‘गोली मारो’,’इसको मारो’ पालघर में दो साधुओं और उनके ड्राइवर को भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला, पुलिस मूकदर्शक बनी रही

जूना अखाड़ा के दो साधुओं की हुए बर्बर हत्या

इसे बर्बरता नहीं तो और क्या कहें। महाराष्ट्र के पालघर में रक्तपिपासुओं से भरी हुई भीड़ ने दो जूना अखाड़ा के साधु – चिकाने महाराज कल्पवृक्षगिरि और सुशील गिरी महाराज को पीटकर पीटकर मार दिया। इस बर्बर हत्या के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं, परंतु इसमें सबसे दुखदाई बात है कि पुलिस यहां मूकदर्शक की भांति सारा तमाशा देखती रही। साधु पैर पकड़ पकड़ गिड़गिड़ा रहे थे, परन्तु पुलिस कुछ नहीं कर रही थी। वीडियो में आवाज़ें भी आ रही थी, “गोली मारो”, “इसको मारो”।

वीडियो में आप ये भी देख सकते हैं कि कैसे वृद्ध साधु एक पुलिसवाले का हाथ पकड़ने का प्रयास कर रहा था, जब दंगाई उसे बुरी तरह पीट रहे थे। उसे आशा थी कि शायद ये पुलिसवाले उस बचा लेंगे। परन्तु ऐसा कुछ नहीं हुआ और उल्टे पुलिसवालों ने उन साधुओं को उस रक्तपिपासू भीड़ के हवाले कर दिया।

https://twitter.com/anjanaomkashyap/status/1251891876270989312

पालघर की इस घटना से जुड़ी कई ऐसे वीडियो सामने आयीं हैं, जिसमें स्पष्ट दिख रहा था कि उपस्थित पुलिस संख्याबल के हिसाब से आराम से भीड़ को काबू में कर सकती थी, परन्तु उसने ऐसा कुछ नहीं किया, और शिवाजी महाराज और बालासाहेब ठाकरे को जन्म देने वाली भूमि निर्दोष साधुओं के रक्त से कलंकित हो गई। जब जब साधु पुलिसवाले से मदद मांगता, तो साधु को दुत्कारने में उसे ज़रा भी शर्म नहीं आती।

उधर मीडिया ने उद्धव सरकार और राज्य पुलिस का बचाव करने के लिए ये दावा किया कि वे साधु इसलिए मारे गए क्योंकि उन पर चोरी का आरोप था। वास्तव में साधु और उनके ड्राइवर अपने गुरु की अंत्येष्टि में शामिल होने गए थे, परन्तु उन्हें चोर समझ कर मार दिया गया।

जूना अखाड़ा ने दावा किया कि भीड़ ने साधुओं की हत्या करने के बाद उनके गाड़ी से 50000 रुपए और स्वर्ण आभूषण लूट लिए थे। भला चोर को मारकर ऐसे कौन लूटपाट करता है।

https://twitter.com/BBTheorist/status/1251943308709867520

और पुलिस पालघर में कर क्या रही थी? इस पूरे प्रकरण में उनकी भूमिका पर ना सिर्फ सवाल खड़ा होते हैं, अपितु उनकी प्रतिबद्धता भी संदेह के घेरे में आती है। कौन सी पुलिस दो निर्दोष साधुओं को एक रक्तपिपासु भीड़ को यूं ही हवाले कर देती है?

बता दें कि जूना अखाड़ा देश के सबसे प्राचीन अखाड़ों में से एक है, और दो वर्ष पहले उन्होंने एक दलित को महामंडलेश्वर का पद दिया था। अब एक धार्मिक संगठन जो एक दलित को महामंडलेश्वर का पद दे, वह भला महाराष्ट्र के ब्राह्मण विरोधी पार्टियों को कैसे सुहाएगा?

जिस तरह से साधुओं को मारा गया था, उसी तरह से स्पष्ट सिद्ध होता है कि इन्हें नक्सली शैली में मारा गया था, और पालघर तो नक्सलियों का गढ़ भी माना जाता है।

आदिवासी बहुल इलाके में ये कोई नई बात नहीं है। यहां पर तो पिछले वर्ष एक वीडियो भी वायरल हुई थी, जिसमें ईसाई मिशनरी हिन्दू देवी देवताओं को गालियां देते हुए इसाई धर्म अपनाने को कह रहे थे।

https://twitter.com/BBTheorist/status/1251883696300400640

 

 

जो पालघर में हुआ वह बर्बरता की पराकाष्ठा है, और जिस तरह प्रशासन इसपर आंखें मूंदी हुई है, उसके लिए हर निंदा और अपशब्द कम पड़ेगा

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