“कूटनीति करो-राजनीति नहीं”, फ्रांस-अमेरिका में चीनी राजदूतों की इस गुंडागर्दी पर रोक लगानी ही होगी

चीन के राजदूत अपनी औकात भूल गए हैं, कल को ये भारत में भी ऐसा कर सकते हैं

राजदूत

अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों और संधियों का पालन करना चीन ने कभी सीखा ही नहीं और यही हाल उसके राजदूतों का भी है। कोरोना के समय में भी चीन के राजदूत फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों के आंतरिक मामलों में दख्ल देने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। अमेरिका जैसे देश में तो मीडिया भी चीन का गुणगान करती नज़र आ रही है जिसका चीन पूरा फायदा उठा रहा है। हालांकि, अब चीन ने अपनी सारी हदें पार कर दी हैं।

बात पहले करते हैं अमेरिका की, जहां चीन अपनी मीडिया और राजदूत के माध्यम से यह सुनिश्चित करने में लगा है कि कहीं डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति ना बन जाएँ। बीजिंग ने अब खुले तौर पर राष्ट्रपति ट्रम्प के विरोध में चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है, और अपने इस मंसूबे को पूरा करने में चीन अमेरिकी मीडिया का ही सहारा ले रहा है।

पिछले दिनों CNN ने खबर चलाई थी कि कोरोना चीन की नेवी को किसी भी प्रकार प्रभावित करने में अक्षम रहा है और चीन ने कोरोना को बड़े अच्छे ढंग से काबू किया है। CNN ने यह खबर ऐसे दिखाई थी मानो वह CCP का कोई मुखपत्र हो। अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स का सहारा लेकर CCP की सेना PLA ने भी अमेरिकी नेवी का मज़ाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। PLA ने दावा किया कि चीनी नेवी का तो कोरोना से कुछ नहीं बिगड़ा लेकिन अमेरिकी नेवी को कोरोना ने तबाह कर दिया है जो दिखाता है कि चीन की नेवी अमेरिका से ज़्यादा सक्षम है। राष्ट्रपति ट्रम्प के खिलाफ बोलने और उनके खिलाफ राजनीतिक एजेंडा चलाने का अधिकार CNN के पास तो है, लेकिन इस तरह चीन का CNN के पाले में खड़े होना अमेरिका के लिए खतरे की घंटी बजाता है।

चीन इस कदर तक अमेरिकी राजनीति में हस्तक्षेप कर रहा है कि जैसे ही अमेरिकी मीडिया ट्रम्प के पक्ष में कुछ रिपोर्टिंग करती है तो तुरंत चीन की मीडिया उसका खंडन करने के लिए आगे आ जाती है। उदाहरण के तौर पर पिछले जब Fox News ने यह दावा किया कि वुहान वायरस वुहान की किसी लैब में विकसित हुआ होगा, तो चीन के ग्लोबल टाइम्स ने तुरंत Fox News की इस खबर को फेक न्यूज़ करार दिया और fox news पर राष्ट्रपति ट्रम्प को दोबारा राष्ट्रपति बनाने में सहायता करने का आरोप लगाया। बड़ा सवाल यह है कि अगर FOX न्यूज़ ट्रम्प की मदद कर भी रहा है तो उससे ग्लोबल टाइम्स को इतनी पीड़ा क्यों पहुँच रही है।

ऐसे ही फ्रांस में भी देखने को मिला जहां फ्रांस में चीन के राजदूत ने एक लेख में फ्रांस के स्वास्थ्य कर्मियों और अधिकारियों को नैतिक तौर पर भ्रष्ट बता डाला। उस राजदूत ने फ्रांस के डॉक्टरों पर अपने स्वार्थ के लिए मरीजों और फ्रांस के नागरिकों को मरने के लिए छोड़ने का आरोप लगाया। इस लेख के माध्यम से चीन का मकसद कोरोना को हैंडल करने को लेकर पश्चिमी देशों की आलोचना करना था। हद तो तब हो गई जब उस राजदूत ने यह लेख चीन के दूतावास की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया। फ्रांस सरकार ने उस लेख पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए चीन के राजदूत को समन जारी कर दिया। बाद में पकड़े जाने पर चीन के विदेश मंत्रालय ने यह दावा किया कि उनके राजदूत ने फ्रांस के खिलाफ कभी कुछ बोला ही नहीं था।

https://twitter.com/AmbassadeChine/status/1249270545784455170?s=19

चीन का प्रोपेगैंडा अब यह है कि कैसे भी करके चीन को दुनिया का सबसे बढ़िया देश घोषित कर दिया जाये। इसके लिए फिर चाहे चीन को किसी देश के आंतरिक मामलों में ही दखल क्यों ना देना पड़े। ऐसा ही चलता रहा तो हमें जल्द ही भारत में मौजूद चीनी राजदूत के मुंह से भी भारत की आंतरिक राजनीति पर टिप्पणी देखने को मिल सकती है। भारत ने अब तक कोरोना को काबू करने में सफलता पाई है जो चीन को किसी भी सूरत पसंद नहीं आ रहा है। दुनिया को एकजुट होकर चीन के इन कदमों की निंदा करनी चाहिए अन्यथा चीन की यह कूटनीतिक गुंडागर्दी ऐसी ही दूसरे देशों के लिए बड़ा सिरदर्द बनकर उभरती रहेगी।

Exit mobile version