‘ये हमारा नेता नहीं है’ केजरीवाल के यू-टर्न लेते ही लिबरलों और इस्लामिकों में भयंकर मातम

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हाल ऐसा हो गया है कि वे न घर के रहे न घाट के। यदि काम करो तो मुसीबत, और न करो तो भी मुसीबत। जनाब ने हाल ही में आईबी अफसर अंकित शर्मा के परिवार की सहायता के लिए 1 करोड़ रुपए के मुआवजे की घोषणा की, और ट्वीट किया-

“अंकित शर्मा IB के जांबाज़ अधिकारी थे। दंगो में उनका नृशंस तरीक़े से क़त्ल कर दिया गया। देश को उन पर नाज़ है। दिल्ली सरकार ने तय किया है कि उनके परिवार को 1 करोड़ की सम्मान राशि और उनके परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देंगे। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें”।

पर इस ट्वीट से उनके लिबरल शुभचिंतकों एवं कट्टरपंथियों के छाती पर मानो सांप लोटने लगा, और वे ऐसे react करने लगे मानो केजरीवाल ने उनकी पीठ में छुरा घोंप दिया हो।

लिबरलों के चलते-फिरते अपशब्दों के शब्दकोश श्री श्री अशोक स्वेन ने अधिक शब्द न खर्च करते हुए केजरीवाल को ‘मोदी बिन गाय’ की संज्ञा दे दी। कम शब्दों में लिखकर अपनी बेइज्जती करवाना कोई इनसे सीखे।

https://twitter.com/ashoswai/status/1234432466607386624

परंतु केजरीवाल को संघी बनाने का अभियान यहीं पर नहीं रुका। कर्नाटक के कांग्रेस आईटी सेल प्रमुख श्रीवत्स ने अपना निजी दर्द ट्विटर पर साझा करते हुए ट्वीट किया,

‘’उस फैजान का क्या, जिसे दिल्ली पुलिस नेलाठी से पीटपीट कर मार डाला?’ बाकी के 40 पीड़ित परिवारों को यूँ ही छोड़ दिया गया है। अंकित शर्मा का परिवार इतना मुआवजा डिजर्व करता है लेकिन बाकियों का क्या? आप मौतों को बांट रहे हैं। सभी जिंदगियां बराबर हैं।

एक अन्य यूज़र ने श्रीवत्स को दिए उत्तर में केजरीवाल के ‘ढोंगी’ बताते हुए लिखा-

“आंदोलन से निकली हुई पार्टी का नेता, जिसके लिए जमीन पर बैठा हुआ हर व्यक्ति बराबर था, आज उसने भी लोगों के बीच में दरार डालना शुरू कर दिया। आखिर क्यों कई दिग्गजों ने आम आदमी पार्टी को छोड़ा? शायद इसलिए ही”

https://twitter.com/abhishek_rising/status/1234423095957622784

इतना ही नहीं, लालू प्रसाद यादव नामक एक पैरोडी अकाउंट ने ट्वीट करते हुए यहां तक कह डाला, “संघी केजरीवाल का खाकी स्वरूप दिख गया है” –

अब केजरीवाल के प्रति इतना विष कोई नई बात है, आखिर लिबरलों के आंखों के तारे और जेएनयू के राज दुलारे पर केजरीवाल सरकार ने मुकदमा जो चलाया है।

अरविंद केजरीवाल अब ऐसे नेता बन गए हैं, जिन्हें दक्षिणपंथ और वामपंथ, दोनों ही जगह से आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। एक ओर जहां उन्हें ताहिर हुसैन, अब्दुल रहमान और अमानतुल्लाह खान जैसे दंगाइयों को शह देने के लिए आड़े हाथों लिया जा रहा है, तो वहीं अंकित शर्मा को मुआवजा देने और कन्हैया कुमार के विरुद्ध मुकदमा चलाने की स्वीकृति देने के लिए वामपंथी अब केजरीवाल की बैंड बजाने पर तुले हुए हैं।

अभी हाल ही में केजरीवाल सरकार ने कन्हैया कुमार के खिलाफ जेएनयू कैम्पस में ‘देशद्रोही नारे’ लगाने के संबंध में मुकदमा चलाने की स्वीकृति दे दी है। परंतु इसने मानो लिबरल बुद्धिजीवियों और कन्हैया के कई समर्थकों को हृदयाघात दे दिया। बौखलाहट में सभी अरविंद केजरीवाल को बिका हुआ, तो कुछ महोदय दो कदम आगे बढ़कर केजरीवाल को भाजपा का एजेंट ही घोषित कर दिया। उदाहरण के लिए अनुराग कश्यप के इस ट्वीट को देख लीजिए, जहां वे कहते है-

“महाशय अरविंद केजरीवाल जी, आप को क्या कहें। spineless तो कॉम्प्लिमेंट है, आप तो हो ही नहीं, AAP तो है ही नहीं, कितने में बिके?”

अनुराग कश्यप की ट्वीट के बाद सभी लिबरल जाग गए और दिल्ली के सीएम के खिलाफ ट्वीट करने लगे। केजरीवाल के जीत का जश्न मनाने वाले कांग्रेसी नेता और भ्रष्टाचार के आरोपी पी. चिदंबरम ने भी उन पर सवाल किया। चिद्दी राजा ने लिखा-

“केंद्र सरकार की तरह ही दिल्ली सरकार भी कन्हैया कुमार को लेकर बिल्कुल भी सजग नहीं है। मैं दिल्ली सरकार के इस फैसले का कड़ा विरोध करता हूँ”।

जब केजरीवाल ने फिर से बहुमत हासिल करते हुए सत्ता प्राप्त की, तो वामपंथी बिरादरी ने एक सुर में इसे भाजपा के नफरत की हार बताते हुए केजरीवाल को सिर आंखों पर बैठा लिया। परंतु जिस तरह से अरविंद केजरीवाल ने वामपंथी बुद्धिजीवियों को लात मारी है, उसका दर्द वे अभी तक नहीं भुला पाये हैं, और बौखलाहट में वे केजरीवाल को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

इतना ही नहीं जिस केजरीवाल को कल तक यही वामपंथी भविष्य के पीएम के तौर पर देखते थे आज केजरीवाल द्वारा लात खाने के बाद चारों तरफ चित्कार मार रहे हैं ऐसा लगता है कि ये लोग अब अनाथ हो चुके हैं।

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