Carvan, Scroll, और The Wire, इन्हें वामपंथ का ऐसा कीड़ा काटा है कि Corona के टाइम पर भी ये नफरत फैला रहे

कुछ तो शर्म कर लो लिबरलों

दुनिया इधर से उधर हो सकती है, सूर्य भी पूर्व के बजाए पश्चिम दिशा से उग सकता है, परन्तु मजाल है कि भारत के  वामपंथी ब्रिगेड संयम से काम लें। एक ओर भारत में वुहान वायरस से मोर्चा के लिए लगभग सभी देशवासी कमर कस चुके हैं, तो वहीं कुछ वामपंथी ऐसे भी हैं, जो आज भी देश में अराजकता फैलाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।

जनता कर्फ्यू की अप्रत्याशित सफलता से वामपंथी ब्रिगेड कितना बौखलाई हुई थी, ये हम भली भांति जानते हैं। परन्तु ये सिलसिला अभी भी कहीं से रुका नहीं है।  कई जगह वे फेक न्यूज़ फैला रहे हैं कि किसी क्षेत्र में स्वास्थ्य सबंधी उपकरणों की कमी है, तो कई जगह वे पीएम मोदी को तानाशाह बनाने पर तुले हुए हैं।

उदाहरण के लिए अभी हाल ही में एक डॉक्टर का ट्विटर अकाउंट सुर्खियों में आया था, जब उसने हरियाणा में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए स्वास्थ्य उपकरणों की कमी के बारे में बताया। इस अकाउंट के औचित्य को समझे बिना राहुल गांधी जैसे लोग भर-भर कर रीट्वीट किए।

परन्तु बात यहीं पर खत्म नहीं होती। वामपंथी पोर्टल्स ने चीन का बचाव करने और भारत को बदनाम करने का ठेका पर्सनली ले लिया है। जब बीबीसी के जरिए वुहान वायरस के अगले एपिसेंटर बनने की दलीलों को भारत ने नकार दिया, तो वहीं अर्थशास्त्री डॉ रमनन लक्ष्मीनारायणन को द वायर ने करण थापर के जरिए अपना मंच उन्हें अफवाहें फैलाने हेतु प्रदान किया।

यही नहीं, जेएनयू के हिंसा में एजेंडा फैलाते हुए पकड़े गए कांग्रेस कार्यकर्ता डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी ये अफवाह फैला रहे थे कि भारत में स्वास्थ्य उपकरणों की कमी है और ये भारत के लिए बहुत चिंता की बात है। जनाब ने ट्वीट किया था, बहुत ही दयनीय हालात है। असम में स्वास्थ्य कर्मियों को प्लास्टिक के थैली पहनने पड़ रहे हैं। क्या ताली बजाने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी इन कर्मियों को इक्विपमेंट दिलवा सकते हैं।”

परन्तु हरजीत की पोल खोलते हुए असम भाजपा के कद्दावर नेता और राज्य के वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा सर्मा ट्वीट करते हैं-

यह ट्वीट बेबुनियाद है और इसे एक विशेष उद्देश्य से किया गया है। हमारे पास स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पर्याप्त मात्रा में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट हैं। पुलिस को हर स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है”।

इसके अलावा कारवां मैग्जीन भी कहीं से भी अफवाह फैलाने में पीछे नहीं रही। उसके संपादक ने यह अफवाह फैलाई कि भारत में  वुहान वायरस के टेस्ट हेतु मोटी रकम सरकार वसूलती है, जोकि सरासर ग़लत है। केवल निजी लैब रकम वसूलते हैं जबकि सरकार मुफ्त में टेस्ट करवाती है।

परन्तु हद तो तब हो गई जब ये ट्वीट सामने आया –

https://twitter.com/lpolgreen/status/1242787963270049794?s=09

एक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार ने हफिंगटन पोस्ट के एक बेबुनियाद रिपोर्ट के हवाले से दावा करते हुए कहा कि भारत में एक ऐसी कंपनी को टेस्टिंग की ज़िम्मेदारी दी गई है, जिसकी कोई आधिकारिक मान्यता नहीं है।

परन्तु जिस रिपोर्ट का हवाला दिया गया था, उसमें एक बार फिर वही दलील दोहराई गई की भारत में टेस्टिंग लगभग ना के बराबर है।  यह ना केवल हमारे सरकार पर लगाया गया एक लांछन है, अपितु हमारे स्वास्थ्य कर्मियों का अपमान भी है। ऐसे विकट स्थिति में भी याद वामपंथियों को अपने एजेंडे के प्रचार के अलावा कुछ नहीं सूझता, तो फिर ईश्वर ही उनका भला करे।

Exit mobile version