“थाली पीटने से कोरोना नहीं भागेगा” कहने वाले अमेरिकी प्रोफेसर की Rahul Kanwal और मानक गुप्ता ने वाट लगा दी

स्टीव हैंकी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आप में एक उत्कृष्ट जन नेता है, और इसका सबसे बड़ा उदाहरण रविवार को  देखने को मिला था, जब जनता कर्फ्यू एक अप्रत्याशित सफलता के रूप में उभरा। वुहान वायरस से लड़ने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए धर्म, क्षेत्र, जात पात, कुछ मायने नहीं रखा गया, और कारगिल से लेकर चेन्नई तक, मिज़ोरम से लेकर गुजरात तक, सब जगह शंखनाद से लेकर, घंटियां, तालियां और थालियां सब एक साथ बजाई गई। परन्तु जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीव हैंकी ने पीएम मोदी की इस नीति का बेहद भद्दा मज़ाक उड़ाया तो देश की जनता ने स्टीव को आड़े हाथों लिया।

दरअसल, जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीव हैंकी ने ट्वीट कर कहा था कि,पीएम मोदी को लगता है थाली बजाने से कोरोना वायरस भाग जाएगा। परंतु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। विज्ञान और तर्क इसका समर्थन बिल्कुल भी नहीं करेगा”।

इसके बाद भारत के लोगों ने स्टीव को तगड़ा जवाब दिया। हैरानी तो तब हुई जब राहुल कंवल ने ट्वीट कर कहा, “स्टीव जी, नरेंद्र मोदी जी ने कभी नहीं कहा कि थाली बजाने से कोरोना वायरस भाग जाता है। काश कुछ बड़े यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर वॉट्सएप यूनिवर्सिटी की अफवाहों को बढ़ाने से अच्छा अपने स्वयं के कुछ बुनियादी शोध पर ध्यान देते”।

राइट के हो या लेफ्ट के सभी इस मामले में एकजुट दिखे। पत्रकार मानक गुप्ता ने स्टीव को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “आप जैसे व्यक्ति ऐसा सोच भी कैसे सकते हैं? आपने मोदीजी की स्पीच को सुना भी है? उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि ताली या थाली बजाना हमारे देश के स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त करने हेतु है” –

 

सर्वप्रथम तो स्टीव हैंकी को बता दें कि पीएम मोदी ने ताली और थाली की बात की राष्ट्र में वुहान वायरस से रक्षा करने में लगे हमारे डॉक्टर, सफाई कर्मचारी और सैनिकों के अभिवादन हेतु कहा था। कहीं भी उन्होंने ये नहीं कहा कि इससे वुहान वायरस भाग जाएगा।

परन्तु स्टीव हैंकी यहीं पर नहीं रुके। कारवां मैग्जीन के एक घटिया लेख को शेयर करते हुए जनाब ने ट्वीट किया, नरेंद्र मोदी को सिर्फ PR स्टंट से मतलब है। कोरोना वायरस पर उसका रिस्पॉन्स एक्सपेक्टेड है – कोई ट्रांसपेरेंसी नहीं और टेस्टिंग में बहुत लापरवाही बरती जा रही है। गुजरात का कसाई जल्द ही भारत का कसाई बनेगा”

ये शर्मनाक है कि जहां विश्व को इस घातक महामारी से लड़ने में प्रोत्साहन देना चाहिए, तो वहीं स्टीव हैंकी जैसे लोग उल्टे भारत को ही दोषी बनाने पर तुले हुए हैं। जबकि स्वयं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन कह रहा है कि भारत वुहान वायरस से लड़ने में दुनिया को राह दिखाए।

हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब किसी विदेशी बुद्धिजीवी ने वुहान वायरस के मुद्दे पर भारत विरोधी बात की हो। अभी कुछ ही दिन पहले बीबीसी ने एक कथित डॉक्टर के हवाले से कहा था कि भारत में तीस करोड़ केस होने का खतरा है। ये अलग बात थी कि वह डॉक्टर वास्तव में एक अर्थशास्त्री था, जिसने अपनी बात को उचित ठहराने के लिए अमेरिका और यूके का उदाहरण लिया, जहां पर टेस्टिंग भारत के मुकाबले बहुत कम हुई थी। प्रोफेसर स्टीव जैसे प्रोपेगैंडा फैलाने वाले लोग अभी भी भारत को विलेन बनाने पर तुले हुए हैं, पर अब सब जानते हैं कि कौन वास्तव में हीरो है और कौन नहीं। आखिर बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।

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