बड़े शहरों में रहने की कैसी व्यवस्था है? Lock Down में भटकते मजदूरों को देख आवासीय व्यवस्था की पोल खुल गई

मजदूरों को शहरों में किफायती आवास की आवश्यकता है

आवास

दिल्ली से जो तस्वीरे उभर के सामने आ रही है, वो किसी को भी अंदर तक झकझोर देगी। कोई कंधे पर बस्ता टाँगे है तो कोई बच्चों को लादकर अपने घर वापिस जाना चाहता है। वुहान वायरस जैसे विकट समस्या के परिप्रेक्ष्य में ये आव्रजन संकट या migrant crisis इस बात को भी उजागर करता है की कैसे भारत में पर्याप्त अर्बन इनफ्रास्ट्रक्चर की कमी है।

एक राज्य से दूसरे राज्य में जाकर काम करने वाले दिहाड़ी मजदूरों का पैदल जाना इस बात का परिचायक है कि भारत में शहरी व्यवस्था बहुत लचर है। संसार में कोई भी शहर अपने गरीबों के साथ उतना भेदभाव नहीं करता जितना भारत के शहर करते हैं। गरीब श्रमिकों को काफी गंदे इलाकों में रहना पड़ता है। कुछ महीने पहले नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने बताया कि कोई भी शहर बिना गरीबों को उचित आश्रय दिलाये विकसित नहीं हुआ है। दुनिया में कोई भी शहर विकसित होता है, तो केंद्र हो या राज्य, सभी प्रकार की सरकारें उचित आवास के लिए काफी निवेश करती है। परंतु भारत में ऐसा कुछ भी नहीं है।

इसी कारण अधिकांश गरीबों को शहर में गंदे, मैले कुचैले स्लम क्षेत्र में रहना पड़ता है। यहाँ उन्हें अनेकों प्रकार की बीमारियाँ होती है, और यदि इनके पास रहने को आवास होता और अन्य सुविधाएं होती, तो शायद ही वे घर जाने की सोचतें।

भारत में रियल एस्टेट के दाम आसमान छूते हुए दिखाई देते हैं, और कई जगह तो भूमि का मूल्य लंदन और न्यू यॉर्क के दामों को भी पीछे छोड़ दे। परंतु आपको क्या लगता है? क्या ऐसा इसलिए है कि दोनों शहर सभी सुविधाओं से लैस है? ऐसा बिलकुल नहीं है, असल कारण यह है कि पूर्ववर्ती सरकार ने रियल एस्टेट को काले धन के निवेश का एक मजबूत जरिया बनने दिया।

यूपीए शासन के दौरान भारत में जो भी ग्रोथ हुई, वो कभी tax-to-GDP ratio में रिफलेक्ट नहीं हुआ, क्योंकि काले धन में ज़्यादा वृद्धि हुई, जिसे सोने के भंडार और रियल एस्टेट में निवेश करने में लगाया। इस कुचक्र को खत्म करने हेतु केंद्र सरकार ने 2016 में demonetization का निर्णय लिया। अब कोई कितनी भी आलोचना कर ले, परंतु इस निर्णय से पिछले तीन से चार वर्षों में रियल एस्टेट के दाम काफी गिरे हैं, जो इससे पहले अक्सर 20-25 प्रतिशत की दर से बढ़ता रहता था।

पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से भी को आवास दिलाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री आवास योजना का अनावरण किया, जिसमें कम आय वाले लोगों को आवास दिलाने में सरकार सब्सिडी प्रदान करती है, और इस योजना की सफलता हेतु मोदी सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये का अनुदान दिया था। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 करोड़ आवास प्रदान करने के उद्देश्य से ये स्कीम लॉंच की थी, और अब तक 72.5 लाख आवास प्रदान किए जा चुके हैं।

Boost to ‘Housing for All’, Modi govt grants 1 lakh crore rupees for affordable housing

परंतु यह समस्या एक या दो सालों में खत्म नहीं हो सकती। सरकार को युद्धस्तर पर राज्य सरकारों के साथ काम करना पड़ेगा, और पब्लिक निवेश को बढ़ावा देना होगा, तभी इस आव्रजन संकट पर काबू पाया जा सकेगा। अन्यथा देश को रोज़ ही ऐसे हृदयविदारक स्थिति का सामना करना पड़ेगा।

 

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