वुहान वायरस के कारण चीन के साथ अपने संबंध समाप्त करने की शुरुआत हो चुकी है। और इसकी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया के एक शहर वागा-वग्गा से हुई है। चीन के कारण पूरे विश्व में मौत और तबाही मचाने के लिए चीन के Kunming शहर से ऑस्ट्रेलिया ने अपने सारे रिश्ते खत्म कर दिए हैं।
पिछली रात वग्गा-वग्गा की परिषद ने प्रस्ताव पारित करने के लिए मतदान किया। इसे तीन conservative पार्षदों के समर्थन के माध्यम से लाया गया था, जबकि शहर के महापौर ग्रेग कोन्की सहित अन्य, अनुपस्थित थे।
Wion की रिपोर्ट के अनुसार इस प्रस्ताव को लाने वाले पार्षद, डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष, पॉल फननेल ने स्पष्ट रूप से कहा-
“चीनी कम्युनिस्ट सरकार जो झूठ बोलने और डैमेज कंट्रोल करने में विश्वास रखती है, उससे कम्युनिस्ट शासन के साथ परिषद का संबंध नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए इसी चीनी शासन ने कोरोना के लिए अमेरिका की मिलिटरी पर आरोप लगाए थे।”
उन्होंने कहा इसी कम्युनिस्ट शासन ने COVID-19 से दुनिया भर में मौत और विनाश का तांडव मचाया है। उन्होंने आगे कहा, “यदि हम लोकतांत्रिक विरोधी संगठनों के साथ संबंध नहीं तोड़ते हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि, पीआरसी शासन जो भी कर रहा है उसे हम मौन स्वीकृति दे रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, “हमें COVID-19 के सभी पीड़ितों, स्वास्थ्य कर्मचारियों, फ्रंटलाइन सेवाओं और अमेरिका की फोर्ट लीवेनवर्थ जैसी सिस्टर सिटी और दोस्तों के साथ एकजुटता दिखानी चाहिए। हमें उस शासन के साथ एकजुटता नहीं दिखानी चाहिए जो इस विनाश के लिए जिम्मेदार है।
चीन ने न सिर्फ कोरोना फैलाया बल्कि अपने बिजनेस के लिए अन्य देशों को घटिया मास्क और टेस्टिंग किट भी बेचा जिससे कई देशों में समस्याएं उत्पन्न हुईं, इसी वजह से कई देशों ने तो चीन के मेडिकल उपकरण उसे वापस लौटा दिया था।
चीन के प्रति इसी तरह का रुख चेक गणराज्य की राजधानी के मेयर के तरफ से भी आया था। प्राग शहर के मेयर Zdenek Hrib उनके मुताबिक चीन कोरोना के समय मदद पहुंचाकर जिस तरह अपने आप को दुनिया के मसीहा की तरह पेश करने की कोशिश कर रहा है, वह एक दम बकवास है और सही मायनों में चीन बिजनेस कर रहा है। प्राग शहर के मेयर Zdenek Hrib शुरू से ही चीन के धुर विरोधी माने जाते हैं और वे समय-समय पर चीन की आलोचना करने से बिलकुल भी घबराते नहीं हैं।
यह बात जानने वाली है कि चीन के वजह से ही ऑस्ट्रेलिया में मास्क की कमी हो गयी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में मास्क और हैंड सेनिटाइजर जैसी आवश्यक चीजों की कमी हो गयी थी और इसका कारण कोई और नहीं बल्कि चीन सरकार समर्थित कंपनियां थी जो पहले ही मेडिकल सामग्रियां ऑस्ट्रेलिया से खरीद कर चीन एक्सपोर्ट कर चुकी थी। ऐसे देश के साथ संबंध रखना अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है।
बता दें कि चीन के वुहान में मौजूद वेट मार्केट्स से यह वायरस फैला और फिर चीन के सत्तावादी मॉडल ने इसे फैलाने में भरपूर मदद की। दुनिया को चीन की इस करतूत के लिए ना सिर्फ उसे कटघरे में खड़ा करना चाहिए बल्कि इस महामारी को हल्के में लेने के लिए जरूरत पड़ने पर चीन पर प्रतिबंध लगाने का विचार करना चाहिए।
चीन अब अपनी ज़िम्मेदारी से भागने की भरपूर कोशिश कर रहा है। पहले तो चीन ने कहा कि यह वायरस उसके यहाँ नहीं पनपा और यह बाहर से फैलाया गया है। अब चीन ने सीधे तौर पर अमेरिकी सेना पर इस वायरस को फैलाने के आरोप लगा दिया था। चीन के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट के जरिये अमेरिका पर यह आरोप लगाया था।
चीन इस बीमारी से जुड़े गंभीर डेटा को दुनिया को मुहैया कराने से परहेज करता आ रहा है। अगर चीन तीन महीनों में जुटाया गंभीर डेटा दुनिया के साथ साझा करने के लिए तैयार हो जाता तो इससे दुनियाभर में कोरोना को काबू करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।
जिस तरह से वागा-वग्गा ने चीन से अपने संबंध तोड़े हैं वो दुनिया के लिए मिसाल है और अन्य देशों को भी कोरोना वायरस देने के एवज में चीन के साथ यही बर्ताव करना चाहिए।