यदि चीन के वर्तमान व्यवहार पर आप एक दृष्टि डालें, तो एक कहावत स्पष्ट चरितार्थ होगी – चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाए। वुहान वायरस के प्रकोप से पूरे विश्व में त्राहिमाम मचाने के बाद भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, और उसके राजनयिक कई देशों में काफी हेकड़ी से पेश आ रहे हैं। यकीन नहीं होता तो इस ट्वीट को देखें जिसमें चीनी दूतावास गैर-राजनयिक भाषा का इस्तेमाल कर रहा है।
You are right that the "low class" Chinese government are serving 1.4billion Chinese people, even the grass root or the " lowest class" included. Total death in #China #pandemic is 3344 till today, much smaller than your western "high class" governments. Who are cursed?
— Chinese Embassy in Sri Lanka (@ChinaEmbSL) April 9, 2020
परन्तु चीनी दूतावास के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा इस तरह से आक्रामक और व्यंग्यात्मक भाषा का सहारा लेने की खबर को किसी भी मीडिया आउटलेट ने नहीं दिखाया। हर कोई पाकिस्तान की तरह तो नहीं है, इसलिए कुछ देशों ने चीन की हेकड़ी के सामने झुकना बंद कर दिया और एक स्पष्ट संदेश भेजा – बस, अब और नहीं। श्रीलंका ने हाल ही में हेकड़ी दिखाने के लिए चीनी एंबेसी के ट्विटर अकाउंट को कुछ समय के लिए निलंबित तक करवा दिया।
#Gravitas | The Chinese embassy in Sri Lanka is drawing flak for its unparliamentary language and undiplomatic actions. The embassy's Twitter account was temporarily suspended.
Meanwhile, the Chinese embassy in India has slammed 'certain Indian media'. @palkisu gets you a report pic.twitter.com/sRf52A4KOE— WION (@WIONews) April 14, 2020
सोमवार को चीनी दूतावास ने अपने ट्विटर अकाउंट पर विश्व आर्थिक फोरम की बातों को दोहराते हुए कहा, इस महामारी को चाइनीज वायरस का नाम ना दें, ये आग से खेलने का सामान होगा।
इस पर जब श्रीलंकाई राजनयिकों ने आपत्ति जताई तो चीनी दूतावास का ट्विटर अकाउंट उनसे भीड़ गया। शायद चीन अभी भी इस गलतफहमी में है कि श्रीलंका उसका गुलाम है और वो उसके विरुद्ध आवाज भी नहीं उठा सकता।
परन्तु चीनी दूतावास को तब गहरा झटका लगा, जब ट्विटर में किसी अज्ञात व्यक्ति ने रिपोर्ट कर दिया। इसके बाद माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने गैर-राजनयिक भाषा का उपयोग करने के लिए चीनी दूतावास के अकाउंट के संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया था। चीन की सारी हेकड़ी फुस्स हो गई और कक्षा दो के बच्चे की भांति वह विलाप करने लगा।
हालांकि, ट्विटर ने सारा किए कराए पर पानी फेरते हुए इसे एक टेक्निकल गलती बताया और 24 घंटों में चीनी दूतावास का अकाउंट बहाल कर दिया। इसके बाद चीन ने अपनी गलती के लिए माफ़ी भी मांगी लेकिन इसे अपनी विजय के तौर पर बढ़ा चढ़ाकर पेश करने में चीन ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
The Embassy feels regretful to this “systematic mistake”, and would like to reiterate that the #FreedomOfSpeech ” must be honored, while not be misused to spread groundless, racial or hatred speech, nor be treated with #doublestandards ”.
— Chinese Embassy in Sri Lanka (@ChinaEmbSL) April 14, 2020
परन्तु श्रीलंका अकेला ऐसा देश नहीं है, जिसने चीन को उसकी हेकड़ी के लिए आड़े हाथों लिया हो। पेरिस में चीनी दूतावास ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपना एजेंडा साधने की कोशिश की थी जिसके कारण फ्रांस के विदेश मंत्रालय द्वारा चीनी राजदूत को समन भेजा। इस तरह से चीनी दूतावास ने फ्रांस-चीन संबंधों को शर्मसार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।
जिस ताइवान को दुनिया से अलग रखने के लिए चीन ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया, उसी ताइवान ने ना केवल जरूरतमंद देशों को आवश्यक उपकरण प्रदान करने की पेशकश की, बल्कि चीन को वुहान वायरस के प्रकोप के लिए ज़िम्मेदार ठहराने के लिए दिन रात एक किए पड़ा है।
चीन के लाख दबाने के बाद भी ताइवान कोरोना के समय में ऐसे देश के रूप में उभरा है जिसने चीन द्वारा कोरोना फैलाने के बाद किए जा रहे PR को तहस नहस कर दिया है। अब वह चीन की आंखो में आंखे डाल कर बात कर रहा है।
यही नहीं, चीनी राजनयिकों ने भारत में भी सीमाएं लांघी है. कोलकाता में चीनी दूतावास ने वुहान वायरस की माहमारी के लिए चीन को दोष देने के लिए भारतीय मीडिया को चुप कराने की कोशिश की थी। वास्तव में बीजिंग चाहता है कि भारतीय मीडिया “चीन के कानूनों और नियमों” का पालन करे, और यही कारण है कि चीनी राजनयिकों ने कहा, “हाल ही में, कुछ भारतीय मीडिया ने उन तथ्यों को नजरअंदाज कर दिया, जिन्हें चीन ने आधिकारिक तौर पर जारी किया था और चीन पर वास्तविक आंकड़ा छुपाने का दोष मढ़ना जारी रखा था। ”
https://twitter.com/WilsonLeungWS/status/1247236410983067648?s=20
इलके अलावा, ऑस्ट्रेलिया की न्यूज़ पोर्टल द डेली टेलीग्राफ, ने भी एक चीनी राजनयिक की धमकियों पर उसे छठी का दूध याद दिला दिया था। चीनी राजनयिक का व्यवहार ऐसा है जो एक राजनयिक को शोभा नहीं देता। वास्तव में चीन अपने ही नागरिकों की तरह पूरी दुनिया को चलाना चाहता है. परन्तु दुनिया ने चीन के इस रवैया को इसी वजह से चीनी राजनयिक सार्वजनिक मंच पर इस तरह के व्यवहार करते हुए नजर आ रहे हैं