आधुनिक विश्व में पश्चिमी देशों ने शुरू से ही बाकी दुनिया पर अपना प्रभुत्व जमाया है। चाहे अर्थव्यवस्था का मामला हो, स्वास्थ्य क्षेत्र का मामला हो या फिर सैन्य ताकत की बात ही क्यों ना हो, पश्चिमी देशों ने हर बार अपने आप को चैम्पियन सिद्ध करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। इन देशों की मीडिया ने भी हमेशा ऐसा माहौल बनाया मानो पश्चिमी देश तो अभेद्य है और पूरी दुनिया में इनका कोई मुक़ाबला नहीं है। हालांकि, कोरोना वायरस ने जिस तरह US और UK जैसे महाशक्तियों समेत पूरे यूरोप को अपने जाल में पकड़ा है, उसने पश्चिमी देशों द्वारा बनाए गए भ्रम जाल का भंडाफोड़ हो गया है।
वो US, जिसकी महानता के बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कहीं भी ज़िक्र करना नहीं भूलते हैं, अब कोरोना के सामने सारे हथियार डालता नज़र आ रहा है। अमेरिका में 200 से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस की वजह से अपना दम तोड़ चुके हैं, वहीं इससे ग्रसित होने वाले लोगों की संख्या 18 हज़ार पहुंच चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस वायरस के फैलने के शुरुआती चरण में अपने संबोधनों में जहा था कि अमेरिका को इससे डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। अमेरिका में सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह है कि पिछले 50 घंटों में ही वहाँ 10 हज़ार नए मामले सामने आ चुके हैं।
अमेरिका में स्थिती इतनी भयावह हो चुकी है कि अब अस्पतालों में वेंटिलेटर की कमी होने लगी है। आलम यह है कि न्यू यॉर्क के मेयर को ट्विटर पर अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क से ज़्यादा वेंटिलेटर बनाने की विनती करनी पड़ रही है। आप देश सकते हैं कि न्यू यॉर्क के मेयर नोट सिल्वर ने ट्विटर पर ही एलन मस्क से वेंटिलेटर के उत्पादन के बारे में पूछा:
There's a shortage now, how many ventilators you making @elonmusk? https://t.co/hsaP9RMDZK
— Nate Silver (@NateSilver538) March 19, 2020
इससे आप अमेरिकी अस्पतालों की हालत का पता लगा सकते हैं। वहीं उत्तर अमेरिका के अन्य देश कनाडा का भी यही हाल है। कनाडा में इस वायरस से ग्रसित लोगों की संख्या 1 हज़ार पार कर गयी है।
यूके और यूरोप में हालत पहले ही खराब हो चुके हैं, और एक्सपर्ट्स की माने तो भविष्य में ये और भी खराब हो सकते हैं। वायरस के संक्रमण से होने वाली कोविड-19 बीमारी के कारण ब्रिटेन में अब तक 177 जानें जा चुकी हैं। कल प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने देश के नाम सम्बोधन में कहा “हम आज रात से कैफे, पब, बार, रेस्तरां आदि को सामूहिक तौर पर बंद करने को कह रहे हैं। जितना जल्दी संभव हो, वो बंद कर दें और कल से नहीं खोलें। हां, वो पैकेजिंग सर्विस चला सकते हैं”।
उन्होंने आगे कहा, “इसी तरह हमने नाइटक्लब, थिअटर, सिनेमा, जिम, लीजर सेंटर्स को भी बंद करने को कहा है। स्वाभाविक है कि इसका पूरा मकसद लोगों को एकजुट करना है। लेकिन, दुखद बात यह है कि हमें कम-से-कम शारीरिक रूप से एक-दूसरे से दूर रहना होगा”। इससे आप यूके की हालत का पता लगा सकते हैं। पहले UK ने हर्ड इम्यूनिटी की नीति का पालन करके खुद देश में कोरोना फैलने को अनुमति दी थी ताकि इससे देश की बड़ी आबादी में इस वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी बन सके, लेकिन बाद में इसके दुष्प्रभाव देखते हुए इसे सरकार ने वापस ले लिया, हालांकि, तब तक यह देश के कई हिस्सों में फैल चुका था।
इसी तरह इटली में भी कोरोना वायरस कहर ढाता जा रहा है, वहां इस वायरस से मरने वाले लोगों की संख्या चीन की संख्या से भी पार हो गयी है। इटली में कोरोना वायरस से मरने वालों का आंकड़ा 3,405 तक पहुंच गया है। दुनिया में किसी भी देश में कोरोना से होने वाली मौत का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है. कोरोना वायरस की चपेट में आने वालों की संख्या बढ़कर 41 हजार के पार हो गई है।
कनाडा, US, UK, फ्रांस और इटली जैसे देशों को शुरू से ही अभेद्य बताया जाता रहा है। यही देश पूरी दुनिया के लिए रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किए जाते रहे हैं। लेकिन आज यह स्पष्ट हो गया है कि जब कोरोना जैसी कोई बड़ी चुनौती इन देशों के सामने आती है, तो ये देश इस प्रकार बिखर जाते हैं। पश्चिमी देश कोरोना वायरस के संक्रमण से बच पाने में पूरी तरह विफल साबित हुए हैं और उनके सुस्त रवैये ने अब दुनिया के सामने इस चुनौती को और ज़्यादा बड़ा बना दिया है।