लगता है भारत की इस्लामिक संस्था तब्लीगी जमात ने पूरे दक्षिण एशिया में कोरोना से तबाही मचाने का जिम्मा अपने सिर ले लिया है। मलेशिया में एक कार्यक्रम के जरिये दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों में कोरोना फैलाने से लेकर भारत के निज़ामुद्दीन में एक धार्मिक कार्यक्रम के जरिये सैकड़ों लोगों की जान को खतरे में डालने तक, हर जगह इसी इस्लामिक संस्था का नाम सामने आ रहा है। अब सरकार ने निज़ामुद्दीन में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले 800 इस्लामिक उपदेशकों पर कार्रवाई करने का फैसला लिया है। इससे ना सिर्फ इस संस्था को बल्कि कई गैर-जिम्मेदाराना मौलानाओं को कड़ा संदेश दिये जाने की उम्मीद है।
दरअसल, तब्लीगी मरकज मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट मांगी है। तब्लीगी जमात के इस कार्यक्रम में लगभग 800 लोग इंडोनेशिया से आए थे, अब इन सब लोगों को ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है, यानी उन्हें अब आगे से भारत आने के लिए वीजा नहीं मिलेगा। ये सभी लोग टूरिस्ट वीज़ा पर भारत आए थे और इनके द्वारा अथॉरिटी को किसी जमात में शामिल होने की जानकारी नहीं दी गई थी। ऐसे में इस वीज़ा नियमों का उल्लंघन माना गया है और अब एक्शन लिया जाएगा।
कल राजधानी दिल्ली में धारा-144 लागू होने के बावजूद दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में स्थित तब्लीगी जमात के सेंटर मरकज में 1600 से अधिक लोग एकत्रित हुए थे, अब इन्हीं में से 24 को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है और 300 से अधिक लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। यही नहीं इस कार्यक्रम में शामिल होकर वापस लौटे 10 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, इनमें से 9 भारतीय और एक विदेशी नागरिक है वहीं, 6 तेलंगाना के थे। इस कार्यक्रम की वजह से अब पूरे देश में कोरोना का खतरा कई गुना तक बढ़ गया है।
निजामुद्दीन स्थित मरकज में एक मार्च से 15 मार्च के बीच जलसे में सऊदी अरब, दुबई, उज्बेकिस्तान, इंडोनेशिया और मलेशिया के अलावा देश के कई राज्यों से लोग आए थे। इनमें 600 भारतीयों सहित करीब 2000 लोग थे। लॉकडाउन से पहले बड़ी संख्या में लोग चले गए थे, लेकिन सोमवार को मरकज में 24 लोगों के पॉजिटिव आने से हड़कंप मच गया।
#coronavirus: One more tests positive in Andaman and Nicobar; total cases rise to 10.
— Press Trust of India (@PTI_News) March 30, 2020
इस कार्यक्रम में ऐसे भी लोग शामिल हुए थे जो मलेशिया और इंडोनेशिया के नागरिक थे। ये लोग 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच कुआलालंपुर में हुए इस्लामिक इसी जमात का हिस्सा रह चुके थे।
इस कोरोना जिहाद की कहानी मलेशिया में शुरू हुई थी। मलेशिया में फरवरी के अंतिम सप्ताह में एक जलसा हुआ था जिसमें 1500 विदेशीयों सहित 16 हजार स्थानीय लोग शामिल हुए थे। इस चार दिवसीय मुस्लिम जनसभा को कुआलालंपुर के पेटलिंग मस्जिद में आयोजित किया गया था। मलेशिया में हुए कुल मामलों में से लगभग दो तिहाई मामलों के लिए इस जनसभा को जिम्मेदार ठहराया गया था, जो 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच आयोजित की गई थी। यही कारण था कि दक्षिण पूर्व एशिया में कोरोना का प्रकोप एकाएक बढ़ा। इस संगठन की जनसभाओं का दौर यही नहीं रुका बल्कि, मलेशिया में कोरोना के मामले मिलने के बाद भी तब्लीगी ने इन्डोनेशिया के South Sulawesi में जलसे का आयोजन किया जिसमें लगभग 8 हजार लोग शामिल हुए थे।
इस जन सभा में शामिल हुए लोगों का कहना था कि हमे में से कोई करोना से नहीं डरता। हम सिर्फ अल्लाह से डरते हैं।भारत में मलेशिया से यह संक्रमण पहले भी आ चुका है। जहां तमिलनाडु के सलेम जिले और तेलंगाना से कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले सामने आने पर इंडोनेशिया से आये कई मौलानाओं को जिला अस्पताल में भर्ती किया गया था।मलेशिया और इन्डोनेशिया के बाद इस जमात ने पाकिस्तान में भी जमकर कोरोना फैलाया। मार्च महीने में लाहौर के रायविंड इलाके में हुए तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में लाखों लोगों ने हिस्सा लिया था जिसमें करीब 80 देशों के मुस्लिम मौलाना भी शामिल हुए थे। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे कोरोना 80 देशों तक फैला होगा।
भारत में कोरोना संकट को फैलाने वाले इन मौलानाओं पर जितनी सख्त कार्रवाई की जाये, उतनी कम होगी। इन्होंने ना सिर्फ अपनी, बल्कि भारत के करोड़ों लोगों की ज़िया ज़िंदगी को खतरे में डाला है।