट्वीट के बाद सभी लिबरल जाग गए और दिल्ली के सीएम के खिलाफ ट्वीट करने लगे। केजरीवाल के जीत का जश्न मनाने वाले कांग्रेसी नेता और भ्रष्टाचार के आरोपी पी. चिदंबरम ने भी उन पर सवाल किया। चिद्दी राजा ने लिखा-
“केंद्र सरकार की तरह ही दिल्ली सरकार भी कन्हैया कुमार को लेकर बिल्कुल भी सजग नहीं है। मैं दिल्ली सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करता हूँ”।
Delhi Government is no less ill-informed than the central government in its understanding of sedition law.
I strongly disapprove of the sanction granted to prosecute Mr Kanhaiya Kumar and others for alleged offences under sections 124A and 120B of IPC.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 29, 2020
जब केजरीवाल ने फिर से बहुमत हासिल करते हुए सत्ता प्राप्त की, तो वामपंथी बिरादरी ने एक सुर में इसे भाजपा के नफरत की हार बताते हुए केजरीवाल को सिर आंखों पर बैठा लिया। परंतु जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने वामपंथी बुद्धिजीवियों को लात मारी है, उसका दर्द वे अभी तक नहीं भुला पाये हैं, और बौखलाहट में वे केजरीवाल को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
इतना ही नहीं जिस केजरीवाल को कल तक यही वामपंथी भविष्य के पीएम के तौर पर देखते थे आज केजरीवाल द्वारा लात खाने के बाद चारों तरफ चित्कार मार रहे हैं ऐसा लगता है कि ये लोग अब अनाथ हो चुके हैं।