‘लोगों ने नहीं करने दिया डॉक्टरों का अंतिम संस्कार’, तमिलनाडु और मेघालय में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली का

जिसने हमारे लिए जिंदगी तक कुर्बान कर दी, उसे दो गज की जमीन भी नहीं नसीब

आज कोरोना के कारण देश कई मोर्चों पर लड़ रहा है, लेकिन देश के डाक्टरों और अन्य मेडिकल स्टाफ को भी कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ रही है। एक तरफ जहां उन पर तबलीगीओं द्वारा जांच के दौरान हमले किए जा रहे हैं तो वहीं, अब डॉक्टर  को उनकी मृत्यु के बाद भी उन्हें सुकून से दफनाने नहीं दिया जा रहा है और तो और फ्रंटलाइन पर डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ़ के साथ अभद्र व्यवहार भी कर रहे हैं। यह किसी एक स्थान की घटना नहीं है बल्कि, भारत के सभी हिस्सों में देखने को मिल रहा है। मेघालय से लेकर चेन्नई और केरल तक डॉक्टर की अन्त्योष्टि करने वालों पर हमला किया जा रहा है।

हालत यहाँ तक हो चुकी है कि चेन्नई के एक सर्जन को अपने सहयोगी डॉक्‍टर को फावड़ा और दो वार्ड बॉय की मदद से चेन्नई के कब्रिस्तान में रविवार की आधी रात को दफनाना पड़ा। इससे पहले ही उन्होंने दो कब्रिस्तानों पर दफनाने से रोका गया था। भीड़ ने कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका के मद्देनजर उनकी एंबुलेंस पर हमला कर दिया था। इससे पहले डॉक्‍टर साइमन हरक्यूलिस की मरीजों से संपर्क के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित हो गये थे। इसके बाद रविवार को मृत्यु हो गई थी, लेकिन जब उन्हें एक कब्रिस्तान में ले जाया जा रहा था तब भीड़ ने कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण की आशंका के चलते एंबुलेंस पर हमला कर दिया। हैरान कर देने वाली यह बात है कि पुलिस की मौजूदगी के बावजूद भीड़ ने ईंट, पत्थर, बोतलें और लाठियां बरसाईं जिससे एम्बुलेंस चालक और निगम के कुछ स्वास्थ्य अधिकारी घायल हो गए थे।

इससे पहले आंध्र प्रदेश में भी कोरोना की वजह से संक्रमित हुए डॉक्टर की मौत के बाद उनके अंतिम संस्कार को रोकने के लिए भीड़ ने ऐसे ही हमला बोला था। मेघालय और तमिलनाडु में भी इसी तरह की एक घटना सामने आई है।

तमिलनाडु में जहां कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बाद अपनी जान गंवाने वाले न्यूरोसर्जन को जब कुछ लोग दफना रहे थे, जिसमें डॉक्टर भी शामिल थे। तभी भीड़ ने उनपर हमला कर दिया। संक्रमित डॉक्टर की निजी अस्पताल में रविवार को मौत हो गई थी।

पूनमल्ली हाई रोड पर स्थित निजी अस्पताल के प्रमुख 55 वर्षीय डॉक्टर के शव को रविवार रात को किलपौक के पास चेन्नई कॉरपोरेशन के कब्रिस्तान में स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, सड़क पर 200 लोग इकट्ठा हो गए और उन्होंने विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया।

एक डॉक्टर प्रदीप कुमार ने कहा, ‘चेन्नई नगर निगम के कर्मचारियों ने सभी व्यवस्थाएं की थीं और हमारे साथ निजी अस्पताल से कब्रिस्तान तक आए थे। हालांकि, वहां पहुंचने पर हमने पाया कि लगभग 200 लोग वहां इकट्ठा हो चुके थे और उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया। पुलिस मौके पर मौजूद थी। निगम अधिकारियों ने कहा कि हमें अन्ना नगर (वेलांगु) में स्थित कब्रिस्तान जाना चाहिए। हम अन्य कब्रिस्तान पर पहुंचे। नियमों के अनुसार कब्रिस्तान में बहुत कम लोग मौजूद थे जिसमें डॉक्टर और परिवार के सदस्य शामिल थे।‘ 

उन्होंने घटना को याद करते हुए कहा, ‘अचानक वहां भी 50-60 लोग गए और उन्होंने हमपर हमला करना शुरू कर दिया। उन्होंने हमपर पत्थर फेंके और लाठी से मारना शुरू कर दिया। मौके पर करीब सात से आठ निगम कर्मचारी मौजूद थे। हमें हमले से बचने के लिए घटनास्थल से भागना पड़ा

