दिल्ली की चुनावी जंग खत्म हो गई है। अब बारी बिहार चुनाव की है। राजनीतिक पार्टियां चुनाव को लेकर रणनीति बनाने में जुट गई हैं। एक तरफ लालू पुत्र तेजस्वी यादव युवाओं के लिए ‘बेरोजगारी यात्रा’ निकाल रहे हैं तो वहीं रामविलास पासवान पुत्र चिराग बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट की रट लगा रहे हैं। भाजपा और जेडीयू भी चुनावी मैदान में कमर कस रही है। इन सब के बीच चारा घोटाला मामले में सजा काट रहे लालू प्रसाद यादव भी काफी एक्टिव दिख रहे हैं। लालू यादव इन दिनों झारखंड के रिम्स में अपनी इलाज करवा रहे हैं। हालांकि इलाज करवाने की आड़ में लालू यादव इन दिनों सियासी बैठकें कर रहे हैं।
दरअसल, झारखंड में अपने मन-मुताबिक सरकार बनते ही राजद के मुखिया लालू यादव काफी एक्टिव हो गए हैं। जेल के नियमों को ताक पर रखकर लालू यादव कई नेताओं से मिल रहे हैं, न तो जेल प्रशासन इस पर रोक टोक कर रही है न ही अस्पताल प्रशासन ने कोई कदम उठाया। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार कल यानि गुरुवार को लालू यादव ने करीब 10 नेताओं के साथ अस्पताल में ही राजनीतिक दरबार लगा डाला। ऐसा लग रहा था कि हेमंत सरकार की सह पर अस्पताल को ही चुनावी वॉर रुम बना दिया गया हो।
भाजपा की रघुवर सरकार में भी लालू से नेताओं का मिलना-जुलना लगा रहता था, हालांकि तब जेल की नियमों का ध्यान रखा जाता था। तब जेल प्रशासन की अनुमति के बगैर कोई मिल नहीं सकता था। किसी विशेष परिस्थिति में ही परिवार वालों को मिलने की अनुमति दी जाती थी।
हालाकि, हेमंत सरकार ने शपथ लेने से पूर्व ही बता दिया था कि चारा मामले के अपराधी लालू की सेवा में वे कोई कमी नहीं होने देंगे। हेमंत सोरेन बिना किसी पूर्व अनुमति के ही 12 से 15 लोगों के साथ रिम्स में भर्ती लालू प्रसाद यादव से मुलाकात करने पहुंचे थे, जबकि जेल प्रशासन के अनुसार प्रति शनिवार केवल तीन लोग ही लालू से मुलाकात कर सकते हैं। इस पर जेल के अधीक्षक ने सफाई देते हुए बताया कि लालू से मिलने की अनुमति केवल तीन लोगों को दी गई थी जिनमें हेमंत सोरेन, राजेंद्र सिंह और नरेंद्र सिंह का नाम था, उन्हें 10 से 15 नेताओं के आने की कोई सूचना नहीं थी।
ऐसा पहली बार नहीं है जब लालू ने नियमों को ताक पर रखकर रिम्स में सियासी दरबार लगाई हो। इससे पहले विधायक यदुवंशी यादव और लोकसभा के प्रत्याशी रहे दिनेश कुमार यादव ने भी अपने कई समर्थकों के साथ लालू से मुलाकात की थी और अस्पताल में ही लालू चालीसा का पाठ किया था।
ऐसे में साफ है कि लालू यादव केवल नाम के लिए जेल प्रशासन की निगरानी में अपना इलाज करवा रहे हैं। सच तो यह है कि अस्पताल में सियासी बैठकें चल रही हैं, घर से बना हुआ खाना परोसा जा रहा है, और इस काम में उनके सहयोगी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पूरी छूट दी है।
बता दें कि सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू यादव को चारा घोटाले के मामले में साढ़े तीन साल की कैद की सजा सुनाई है। लालू प्रसाद यादव चाईबासा, देवघर और दुमका से अवैध धन निकासी मामले में सजायाफ्ता हैं। चाईबासा के दो मामलों में वह सजायाफ्ता हैं। यही नहीं एक अन्य मामले में लालू को 14 साल की कठोर सजा सुनाई गई है। कुल 900 करोड़ के घोटाले में लालू को दोषी पाया गया है। ऐसे में सोरेन सरकार द्वारा किसी बड़े भ्रष्टाचार के दोषी को इस तरह से इलाज के नाम पर खुली छूट दे देना न्यायालय के निर्णय का भी अपमान है।