कुछ दिनों पहले हमने आपको बताया था कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार किस प्रकार विदेशी पत्रकारों को अपने यहां बुलाकर 10 महीनों का कोर्स कराती है और इस दौरान उन पत्रकारों को मुफ्त में चीन की सैर कराई जाती है और इस कोर्स के बदले में पत्रकारों को पैसा भी दिया जाता है। लगता है कि कम्युनिस्ट पार्टी के उस कोर्स का कुछ भारतीय पत्रकारों पर ज़्यादा ही असर हो रहा है, निष्पक्ष पत्रकार रवीश कुमार की हाल ही की एक रिपोर्ट पर नज़र डालेंगे तो आप इसे बखूबी समझ पाएंगे।
एक तरफ जहां पूरा विश्व कोरोना वायरस के फैलाव के लिए चीन की जवाबदेही तय कर रहा है, तो दूसरी तरह रवीश कुमार अब खुलकर चीन के समर्थन में उतर आए हैं और वे भारत में चीन के किसी प्रवक्ता की तरह बर्ताव करने लगे हैं। इसी कड़ी में अपनी एक रिपोर्ट में रवीश ने यह दावा किया कि सभी देश अपनी ज़िम्मेदारी से भागने के लिए चीन को बलि का बकरा बनाने पर तुले हुए हैं।
रवीश कुमार के मुताबिक-
“अगर बार-बार आपके सामने चीन की थ्योरी लाई जा रही है तो समझिएगा, खबरों का अकाल है और सरकार द्वारा अपनी जवाबदेही को छुपाने के लिए ये चीन की थ्योरी लाई गयी है। इसीलिए चीन को निशाना बनाया जा रहा है। अब जब अर्थव्यवस्थाओं के तबाह होने से करोड़ों लोगों की ज़िंदगी भुखमरी के कगार पर, बेरोजगारी के कगार पर पहुँच गयी है, तब जाकर सरकारें सचेत हो रही हैं कि कहीं जनता उनसे ये ना पूछने लगे कि आप जनवरी, फरवरी और आधे मार्च तक क्या कर रहे थे, इसी जवाबदेही से बचने के लिए कहीं पर जमात दुश्मन है, तो कहीं पर चीन दुश्मन है”।
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कुल मिलाकर रवीश कुमार ने यह कहने की कोशिश की है कि आज जो कुछ भी तबाही देखने को मिल रही है, उसके लिए चीन नहीं, बल्कि ये देश खुद जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही उन्होंने इस बात की ओर भी इशारा किया कि कैसे तबलीगी जमात को भारत में बलि का बकरा बनाया जा रहा है। बात भारत की करें तो यहां 135 करोड़ की आबादी होने के बाद भी कोरोना से मरने वाले लोगों का आंकड़ा 500 के आसपास पहुंचा है। इसलिए भारत में केंद्र सरकार को किसी के ऊपर दोष मढ़ने की कोई आवश्यकता ही नहीं है। दूसरा रवीश कुमार जब यह कहते हैं कि मार्च तक सरकार ने कुछ नहीं किया, तो वे सिर्फ झूठ ही परोस रहे होते हैं।
ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ने चीन और हॉन्ग कॉन्ग से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग करना 18 जनवरी को ही शुरू कर दिया था, जबकि 30 जनवरी को जाकर भारत में पहला कोरोना का केस मिला था। 3 फरवरी को भारत ने सभी चीनी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिये थे। इसके बाद भारत ने फरवरी महीने के अंत आते-आते लगभग सभी देशों से आने वाली फ्लाइट्स के यात्रियों की स्क्रीनिंग करना शुरू कर दिया था और उसके बाद मार्च के अंत में तो देशभर में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था। दुनिया इस बात को मानती है कि भारत ने कोरोना की रोकथाम के लिए सबसे पहले कदम उठाए, इसीलिए आज यहाँ केस इतने कम हैं।
वहीं रवीश जिस चीन का बचाव कर रहे हैं, उस पर ना सिर्फ कोरोना के आंकड़े छिपाने के आरोप लग रहे हैं, बल्कि उस पर इस आपदा के समय दुनिया को घटिया क्वालिटी का सामान बेचकर मुनाफा कमाने के भी आरोप लगाए जा रहे हैं। चीन अगर चाहता तो इस वायरस को वुहान में ही रोक सकता था, चीन अगर चाहता तो SARS वायरस के फैलाव से कुछ सीख लेकर अपनी वेट मार्केट्स पर काबू पा सकता था, लेकिन चीन ने कुछ नहीं सीखा और इस वायरस को दुनियाभर में फैला डाला। यह बात हर व्यक्ति बड़ी आसानी से समझ सकता है जिसकी आँखों पर चीन की पट्टी नहीं बंधी हो।
अब बात अगर तबलीगी जमात की करें तो इसमें कोई शक नहीं है कि जमात ने कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को कमजोर करने का काम किया है। चाहे सभी नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर भीड़ जुटाना हो, या फिर स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बुरा व्यवहार करना हो, थूककर कोरोना का आतंक फैलाना हो या फिर इन लोगों को एक्सपोज कर रही मीडिया को सरेआम धमकी देना हो, तबलीगी जमात ने हर पैमाने पर अपने आप को एक घटिया, स्तरहीन और कट्टरपंथी सोच से प्रेरित संगठन के तौर पर प्रदर्शित किया है।
यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत के सभी राज्यों में कोरोना फैलाने का सबसे बड़ा कारण तबलीगी जमात ही बनकर उभरा है। उदाहरण के लिए दिल्ली में कोरोना के कुल 2200 मामलों में से अधिकतर तबलीगी से जुड़े हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार तमिलनाडु में 84 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 61% और उत्तर प्रदेश में 59 फीसदी मरीज के तार तबलीगी जमात कार्यक्रम से जुडे हुए हैं।
अब आपको तबलीगी से जुड़े और भी भयावह आंकड़े दिखाते हैं। आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि अगर तब्लीगी जमात से जुड़े संक्रमण के मामले नहीं आए होते तो देश में कुल मामले बढ़ने की रफ्तार आधी होती।
इस महीने की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बयान दिया था-
“इस समय कोरोना के मरीजों की कुल संख्या को दोगुना होने में 4.1 दिन का समय लग रहा है। यदि तब्लीगी जमात के मरीजों को इसमें से हटा दिया जाए तो यह रफ्तार अब भी आधी है। तब्लीगी जमात से इतर मरीजों की संख्या को दोगुनी होने में अभी 7.4 दिन का वक्त लग रहा है”।
इससे आप समझ सकते हैं कि कैसे तबलीगी ने देश के रिकॉर्ड को बिगाड़ कर रख दिया।
यह बात सच है कि दुनिया कोरोना के कारण चीन को जिम्मेदार ठहरा रही है, लेकिन इसमें गलत है ही क्या? चीन ने जिस तरीके से इस स्थिति का सामना किया, वह बेहद विवादित रहा है, और सभी देश चीन की जांच करने की बात कह रहे हैं। वहीं भारत में तबलीगी के कांड का बच्चे-बच्चे को पता चल चुका है। रवीश कुमार को अपना एजेंडा परे रख सच्चाई का सामना करने की हिम्मत दिखानी चाहिए। दुनिया में चीन और भारत में तबलीगी के साथ वही व्यवहार किया जा रहा है, जिसके वे हकदार हैं।