‘दीदी सैंपल ही नहीं भेज रही हैं, Test कैसे करें’, ICMR ने बताया बंगाल में जल्द ही फट सकता है कोरोना बम

टेस्ट मत करो और बताओ कि हमारे राज्य में 'सब ठीका आचे'

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वुहान वायरस ने विश्व भर में त्राहिमाम मचा रखा है। भारत में भले ही मामले 10000 के पार चले गए हों, परन्तु यहां संक्रमण को रोकने हेतु ओड़िशा, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्य युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। परन्तु एक राज्य ऐसा भी है, जहां इस महामारी के प्रति शासन अभी भी बहुत लापरवाह है। यह है पश्चिम बंगाल, जहां ना केवल मामले दबाए जा रहे हैं, अपितु मरीजों एवं डॉक्टरों की जान के साथ प्रतिदिन खिलवाड़ किया जा रहा है। अब ICMR की माने तो बंगाल महाराष्ट्र और दिल्ली को भी बहुत पीछे छोड़ सकता है, और उसकी वर्तमान स्थिति एक सक्रिय टाइम बॉम्ब से कम नहीं है।

इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान ICMR के कोलकाता स्थित टेस्टिंग सेंटर के निदेशक डॉ शांता दत्ता ने बताया कि कैसे राज्य सरकार यह तय कर रही है कि कितने सैंपल भेजे जाएं। डॉ शांता दत्ता के अनुसार,

“स्थिति तो यह है कि हम प्रतिदिन 20 सैंपल भी टेस्ट नहीं कर पाते। हम जो सुझाव देते हैं, उस हिसाब से सैंपल इकट्ठा किए ही नहीं जाते। पहले तो केवल हम ही बंगाल में टेस्टिंग कर रहे थे, परन्तु अब चूंकि अन्य सेंटर भी खुल चुके हैं, इसलिए हमारे सेंटर को प्राप्त होने वाले सैंपल बहुत कम हैं”.

इतना ही नहीं, ममता बनर्जी के टेस्टिंग किट की किल्लत होने के दावे को झुठलाते हुए डॉ. शांता दत्ता बताते हैं-

ऐसा कुछ भी नहीं है। हमें अब तक ICMR से 42500 टेस्ट किट प्राप्त हुए हैं, और ओडिशा और अंडमान को अतिरिक्त किट भेजने के बाद भी हमारे पास स्टॉक में 27000 से ज़्यादा टेस्ट किट मौजूद हैं।

यूं तो आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार बंगाल में अब तक लगभग 200 लोगों के संक्रमण के मामले सामने आए हैं, लेकिन अगर डॉ. शांता दत्ता के खुलासों पर दृष्टि डालें, तो स्थिति और भी भयावह दिखती हैं। अब तक भारत में कुल 10,400 से कुछ अधिक मात्रा में लोग संक्रमित है, जिसमें 3,500 से अधिक केस तो केवल महाराष्ट्र और दिल्ली से ही आ रहे हैं।

परन्तु ममता बनर्जी को लगता है कि उनका इस समस्या से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं है। दिलचस्प बात तो यह है कि यह आंकड़ा इतना कम तब है, जब यह बात सिद्ध हो चुकी है कि तब्लीगी जमात के सदस्य बंगाल में छुपे हुए हैं। इसके पीछे स्वप्न दासगुप्ता ने भी सवाल उठाए हैं, और वे पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार के वेब पोर्टल में मामले अपडेट क्यों नहीं हो रहे.

पर बंगाल में असल में विवादों का केंद्र है बंगाल में विशेषज्ञों की एक कमेटी, जो यह तय करेगी कि कौन सी मृत्यु वुहान वायरस की वजह से हुई है, और कौन सी नहीं। इतना ही नहीं, जब मोहतरमा से तब्लीगी जमात के प्रभाव के बारे में पूछा जा रहा था, तो वे कहती हैं, आप मुझसे ऐसे सवाल ना पूछें। इसे देख तो एक बार को उद्धव भी बोल दे – भाऊ उतना भी बुरा नहीं हूं.

बंगाल में जो भी व्यक्ति वुहान वायरस से मर रहा है, उसकी मृत्यु पर अब इस कमेटी के निर्णय के कारण संदेह खड़ा हो गया है। बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार एक्स विशेषज्ञ कमेटी तय करेगी कि वुहान वायरस के कारण किसकी मृत्यु हुई।

लगता है ममता बनर्जी ने इस दिशा में चीन से काफी सीख लिए हैं। आधिकारिक रूप से 11 लोग बंगाल में मृत्यु को प्राप्त हुए हैं, परन्तु हाल की घटनाओं को देखते हुए यह आंकड़ा बहुत छोटा लग रहा है। बंगाल के शिबपुर इलाके में दफनाने को लेकर हुई हिंसक झड़प इस बात का परिचायक है कि कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है.

परन्तु यह पहली बार भी नहीं है, जब ममता बनर्जी ने इस प्रकार से राज्य में इस महामारी की भयावहता को छुपाने का प्रयास किया हो। डॉ. इंद्रनील खान ने बंगाल में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रदान की जा रही सुरक्षा उपकरणों की गुणवत्ता पर सवाल उठाया था।

डॉक्टर इंद्रनील ख़ान को रातोंरात पुलिस उठा कर ले गई और उन्हें हिरासत में ले लिया। परंतु डॉक्टर का दोष क्या था? उस डॉक्टर ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टर को दिये जा रहे आवश्यक Personal protective equipment की गुणवत्ता के बारे में सवाल उठाए थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि कैसे पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों को पीपीई के नाम पर घटिया सामान दिया जा रहा है। डॉक्टरों को रेनकोट तो नर्सों को biomedical वेस्ट वाले थैले पहनने के लिए दिये गए थे।

परन्तु ममता बनर्जी को डॉ इंद्रनील के सुझावों पर काम करने के बजाए उन्हें हिरासत में लेना ज़्यादा सरल दिखा। कुछ ही दिनों बाद डॉक्टर साब ने ट्वीट किया कि बंगाल सरकार काफी तन्मयता से इस विषय पर काम कर रही है और वे बंगाल सरकार के आभारी हैं, जो उनकी मांगों को स्वीकार किया। इसके अलावा किसी भी प्रकार की गलतफहमी के लिए भी उन्होंने सभी से क्षमा मांगी।

एक ओर जहां डॉक्टर घटिया सुरक्षा उपकरण के बारे में शिकायत कर रहे हैं, तो वहीं ममता बनर्जी को इस बात से आपत्ति है कि सुरक्षा उपकरण पीले रंग के क्यों हैं.

सच कहें तो ममता बनर्जी को अपने सत्ता की चिंता है, और यदि वुहान वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, तो ये उनके  राज्य के लिए काफी हानिकारक होगा। इसलिए अब वे जानबूझकर गलत आंकड़े पेश कर रही हैं, जिससे लगे कि बंगाल में सब कुछ ठीक है। ममता बनर्जी शी जिनपिंग के राह पर चल पड़ी है, और लगता है कि वे कई निर्दोषों की बलि चढ़ाकर ही तृप्त होगीं।

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