ये है PM मोदी का करिश्मा: उन्होंने जनता कर्फ़्यू की अपील की, और लोगों ने करके दिखा दिया

जनता कर्फ़्यू को लोगों ने दिल से फॉलो किया

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प्रधानमंत्री की “जनता कर्फ़्यू” की अपील का आज पूरे भारत पर असर होता दिखाई दे रहा है। आज शहरों से लेकर लोगों की भीड़ से खचाखच भरे रहने वाले बाज़ारों तक, हर जगह सन्नाटा देखने को मिल रहा है। दिल्ली की सड़कों से लेकर वाराणसी की गलियों तक , हर जगह सुनसानी छाई है क्योंकि लोगों ने खुद से ही अपने ऊपर कर्फ़्यू लगाया हुआ है। दिल्ली वही शहर है जहां कुछ हिस्सों में पिछले दिनों दंगे हुए थे, तब भी लोग अपने घरों से बाहर निकल रहे थे और दिनचर्या के काम कर रहे थे, लेकिन आज पीएम मोदी की अपील ने सब को उनके घरों में ही बिठाये रखा। ऐसा लगता है मानो कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में सब एकजुट हो गए हों।

और सिर्फ दिल्ली ही नहीं, UP में भी हमें जनता कर्फ़्यू का पालन होता दिखाई दे रहा है। यह दिखाता है कि पीएम मोदी कितने लोकप्रिय हैं और उनके एक बार विनती करने के बाद किस तरह लोग पूरे शहर को लोकडाउन कर देते हैं। सुबह पार्क खाली मिले, लोग मॉर्निंग वॉक के लिए नहीं निकले। पूरे राज्य में आज अलग ही माहौल देखने को मिल रहा है। पब्लिक ट्रान्सपोर्ट से लेकर रेलगाड़ियों तक, सब बंद पड़ चुका है। चुनिन्दा साइकलों और vans को छोड़कर सभी सड़कें खाली ही दिखाई दे रही हैं। ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता कि यूपी जैसा राज्य पीएम मोदी के आह्वान पर एक बीमारी को रोकने के लिए इस तरह बंद पड़ जाएगा।

इसी तरह कर्नाटका और मध्य प्रदेश में भी लोग इस कर्फ़्यू का पालन कर रहे हैं। आज संडे होने के कारण लोगों को ऐसा करने में आसानी भी हो रही है क्योंकि कई लोगों की संडे को वैसे ही छुट्टी होती है। लेकिन यहाँ सबसे अच्छी बात यह है कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकार नहीं है, वहां भी लोग इस कर्फ़्यू का पालन कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों ने भी जनता कर्फ़्यू को सख्ती से लागू किया है। पीएम मोदी की इस अपील के कारण अब लोग असल में सोशल डिस्टेन्सिंग अपना रहे हैं। महाराष्ट्र में पुणे, मुंबई और नागपुर जैसे बड़े शहर आज बंद पड़े हुए हैं। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि पीएम मोदी की अपील केरल जैसे कम्युनिस्ट राज्य में प्रभावी दिखाई दी और लोग घरों में ही बैठे रहे।

 

इसी तरह नॉर्थ ईस्ट में भी यह कर्फ़्यू प्रभावी दिखाई दे रहा है। पश्चिम बंगाल में विरोधियों ने इस कर्फ़्यू को नाकाम करने की पूरी कोशिश की, ममता बनर्जी चाह रही थी कि कर्फ़्यू के दिन सभी अध्यापक स्कूल आयें, लेकिन इसके बावजूद लोगों ने घरों में रहना ही ठीक समझा। यह दिखाता है कि लोग असल में वुहान वायरस के फैलाव को रोकने के लिए सतर्क हैं और वे इस बात को समझते हैं कि उनके देश को इस वायरस के प्रकोप से बचाने में सबकी भागीदारी होना आवश्यक है। इसी के साथ यह भारत के प्रशासन का भी टेस्ट है कि कैसे वह लोगों के साथ समझ विकसित कर इस लोकडाउन को सफल बनाने में अपनी भूमिका निभा पाता है।

इस तरह के कर्फ़्यू सोशल डिस्टेन्सिंग को बढ़ावा देते हैं। तभी तो यूपी में सीएम योगी भविष्य में ऐसे ही कर्फ़्यू को लागू करने की बात कह चुके हैं। नीति आयोग के अनुसार “इस तरह कर्फ़्यू के एक दिन से वायरस के फैलाव को बड़े पैमाने पर रोका जा सकता है”।

इस जनता कर्फ़्यू की सफलता ने यह दिखा दिया कि पीएम मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतन्त्र के सच्चे नेता हैं जहां लोग उनकी बात मानने में गौरव महसूस करते हैं। उनकी एक अपील को लोगों ने बिना किसी पुलिस या सुरक्षा एजेंसी के दबाव के मान लिया और लोगों ने दिखा दिया कि कैसे 133 करोड़ लोगों का देश सिर्फ 1 व्यक्ति की अपील पर एकांत खड़ा हो जाता है।

ऐसे कर्फ़्यू दुनिया के अन्य देशों में असफल होते जा रहे हैं। 18 मार्च को ऑस्ट्रेलिया के PM ने लोगों से अपील की थी कि वे अपने घरों से बाहर 500 लोगों से ज़्यादा की भीड़ में ना जुटे और अपने घरों के अंदर भी 100 लोगों से ज़्यादा लोगों को इकट्ठा ना होने दें, लेकिन 20 मार्च को ही ऑस्ट्रेलिया के लोग ऑस्ट्रेलिया के सबसे मशहूर बीच बोंडी बीच पर हजारों की संख्या में इकट्ठा हुए दिखाई दिये। यह दर्शाता है कि जनता कर्फ़्यू का पालन करवाना इतना आसान नहीं जितना पीएम मोदी ने इसे बना दिया।

आज सोचिए अगर देश के पास उन जैसा इतना मजबूत नेता ना होता तो क्या यह कर्फ़्यू सफल हो पाता। क्या मनमोहन सिंह या राहुल गांधी में ऐसा कर पाने की क्षमता थी, क्या इन लोगों की इतनी विश्वसनीयता बची है? आज पीएम मोदी जैसा मजबूत नेता देश के पास है, यही कारण है कि यह कर्फ़्यू सफल हो पा रहा है और लोगों में अब इस वायरस के फैलने का खतरा कम हो गया है।

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