कोरोना की रोकथाम के लिए सभी देशों ने social distancing और लॉकडाउन जैसे तरीकों को अपनाया हुआ है, जिसके कारण परिवार के परिवार एक साथ रहने को मजबूर हो गए हैं। कुछ लोग इसे सज़ा के तौर पर ले रहे हैं, तो कुछ लोग इसे अवसर के तौर पर ले रहे हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लॉकडाउन के समय में एक दूसरे के साथ रहना पसंद नहीं कर रहे हैं और अचानक बढ़ी इस नजदीकी के कारण ये लोग अब तंग आ चुके हैं।
यही कारण है कि दुनियाभर में हमें लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा, मारपीट, यौन शोषण और तलाक जैसे मामले उभरकर सामने आ रहे हैं। यह कहानी किसी एक देश की नहीं है बल्कि इसमें पूरी दुनिया के देश शामिल हैं और भारत भी उन्हीं देशों में से एक देश है।
दरअसल, भारत में राष्ट्रीय महिला आयोग ने हाल ही में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में एकाएक वृद्धि दर्ज की है। राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 23 मार्च 2020 से एक अप्रैल तक महिलाओं से हिंसा के अलग-अलग क्षेत्रों से मामले आ चुके हैं, जिनमें साइबर अपराध के 15 मामले, सम्मान के साथ जीने के अधिकार के संबंध में 77 शिकायतें और बलात्कार और रेप की कोशिश के 13 मामले मिल चुके हैं।
इस तरह से महिलाओं ने अब तक कुल 257 शिकायतें दर्ज करवाई हैं। जिसमें से 237 मामलों पर कार्रवाई की गई है। ये मामले तो सिर्फ महिलाओं पर होने वाले अत्याचार से ही जुड़े हैं। इस बात की भी संभावना है कि महिलाओं द्वारा भी पुरुषों को सताया जा रहा होगा लेकिन भारत जैसे देश में अब यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि कोई महिला भी पुरुष को मानसिक तौर पर परेशान कर सकती है। कुल मिलाकर भारत की स्थिति भी अच्छी नहीं है। लोग एक दूसरे के साथ ज़रूरत से ज़्यादा नजदीक रहना पसंद नहीं कर रहे हैं।
यही हाल दुनिया के बाकी देशों का है। उदाहरण के तौर पर सिंगापुर की एजेंसी- सीएनए, के अनुसार, वहां लॉकडाउन में घरेलू हिंसा में 33 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि फ्रांस में घरेलू हिंसा में 36 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
इसी तरह स्पेन में घरेलू हिंसा के लिए हेल्पलाइन पर सामान्य के मुक़ाबले 18 प्रतिशत ज़्यादा काल्स की जा रही हैं। इसी तरह अमेरिका में घरेलू हिंसा के मामलों में 35 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ है। इसी तरह 11 मार्च को जब तुर्की की सरकार ने देश में लॉक डाउन घोषित किया था, तो उसके बाद से महिलाओं को पति द्वारा जान से मारने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।
वहीं दक्षिण अफ्रीका में लॉक डाउन के दौरान घरेलू हिंसा के 90 हज़ार मामले दर्ज़ हो चुके हैं। अब ऑस्ट्रेलिया का हाल भी जान लीजिये। ऑस्ट्रेलिया में घरेलू हिंसा से निपटने के तरीकों से संबन्धित ऑनलाइन searches में 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
इसी पर प्रकाश डालते हुए हाल ही में UN के अध्यक्ष एंटोनियो गुटेरेस ने कहा था “हमें कोविड-19 को हराने के लिए युद्धक्षेत्र से लेकर घरों के अंदर तक, सभी तरह की हिंसाओं से मुक्ति पानी होगी”।
ये बात तो हुई घरेलू हिंसा की है। अब डर बढ़ गया है कि जैसे ही यह लॉकडाउन खत्म होगा, तो साथ में रह रहे परिवार टूटने की कगार पर पहुँच जाएंगे। आज लॉकडाउन के बाद दोबारा ओपन हो चुके चीन के वुहान शहर का यही हाल है। हुबई प्रांत में बड़ी संख्या में दंपत्ति एक दूसरे को तलाक दे रहे हैं।
दरअसल, चीन में इस वर्ष की शुरुआत से ही वुहान शहर को लॉकडाउन किया हुआ था, जिसके कारण ये सभी लोग जनवरी से लेकर अप्रैल महीने के शुरुआत तक अपने घरों में ही कैद थे। इस दौरान इन लोगों ने इतना ज़्यादा समय एक दूसरे के साथ बिता लिया कि ये तीन महीनो के क्वारंटाइन के बाद अब एक दूसरे का साथ हमेशा के लिए छोड़ना चाहते हैं। इसी का नतीजा है कि वुहान शहर में अब तलाक की दर पहले के मुकाबके 100 प्रतिशत बढ़ गयी है।
कुछ लोग इन हिंसक घटनाओं और तलाक का सबसे बड़ा कारण निजता के हनन को मान रहे हैं। दरअसल, जब घर के सारे लोग काफी समय तक एक दूसरे के साथ रहते हैं तो कुछ लोगों को निजता की समस्या से जूझना पड़ सकता है, खासकर कि भारत जैसे देशों में, जहां निजता को इतना महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता। गांवों में या भारत के कुछ ग्रामीण इलाकों में बहुओं को अगर सारा दिन घूँघट में रहने के लिए कहा जाये, तो उसकी पीड़ा को आप समझ सकते हैं।
अब इस समस्या से जूझ रहे प्रशासन के सामने भी बड़ी चुनौती पेश आ रही है और वह यह है कि वे चाहकर भी पीड़ित महिलाओं की मदद नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि पूरे देश-दुनिया के प्रशासन का अभी सारा ध्यान कोरोना की रोकथाम पर गया हुआ है और बाकी की शिकायतों पर पुलिस भी ध्यान नहीं दे पा रही है।
अगर एक दूसरे की निजता का सम्मान किया जाये, और इस लॉकडाउन को एक अवसर के तौर पर इस्तेमाल कर आपस में एक दूसरे को समझने की ओर ध्यान दिया जाये, तो शायद इस समस्या से निजात सब लोगों को मिल सकती है। घर से बाहर अगर बदलाव हुआ है, तो घर के अंदर भी बदलाव करना अब आवश्यक हो जाता है। ऐसे में हमें विवादों से बचकर आपसी तालमेल को बढ़ाने पर ही ज़ोर देना होगा, इसी के बाद हम इस लॉकडाउन को सफल कर सकेंगे। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमें इस बात का खासा ध्यान रखना होगा कि हम अपनों ही लड़ाई ना कर बैठें।