मेघालय में जिस डॉक्टर ने अपनी पूरी जिंदगी मरीजों का इलाज करने में गुजार दी, जब उनकी मौत हुई तो उन्हें दो गज जमीन के लिए भी दो दिनों तक इंतजार करना पड़ा। मेघालय में कोरोना वायरस संक्रमण से जान गंवाने वाले पहले व्यक्ति 69 वर्षीय एक डॉक्टर को विरोध के कारण मौत के 36 घंटे बाद दफनाने दिया गया। एक शवदाह गृह ने कोरोना वायरस से जान गंवाने वाले लोगों के शवों को दफनाने लिए पीपीई नहीं होने और स्थानीय लोगों के विरोध का हवाला देते हुए डॉक्टर का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था। इससे पहले उनका परिवार शुरू में डॉ जॉन को री भोई जिले के नोंगपोह में दफनाना चाहता था, जहां उनका घर है, लेकिन क्षेत्र के अन्य निवासियों ने हंगामा खड़ा कर दिया और राज्य प्रशासन और डॉक्टर के परिवार को पीछे हटना पड़ा।

फिर उन्होंने शिलांग के झालुपारा इलाके में उनका अंतिम संस्कार करने का फैसला किया, लेकिन आसपास रहने वाले लोगों द्वारा फिर से इनकार कर दिया गया। और यह सब करते हुए, डॉक्टर का शरीर उस अस्पताल में पड़ा, जिसकी स्थापना उन्होंने लगभग दो दशक पहले की थी।

द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इन सबके बीच डॉक्टर का शरीर 36 घंटे तक उस अस्पताल में पड़ा था, जिसकी स्थापना उन्होंने लगभग दो दशक पहले की थी।

 

तमिलनाडु में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) के पूर्व स्टेट प्रेसीडेंट डॉ रविशंकर का कहना है कि, बिना सुरक्षा उपकरण के हम लोग लगातार महामारी का इलाज कर रहे है। मार्च के पहले से अंतिम हफ्ते तक तो पीपीई किट और मास्क कुछ ही डॉक्टरों को नसीब हुआ। उसके बाद भी लगातार हम सुरक्षा उपकरण मांग ही रहें पर, सरकार के कान में जूं नहीं रेंग रही। दूसरी तरफ, जिस जनता का हम इलाज कर रहे हैं वह भी पगलाई भीड़ सी हम पर टूट पड़ रही है। आखिर डॉक्टर की सुरक्षा कौन तय करेगा।

बात इनकी सही भी है। इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने चेतावनी दी कि यदि ऐसी घटनाएं रोकने में सरकारें असफल रहती हैं, तो उपयुक्त जवाबी कदम उठाये जाएंगे। डॉ. राजन शर्मा ने एक बार फिर डॉक्टर्स के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिए स्पेशल सेंट्रल लॉ की मांग की है।

यह केवल डॉक्टरों के साथ ही नहीं बल्कि नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ के साथ भी ऐसा ही बर्ताव कर रहे हैं जो बेहद शर्मनाक है।हमने पहले भी अपनी रिपोर्ट्स में बताया था कैसे मेडिकलन स्टाफ के साथ अभद्र व्यवहार हो रहा है, यहाँ तक कि उन्हें अपने निवास स्थान के इलाकों में भी लोगों की बदसलूकी का शिकार होना पड़ रहा है। चंडीगढ़ में तो एक डॉक्‍टर दंपती कोरोना मरीजों के इलाज में जुटा हुआ है और उनके सात साल के बेटे को देखभाल करने को तैयार नहीं है। इसलिए इस दंपती अपने बेटे काे घर में बंद करके अस्‍पताल जाना पड़ता है। वहीं, इंदौर और मुरादाबाद में स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर हमला हुआ था। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के साथ पुलिसकर्मियों की चुनौती बहुत बड़ी है लेकिन, समाज का रवैया चोट पहुंचाने वाला है और गंभीर सवाल उठाता है।

कुछ भी हो लेकिन कोरोना वायरस ने समाज में व्यापात गंदी मानसिकता को सभी के सामने सामने ला दिया है। पहले हमने तब्लीगी जमात के सदस्यों के साथ देखा था कि कैसे वे कोरोना वॉरियर्स पर पथराव कर रहे थे और फिर उनके साथ अभद्र व्यवहार कर रहे थे। अब इस तरह से इन कोरोना वॉरियर्स की मृत्यु के बाद किया गया हँगामा भी देख लिया। इस तरह की घटना समाज के छिछलेपन को दर्शाती है कि कैसे मनुष्य मनुष्यता को छोड़ चुका है। यह दिखाता है कि मानव समाज कितना नीचे गिर चुका है। शायद, समय बितने के साथ इन कोरोना वॉरियर्स का परिवार हमें माफ़ कर दे, लेकिन वुहान वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई में जो काला अध्याय लिखा गया है, वह हमेशा के लिए हमारे इतिहास में शामिल हो जाएगा।

 

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