“कोरोनावायरस जानलेवा नहीं है, और ना ही यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है”, जनवरी महीने में जब चीन के यहाँ एक महीने से कोरोनावायरस से लोगों की जानें जा रही थीं, तो उस वक्त चीन पूरी दुनिया को यही झूठ परोस रहा था। चीन का पिट्ठू WHO भी तोते की तरह वही रट लगाए जा रहा था, जो चीन उसे कह रहा था, वो भी किसी जांच पड़ताल के। अब जब इस दुनिया में साढ़े 13 लाख लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और लगभग 75 हज़ार लोगों की जानें जा चुकी हैं, तो दुनिया को समझ आया है कि चीन ने दुनिया को बिलकुल झूठे आंकड़े दिये, जिसकी वजह से दुनिया कभी इस वायरस के असल खतरे को भाँप ही नहीं पाई और आज इतनी बड़ी संख्या में सभी देशों को अपने नागरिकों की जान गंवानी पड़ रही है।
14 जनवरी को WHO ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उसने कहा था “चीनी प्रशासन की जांच में यह बात सामने निकलकर आई है कि यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है”। ना तो चीनी अधिकारियों ने यहां सच बोलने की कोशिश की और ना ही WHO ने चीन के इस दावे का सच पता लगाने का प्रयास किया।
Preliminary investigations conducted by the Chinese authorities have found no clear evidence of human-to-human transmission of the novel #coronavirus (2019-nCoV) identified in #Wuhan, #China🇨🇳. pic.twitter.com/Fnl5P877VG
— World Health Organization (WHO) (@WHO) January 14, 2020
इसी के साथ-साथ चीन ने दुनिया को अपने यहां कोरोनावायरस मामलों के ऐसे झूठे आंकड़े पेश किए ताकि Covid-19 के रोगियों का मृत्यु दर उसके एजेंडे के हिसाब से सही बैठे। चीन के बेहद अविश्वसनीय आंकड़ों के मुताबिक चीन में कोरोना के कुल 81 हज़ार मामले आए, जिसमें से केवल 3300 लोगों की ही जान गयी। यह मृत्यु दर 4 प्रतिशत के आसपास बैठता है। अब देखते हैं बाकी देशों में कोरोना के रोगियों में मृत्यु दर कितने प्रतिशत है।
अमेरिका के बाल्टीमोर स्थित जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक, यूरोपीय देश इटली में मृत्युदर विश्व में सबसे ज्यादा है। यहां 12.3 फीसदी कोरोनावायरस रोगियों की मौत हो रही है। इसी तरह फ्रांस, नीदरलैंड और स्पेन जैसे दूसरे यूरोपीय देशों में भी मृत्युदर अधिक है। फ्रांस में 100 करोनो संक्रमितों में 10, नीदरलैंड में 9.4 और स्पेन में 9.4 लोगों की मौत हो रही है। EU से अलग हो चुके ब्रिटेन में 100 मरीजों में 9.3 लोगों की मौत हो रही है। वहीं, बेल्जियम में 6.8 और ईरान में 6.2 प्रतिशत की दर से कोरोनावायरस मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं।
अब आपको इस बीमारी से जुड़ा एक और भयावह आंकड़ा बताते हैं। दुनिया में कोरोना से जुड़े जितने मामले भी Close हो रहे हैं, उनमें से केवल 80 प्रतिशत मरीज ही स्वस्थ हो पाते हैं और बाकी 20 प्रतिशत मरीज अपनी जान गंवा रहे हैं। दुनिया में कोरोना के कुल 13 लाख से ज़्यादा मामलों में से लगभग 3 लाख 60 हज़ार मामले Close हो चुके हैं, लेकिन गंभीर बात यह है कि इन 3 लाख 60 हज़ार लोगों में से 21 प्रतिशत लोगों ने अपनी जानें गंवाई है जबकि बाकी के 79 प्रतिशत लोग ही दोबारा स्वस्थ हो पाये हैं।
भारत और अमेरिका जैसे देशों में अभी कोरोनावायरस के रोगियों में मृत्यु दर दुनिया के अन्य देशों के मुक़ाबले थोड़ी कम है। भारत में हर 100 कोरोना मरीजों में 2.75 लोगों की मौत हो रही है। भारत के मुकाबले अमेरिका में 100 कोरोना मरीजों पर 2.6 लोगों की मौत हो रही है। इसका कारण यह है कि भारत में अभी इस बीमारी ने विकराल रूप धारण नहीं किया है और अमेरिका में बेहतर हैल्थ केयर सुविधाओं की मदद से अधिक से अधिक लोगों का इलाज़ किया जा रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में यह आंकड़ा और भी ज़्यादा बढ़ सकता है। भारत में भी तबलीगी जमात कांड के बाद से कोरोनावायरस के मामलों में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है, जिसके बाद अब यहां भी इस बीमारी से संकट बढ़ने का खतरा मंडराने लगा है। वो तो शुक्र है कि भारत ने समय रहते लॉकडाउन कर लिया वरना भारत में कोरोना के ये आंकड़े और भी ज़्यादा दुखद हो सकते थे।
अगर चीन ने समय रहते दुनिया को इस बीमारी के गंभीर परिणामों के बारे में बताया होता और समय रहते वुहान को पूरी तरह बंद कर दिया होता, तो आज शायद दुनिया के सामने इतना बड़ा संकट नहीं आता, लेकिन चीन ने इन आंकड़ों को सबसे छुपाया, गलत और भ्रामक आंकड़ों से पूरे विश्व को भ्रमित किया, इधर पूरे विश्व को चीन की इन गलतियों का पाप भुगतना पड़ रहा है।