पीएम मोदी के बहुचर्चित ‘मेक इन इंडिया’ को मानो एक नई उड़ान मिल गई है। विश्व की पहली उड़ने वाली गाड़ी को अब गुजरात में निर्मित किया जाएगा। डच फ्लाइंग कार निर्माता PAL V ने 2021 में इस futuristic वाहन के निर्माण के लिए गुजरात में पैर जमाने का निर्णय कर लिया है।
हाल ही में गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की उपस्थिति में गुजरात उद्योग के प्रिन्सिपल सेक्रेटरी एमके दास और PAL V के वाइस प्रेसिडेंट कार्लो मास्बोम्मेल के बीच एक MOU पर हस्ताक्षर किया गया है। इस एमओयू के अंतर्गत बताया गया है कि गुजरात सरकार फ्लाइंग कार बनाने में PAL V की पूरी मदद करेगी।
प्रोजेक्ट के बारे में कार्लो मास्बोम्मेल बताते हैं, “PAL V फ्लाइंग कार में चूंकि दो इंजन हैं, इसलिए वे ज़मीन पर 160 किलोमीटर की गति से दौड़ सकती है, और 180 किलोमीटर की रफ़्तार से दौड़ सकती है, और हवा में 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है। ये गाड़ी उड़ान के लिए तीन मिनट में परिवर्तित हो सकती है और एक फुल टैंक पर यह 500 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है”।
इस निर्णय से न सिर्फ भारत को औद्योगिक क्षेत्र में एक नई पहचान मिलेगी, बल्कि पीएम मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ initiative को भी भयंकर बूस्ट मिलेगा। 2014 में सत्ता ग्रहण करने के कुछ ही महीनों बाद उन्होंने भारत में उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम का शुभारंभ किया, जो भारत की विशाल जनसंख्या और सस्ते लेबर का लाभ लेकर भारत को विश्व के लिए एक आदर्श मैनुफैक्चरिंग हब बनाना चाहती है।
इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने पिछले वर्ष कॉर्पोरेट टैक्स के दाम एक चौथाई की दर से कम की, और नई मैनुफैक्चरिंग यूनिट्स के लिए यह दर 15 प्रतिशत की गयी है। चीन और यूएसए के बीच चल रहे तब के टैरिफ वॉर को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया, और चूंकि अब चीन का प्रभाव वैश्विक उत्पादन पर धीरे-धीरे कम हो रहा है, इसलिए नई दिल्ली विश्व को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। इस समय भारत के कॉरपोरेट टैक्स रेजीम एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में सबसे प्रभावशाली और आकर्षक माने जाने रहे हैं।
चूंकि PAL V जैसे कंपनी ने भारत को अपने उत्पादन बेस के लिए चुना है, इसका स्पष्ट अर्थ है कि कॉरपोरेट टैक्स को कम करने की नीति कारगर रही है। इसके अलावा यह निर्णय सिद्ध करता है कि पीएम मोदी के गुजरात मॉडल मिथ्या नहीं है, बल्कि एक विश्वसनीय ग्रोथ मॉडल है।
जब रतन टाटा के बहुप्रतीक्षित नैनो कार को बंगाल के सिंगुर में जगह नहीं मिली, तो ये गुजरात ही था, जिसने न केवल उन्हें उत्पादन के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराये, बल्कि उनके ‘मिडिल क्लास के योग्य गाड़ी’ का सपना भी साकार कराया। इसके अलावा वाइब्रेंट गुजरात जैसे अनेकों समिट आयोजित करवाकर पीएम मोदी ने गुजरात को एक अलग राज्य के रुप में पेश किया, जिससे राज्य में रोजगार के बेहतर अवसर मिले।
गुजरात मॉडल के सार्थकता की पुष्टि करते हुए कार्लो मास्बोम्मेल कहते हैं कि उनकी कंपनी ने गुजरात को इसलिए चुना क्योंकि इस राज्य में विश्व स्तरीय इनफ्रास्ट्रक्चर है, ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस है और बढ़िया पोर्ट एवं लॉजिस्टिक सुविधाएं भी हैं।
वास्तव में पूरे भारत भर में गुजरात ही एक ऐसा राज्य है जहां निवेशकों को बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदान किया जाता है।
वैश्विक विनिर्माण कंपनियों जैसे बेहतर सड़क सुविधाएं [road density], बिजली उत्पादन, कम अपराध दर, आदि के लिए प्रासंगिक सभी प्रमुख विशेषताओं में गुजरात सही मायनों में शीर्ष पर है।
पीएम मोदी 13 वर्षों तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और यह उनके सफल गुजरात विकास मॉडल का ही कमाल था जिससे उन्हें प्रधानमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ।
मास्बोम्मेल की मानें तो, गुजरात राज्य में निर्मित फ्लाइंग कारों को संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय देशों सहित अन्य देशों में भी निर्यात किया जाएगा। इसलिए, गुजरात फ्यूचरिस्टिक फ्लाइंग कारों के विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरेगा। पीएम मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को इस प्रकार एक बड़ी प्रेरणा मिली है, और इससे भारत ऑटोमोबाइल क्षेत्र में अगली वैश्विक क्रांति का केंद्र बनने के लिए पूरी तरह से तैयार भी है।