कोरोना वायरस अब पूरी दुनिया के साथ भारत में भी अपना पैर तेजी से फैलाता जा रहा है। भारत में कोरोना वायरस से अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 700 से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। गुरुवार को भारत में कोरोनावायरस से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। वहीं, गुरुवार को ही देशभर में कोरोनावायरस के 71 से भी ज्यादा मामले मिले हैं। ऐसे में राजस्थान के भीलवाड़ा में कोरोना वायरस के तेजी से मामले सामने आ रहे हैं।
राजस्थान में अब तक कोरोना वायरस के 45 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें 21 कोरोना पॉज़िटिव मामले अकेले भीलवाड़ा ज़िले से हैं। राज्य में कोरोना संक्रमण से पहली मौत भी गुरुवार को भीलवाड़ा में ही हुई थी। इसके बाद गुरुवार रात ही एक अन्य शख़्स की मौत भी कोरोना संक्रमण की वजह बताई जा रही है। राजस्थान में चार शहर ऐसे हो गए हैं, जिनमें कोरोना का कम्यूनिटी इंफेक्शन का खतरा बढ़ गया है।
अब सवाल यहां यह उठता है कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार आखिर कर क्या रही है और पिछले 20 दिनों में ऐसा क्या हुआ जिससे भीलवाड़ा में इस संक्रमण के फैलने का दर इटली और वुहान की तरह हो गया है? उससे भी बड़ा सवाल यह है कि आखिर राजस्थान में कोरोना ने एंट्री कैसे ली?
17 मार्च को बांगड़ अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक व वरिष्ठ फिजीशियन एक अन्य चिकित्सक व छह नर्सिंगकर्मी अचानक महात्मा गांधी अस्पताल में आकर भर्ती हो जाते हैं। 20 मार्च को आई इनकी रिपोर्ट में चार कोरोना संक्रमित पाए जाते हैं। यह सिलसिला बढ़ता गया और छह दिन में यहां रोगी बढ़कर चार से 17 हो गए।
सबसे खास बात यह है कि अब तक जो 17 रोगी हैं इनमें से 15 तो ऐसे हैं जो बांगड़ अस्पताल से ही जुड़े हुए हैं। लेकिन उनमें यह कोरोना कैसे आया इस सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है। आखिर राज्य सरकार अभी तक चुप्पी क्यों साधे हुए है। जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग को भी नहीं पता कि आखिर यह कोरोना वायरस का संक्रमण शहर में आया कैसे।
भीलवाड़ा को लेकर स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने कहा कि, “भीलवाड़ा में सब गड़बड़ी एक निजी अस्पताल की है। उसी से संक्रमण फैला है। हम भीलवाड़ा के 18.5 लाख लोगों का सर्वे करवा चुक हैं। 11 हजार संदिग्ध हैं। जिले से बाहर भागे लोगों को भी ट्रेस करवा रहे हैं। भीलवाड़ा के सीएमएचओ और उनकी टीम बहुत मेहनत कर रही हैं। 332 दल लगा रखे हैं। वहां ही सबसे अधिक कम्यूनिटी स्प्रेड का खतरा है।”
भीलवाड़ा की सीमाएं एक सप्ताह से सील है, इसके बावजूद लोग कोरोना के खौफ के कारण बड़ी संख्या में भागकर दूसरे जिलों में जा चुके हैं, उनसे भी कम्यूनिटी इंफेक्शन का खतरा है।
इस पूरे जिले में कम्यूनिटी इंफेक्शन की जड़ भीलवाड़ा का बांगड़ अस्पताल है। इसके डॉक्टर मित्तल को पता चल गया था कि कोरोना इंफेक्शन फैल रहा है, फिर भी ओपीडी संक्रमित होने के बावजूद 7 हजार लोगों को डाक्टरों के संपर्क में आने दिया। यह कुल 86 बेड का अस्पताल है और उससे ज्यादा मरीज भर्ती करते रहे हैं। इस कारण इंफेक्शन एक से दूसरे में फैलता गया। हालात ऐसे बन गए कि सिटी के 77 हजार घरों का तीसरी बार सर्वे करना पड़ रहा है। 650 को आइसोलेशन में लेकर सैंपलिंग की जा रही। 149 मरीज हाई रिस्क पर हैं। 133 विदेश से आए हैं।
कनिका कपूर (Kanika Kapoor) का मामला मीडिया में हाईलाइट हो रहा है मगर इस देश में कई सारे कनिका कपूर हैं जिन्होंने लाखों लोगों की जिंदगी दांव पर लगा दी है। यहाँ पर सबसे बड़ी गलती राजस्थान सरकार की है जिसने इतने मामले होने के बाद भी देर से सख्त कदम उठाए और केंद्र सरकार पर ही निर्भर रहा। राजस्थान जैसे टूरिस्ट जगह पर जब इटली का पहला मामला आया तभी कड़े कदम उठाने चाहिए थे। पहली गलती करने के बाद भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। स्पेन, इटली और सऊदी से नागरिक आते रहे लेकिन सरकार मौन रही। जिसके बाद हालात तेजी के साथ बिगड़ते गए।
राज्य सरकार को अपने संसाधनों का प्रयोग करके यह पता लगाना चाहिए था लोग यूरोपीय देशों से आकर किन-किन शहरों में रह रहे हैं। भीलवाड़ा में मामले तेजी के साथ बढ़ रहे हैं ऐसे में केंद्र सरकार को चाहिए कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार को कड़ी फटकार लगाए और साथ में ही सख्त से सख्त एक्शन लेने को कहे वरना वह दिन दूर नहीं होगा जब भीलवाड़ा में वुहान या इटली जैसे हालात होंगे।
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस पार्टी ध्यान देने के बजाय पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साध रहे हें। दिसंबर महीने में ही राजस्थान के एक सरकारी अस्पताल में 99 मासूमों की जान इलाज के दौरान चली गई थी। सोचिए, उस समय सैकड़ों मांओं की आंचल सूनी हो गई थी लेकिन न तो मीडिया ने इस बात को हाईलाइट करना जरुरी समझा न ही कोई पार्टी।
सैकड़ों मासूमों की जानें चली गईं लेकिन कांग्रेस की गहलोत सरकार ने अस्पताल की दशा सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब ऐसा लग रहा है कि कोरोना वायरस भीलवाड़ा में विकराल रूप ले चुका है। जिस तरह से अशोक गहलोत की सरकार एक्शन ले रही है उससे तो हालात नहीं सुधरने वाले। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को तुरंत भारत के सबसे बड़े राज्य की ओर ध्यान देना चाहिए और सख्त कदम उठाने चाहिए।