योगी सरकार इस समय फुल एक्शन मोड में है। वुहान वायरस हो या फिर सीएए विरोध के नाम पर हिंसा हो, दोनों स्थिति में योगी सरकार दृढ़ निश्चय के साथ मोर्चा संभाले हुए है। एक ओर जहां कानपुर में हिंसा के आरोपी 6 परिवारों ने 80 हजार रुपये जिला प्रशासन के जिला कोष में जमा कराए, जबकि दूसरी तरफ मंगलवार शाम को लखनऊ जिलाधिकारी (डीएम) ने बाकायदा 13 लोगों के नाम 21 लाख से ज्यादा के रिकवरी चालान जारी कर दिए।
हाल ही में लखनऊ के डीएम अभिषेक प्रकाश ने एक वीडियो जारी कर इस बात की जानकारी दी कि 19 दिसंबर को लखनऊ में हुए सीएए के खिलाफ हिंसा में नामित 13 लोगों से 21 लाख से ज्यादा का हर्जाना लेने का काम शुरू किया जा चुका है और तहसीलदार के माध्यम से रिकवरी चालान आरोपियों के घर भेजा जा रहा है।
इसी परिप्रेक्ष्य में कानपुर में लोगों ने हर्जाने की राशि सरकार के कोष में जमा करना शुरू कर दिया है। बता दें कि कानपुर में सीएए के विरोध में हिंसा के दौरान यतीमखाना चौकी पर आगजनी और तोड़फोड़ करने वाले छह आरोपियों से जिला प्रशासन ने 80,856 रुपए की वसूली की गयी है। वहां प्रति व्यक्ति 13,476 रुपए का जुर्माना वसूला जाना था। बवालियों ने यह रकम ड्राफ्ट के माध्यम से जिला प्रशासन को सौंप दी है।
जब सीएए संसद में पारित हुआ, तो विरोध के नाम पर बुद्धिजीवियों, विशेषकर अर्बन नक्सलियों ने यह अफवाह फैलानी शुरू कर दी कि इससे अल्पसंख्यकों की नागरिकता छिन जाएगी, जिसके कारण देश के कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन भी हुए। परंतु उत्तर प्रदेश में जैसे ही हिंसक प्रदर्शनों की शुरुआत हुई, योगी सरकार ने आव देखा न ताव, यूपी पुलिस को उपद्रवियों से निपटने की खुली छूट दे दी, जिसके कारण हिंसक प्रदर्शनों में काफी कमी नज़र आई। इसके अलावा दंगाइयों ने सार्वजनिक संपत्ति का जितना नुकसान किया, उसकी भरपाई करने के लिए योगी सरकार ने निर्णय लिया कि वे दंगाइयों के निजी संपत्ति से ही सार्वजनिक संपत्ति को होने वाले नुकसान की भरपाई करेंगे।
जैसे ही यह निर्णय सार्वजनिक हुआ और जैसे ही यह पता चला कि योगी सरकार अपने वादे के अनुरूप वसूली कर रही है, बुलंदशहर में दंगाइयों ने स्वत: ही 6 लाख रुपये का ड्राफ्ट जिला प्रशासन को सौंप दिया। इसके अलावा अभी यूपी सरकार ने हाल ही में लखनऊ में दंगाइयों के फोटो, नाम और पता सहित कई पोस्टर्स लगवाए। उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता डॉ॰ चंद्र मोहन ने ट्वीट किया, “योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश में जब हिंसा हुई थी तो स्पष्ट कर दिया कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हम स्वीकार नहीं करेंगे। अब 57 लोग जिनसे 19 और 20 दिसंबर की हिंसा के दौरान हुए नुकसान की करनी है भरपाई के चेहरे से नकाब उतार दिया गया है।”
@myogiadityanath जी ने प्रदेश में जब हिंसा हुई थी तो स्पष्ट कर दिया कि सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान हम स्वीकार नहीं करेंगे। अब 57 लोग जिनसे 19 और 20 दिसंबर की हिंसा के दौरान हुए नुकसान की करनी है भरपाई के चेहरे से नकाब उतार दिया । pic.twitter.com/XTcka3C5Ts
— Dr. Chandra Mohan (Modi ka Parivar) (@cmbjpup) March 5, 2020
हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें यह पोस्टर हटवाने का हुक्म दिया, परंतु यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में न केवल अपील की, अपितु दंगाइयों से सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान का हर्जाना वसूलने के लिए एक अलग ट्राइब्यूनल का गठन किया है, जो आदेश जारी होते ही दंगाई की संपत्ति कुर्क करेगी। अब जिस तरह से कई जगह दंगाई स्वयं आकर सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुकसान का हर्जाना भर रहे हैं, उससे साफ होता है कि योगी सरकार में कानून का राज सर्वोपरि है। तभी सोशल मीडिया में योगी राज के बारे में कहा जाता है – यहाँ कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे।