चीन ने कैसे कोरोनावायरस को दुनिया के सामने आने से रोका और कैसे इस वायरस को महामारी बनने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई, इसको लेकर आए दिन सनसनीखेज खुलासे होते जा रहे हैं। हाल ही में सामने आई कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का उल्लेख किया गया है कि चीन ने उस डॉक्टर के साथ कैसा बर्ताव किया जिसने सबसे पहले “किसी नई बीमारी” के आने के बारे में मेडिकल क्षेत्र से जुड़े अपने कुछ दोस्तों को बताया था।
आई फेन नाम की इस डॉक्टर ने जब अपने हॉस्पिटल में अन्य स्टाफ वर्कर्स को इसके बारे में बताया तो अस्पताल की ओर से उसे इस बारे में कुछ भी बोलने और “अफवाह फैलाने” से बाज़ आने को कहा। इसके अलावा जब फेन ने एक मैगज़ीन को इस वायरस से संबन्धित इंटरव्यू दिया, तो चीनी अधिकारियों ने चीन की सोशल मीडिया से उस इंटरव्यू को हटाने की भरपूर कोशिश की। हालांकि, वुहान के लोगों ने उस इंटरव्यू के स्क्रीनशॉट अपने पास रख लिए और उस इंटरव्यू की ट्रांस्क्रिप्ट को कोड भाषा में आगे शेयर करना शुरू किया। स्पष्ट है कि ना सिर्फ चीनी अधिकारियों ने दुनिया से इस वायरस को छुपाने की कोशिश की बल्कि वुहान के लोगों ने भी चीनी सरकार को मात देने के अलग-अलग उपाय ढूँढे।
बता दें कि आई फेन वुहान के एक अस्पताल में एमर्जेंसी वार्ड की हेड थी। 30 दिसंबर को फेन ने देखा कि अस्पताल में फ्लू के लक्षणों के साथ कई मरीज़ आ रहे हैं। इसके अलावा उस अस्पताल के कई मेडिकल स्टाफ वर्कर भी अपनी जाने गंवा रहे थे। उस वक्त फेन ने जब लैब से एक टेस्ट रिपोर्ट मंगाई तो रिपोर्ट देखकर उसके पसीने छूट गए। उस रिपोर्ट पर “Sars Coronavirus” शब्द लिखा हुआ था। फेन ने उस शब्द को लाल पेन से मार्क किया और उसकी फोटो लेकर अपने सभी मेडिकल क्षेत्र के मित्रों में उसे शेयर कर दिया, जिसके बाद वह संदेश उस दिन शाम तक वुहान के लगभग सभी डॉक्टर्स तक पहुँच गया था। उसके बाद ही अस्पताल की ओर से फेन को चेतावनी दी गयी थी ।
बाद में आई फेन ने एक मैगज़ीन को भी इंटरव्यू दिया जिसमें उसने इस नई बीमारी के बारे में बताया और इसके साथ ही यह भी बताया कि कैसे अस्पताल ने उसकी जुबान बंद करने के लिए उसको धमकी तक दी। वुहान वायरस पर दिया उसका यह इंटरव्यू देखते ही देखते चीन कि सोशल मीडिया में वायरल हो गया। चीन ने सोशल मीडिया से उसके इंटरव्यू को हटाने की भरपूर कोशिश की लेकिन चीन के लोगों ने उस इंटरव्यू की ट्रांस्क्रिप्ट को कोड भाषा और इमोजी की भाषा में साझा करना शुरू कर दिया और उस संदेश के स्क्रीनशॉट्स भी अपने पास रख लिए। चीन उस डॉक्टर आई फेन के संदेश को नहीं रोक पाया लेकिन चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने आई फेन को अगवा करवा लिया है और आज उस डॉक्टर का किसी को कोई अता-पता नहीं है।
आई फेन के साथ अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर और कोरोना वायरस की जानकारी सबसे पहले सार्वजनिक करने वाले whistleblower ली वेन्लियांग की पहले ही कोरोनावायरस के चलते मौत हो चुकी है। ये डॉक्टर अपने दम पर इस विश्व को कोरोना की तबाही से बचा सकते थे, ये डॉक्टर सभी लोगों को चेतावनी देकर उन्हें इस बीमारी के प्रकोप से बचा सकते थे, लेकिन चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने इन्हें ठिकाने लगाना ही उचित समझा। आज जब यह वायरस दुनियाभर में 60 हज़ार लोगों की जान ले चुका है और जब 1 मिलियन से ज़्यादा लोग इस वायरस से ग्रसित हो चुके हैं, तो हमें इसके पीछे चीन की कम्युनिस्ट सरकार की भूमिका को कभी नहीं भूलना चाहिए।