दिल्ली दंगों पर रवीश कुमार की हिन्दू विरोधी रिपोर्टिंग देखकर इन्हें पत्रकारिता पर कलंक कहना गलत नहीं होगा

रवीश कुमार

PC: Best Hindi News

सीएए विरोध के नाम पर पूर्वोत्तर दिल्ली में भड़के दंगे में शामिल मोहम्मद शाहरुख को हाल ही में उत्तर प्रदेश से हिरासत में लिया गया है। मोहम्मद शाहरुख ने दिल्ली पुलिस और अन्य नागरिकों पर अपने पिस्तौल से फायरिंग की थी, जिसके पश्चात वह दिल्ली से हरियाणा होते हुए उत्तर प्रदेश के शामली में जा छुपा, जहां से उसे हिरासत में लिया गया।

परंतु मोहम्मद शाहरुख के हिरासत में लेने के साथ ही अब एनडीटीवी के पत्रकार रवीश कुमार भी घेरे में आ गए हैं, जिन्हें सोशल मीडिया पर जमकर लताड़ा जा रहा है। बता दें कि रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम शो में दावा किया था कि दिल्ली के दंगों में पिस्तौल के साथ खड़ा व्यक्ति मोहम्मद शाहरुख नहीं, बल्कि अनुराग मिश्रा है। यानि इन दंगों में भी जनाब अपने एजेंडे को साधने में लगे हुए थे।

परंतु रवीश यहीं पर नहीं रुके। जनाब ने तो ये तक कह दिया कि उन्हें पुलिस अधिकारियों की रिपोर्ट पर एक बार में यकीन नहीं होता है। उनके अनुसार जब तक उन्हें दोबारा रिपोर्ट नहीं दी जाती कि इस शख्स का नाम क्या है तब तक वे शंका ज़ाहिर करते रहेंगे और शाहरूख को अनुराग बताते रहेंगे।

रवीश के ओछे बयानों से प्रेरित होकर कट्टरपंथी इस्लामीक तत्वों ने भी फर्जी खबरें फैलाना शुरू कर दिया था कि हिंसा में कोई मुस्लिम युवक नहीं था बल्कि, वह एक हिंदू युवक था, जो हिंदू आतंकवाद फैला रहा था। उसका नाम शाहरूख नहीं बल्कि अनुराग मिश्रा है। कुछ लोगों ने तो इतना तक कह दिया कि ये भाजपा नेता कपिल मिश्रा का भतीजा है, और इसे जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए। इसके कारण अनुराग को वाराणसी में पुलिस प्रोटेक्शन के लिए अर्जी भी डालनी पड़ी।

परंतु अब जब मोहम्मद शाहरुख हिरासत में लिया जा चुका है, और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है, तो रवीश कुमार ने माफ़ी मांगने की बजाय एक बार फिर से मौन धारण कर लिया है। एक स्थानीय अखबार भी मामूली त्रुटि के लिए माफीनामा छाप देता है, पर रवीश ने अपनी घटिया रिपोर्टिंग के लिए स्पष्टीकरण तक प्रकाशित नहीं किया, माफी मांगना तो बहुत दूर की बात है। क्या उनके लिए अनुराग मिश्रा के जीवन को खतरे में डालना बस अपने निजी हित को साधने का माध्यम मात्र था?

पर हम यह कैसे भूल जायें कि ये वही रवीश कुमार हैं, जिन्होंने ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने का विरोध करने वाले एक व्यक्ति का न केवल पीछा किया, बल्कि उसे ही दोषी ठहराने हेतु NDTV पर विक्टिम कार्ड भी खेला था। लिहाजा सोशल मीडिया पर रवीश कुमार की एजेंडावादी पत्रकारिता के कारण उन्हें सोशल मीडिया के कोपभाजन का शिकार होना पड़ा। अब इस बड़ी गलती के लिए सोशल मीडिया यूजर्स ने जमकर रवीश कुमार को ट्रोल किया। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने मोर्चा संभालते हुए रवीश की खिंचाई करते हुए ट्वीट किया, “आख़िर दंगाई और गोली चलाने वाला मोहम्मद शाहरुख़ गिरफ़्तार हुआ। ध्यान से देख लें इसे ..ये शाहरुख़ है ..कोई “अनुराग मिश्रा” नहीं है जैसा की कुछ तथाकथित पत्रकार बता रहे थे। वैसे वो पत्रकार कौन था जो शाहरुख को अनुराग बताने पर तुला हुआ था?”

इसके अलावा रवीश कुमार की खिंचाई करते हुए पिंकू शुक्ला नाम के एक यूजर ने लिखा, “दिल्ली हिंसा में फायरिंग करने वाला शाहरुख गिरफ्तार, उत्तर प्रदेश के शामली से हुई गिरफ्तारी, अब NDTV पर मातम छा जाएगा क्योंकि रविशवा ने बड़ी मेहनत की थी उसको अनुराग मिश्रा बताने में सम्भव है स्क्रीन काली कर दे तो कोई बड़ी बात नही ..!!” 

https://twitter.com/shuklapinku/status/1234741550598328321?s=20

इस घटना से रवीश कुमार की बची खुची साख पर बड़ा दाग लग गया है, इसके साथ ही उनकी पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगे हैं। सच कहें तो लिबरलों के राज दुलारे रवीश कुमार के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। जिस प्राइम टाइम शो में उन्होंने इस फेक न्यूज को फैलाया उसे भी बंद कर देना चाहिए। एक आम पत्रकार की जिम्मेदारी होती है कि वह सिर्फ तथ्यों को सामने रखे न कि फेक न्यूज फैलाकर किसी की जान जोखिम में डाले। यूं तो रवीश कुमार माफी योग्य नहीं है, लेकिन अगर वो इसी तरह की भ्रामक पत्रकारिता करते रहना चाहते हैं तो उन्हें ऐसी पत्रकारिता से सन्यास ले लेना चाहिए।

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