दिल्ली के निज़ामुद्दीन में मरकज से कोरोना फैलाने वाले संगठन तबलीगी के बारे में अब पोल खुलती जा रही है। इस संगठन का आतंकी नेटवर्क से गहरे संबंध की रिपोर्ट अब सभी के सामने खुलने लगी है। अलकायेदा से लेकर हरकत-उल-मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठन के साथ इसके संबंध होने की रिपोर्ट्स सामने आ रही है।
बता दें की तबलीगी जमात भारत में सभी अधिक कोरोना फैलाने वाला एक मात्र संगठन है जिसके जलसे में शामिल होने वाले 8000 से अधिक लोगों में से 10 की मृत्यु हो गयी और 40 से अधिक कोरोना पॉज़िटिव पाये गए हैं। यह संख्या बढ़ती ही जा रहे हैं और यह सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है बल्कि पूरे भारत सहित विश्व के कई देशों में भी है।
तब्लीगी जमात का पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जैसे हरकत-उल-मुजाहिदीन के साथ लंबे समय तक संबंध रहा है। Times Now की एक रिपोर्ट में पाकिस्तानी सुरक्षा विश्लेषकों और भारतीय पर्यवेक्षकों के अनुसार यह कहा गया है कि वर्ष 1999 में भारतीय एयरलाइंस फ़्लाइट 814 के अपहरण के लिए जाना जाने वाला आतंकी समूह हरकत-उल-मुजाहिदीन के मूल संस्थापक तब्लीगी जमात का सदस्य था।
बता दें कि 1985 में हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी (HuJI) के एक किरच समूह के रूप में, HuM ने अफगानिस्तान में USSR के शासन को उखाड़ फेंकने के लिए सोवियत सेना के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा समर्थित जिहाद में भाग लिया था। खुफिया पड़ताल के अनुसार, पाकिस्तान में HuM के आतंकी शिविरों में 6,000 से अधिक तब्लीगियों को प्रशिक्षित किया गया था।
भारत के खुफिया अधिकारी और सुरक्षा विशेषज्ञ स्वर्गीय बी. रमन द्वारा लिखे गए एक लेख के अनुसार, पाकिस्तान और बांग्लादेश में तब्लीगी जमात के “हरकत–उल–मुजाहिदीन जैसे जिहादी आतंकवादी संगठनों के साथ समय–समय कनेक्शन सामने आए हैं।“ क्रूसेडर्स और यहूदी लोगों के खिलाफ ओसामा बिन लादेन द्वारा बनाया गया संगठन अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक फ्रंट फॉर जिहाद में हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन शामिल थे।
1990 के दशक के पाकिस्तानी अखबार की खबरों का हवाला देते हुए, रमन ने बताया कि हूडी जैसे जिहादी आतंकवादी संगठनों के प्रशिक्षित कैडरों ने तब्लीगी जमात के प्रचारकों के रूप में वीजा प्राप्त किया और युवा मुसलमानों को पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण के लिए भर्ती करने के लिए विदेश गए।
वर्ष 2011 में विकीलिक्स द्वारा जारी गुप्त अमेरिकी दस्तावेजों से यह भी बात सामने आई थी कि अलकायदा (Alqaeda) के कुछ एजेंटो ने जमात का इस्तेमाल अपनी पाकिस्तान की यात्रा के लिए वीजा और फंड हासिल करने के लिए किया था।
साथ ही यह बात भी सामने आई थी कि अल-कायदा के operatives ने यात्रा दस्तावेजों के साथ-साथ आश्रय प्राप्त करने के लिए एक नई दिल्ली स्थित तब्लीगी जमात के ऑफिस मरकज़ का इस्तेमाल किया।
यही नहीं, स्ट्रैटफ़ोर की भी तबलीगी जमात और ग्लोबल जिहाद (Jihad) के संबंध पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि जमात और शिया विरोधी संप्रदाय समूहों, कश्मीरी आतंकवादियों और तालिबान के बीच ‘अप्रत्यक्ष कनेक्शन’ का सबूत है।
विकीलिक्स में यह भी बात सामने आयी थी कि 11 जुलाई, 2006 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमलों में तबलीगी जमात का भी कनेक्शन था। इस हमले में कम से कम 207 लोग मारे गए थे और 800 से अधिक घायल हुए थे।”
विकीलीक्स में खुलासा किया गया है कि उस operative को फिर नई दिल्ली में जमात तबलीगी के नेता से मिलवाया गया, जिसने उससे संगठन के लिए एक जीवन समर्पित करने के लिए कहा गया। यह कनेक्शन तबलीगी जमात के सदस्यों के इरादों और इस्लामिक जेहाद के नए रूप-स्वरूप के लिहाज से दुनिया भर के लिए बेहद खतरनाक संकेत दे रहा है।
यही नहीं 1 सितंबर 2008 को सोमालियाई operative मोहम्मद सोलिमन बर्रे पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में धर्मांतरण करवाने वाली संस्था जमात तबलीगी की पहचान अलकायदा कवर स्टोरी के रूप में की गई थी।
अलकायदा, तबलीगी जमात के सदस्यों की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा को सुविधाजनक बनाने और फंड देने का काम करती है।
मलेशिया के राजनीतिक वैज्ञानिक फ़ारिश नूर ने अपनी किताब Islam On Move में भी यही बाते कहीं हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व निदेशक और वर्तमान NSA अजीत डोभाल ने भी कहा कहा हैं कि,” इस संगठन में secretism की संस्कृति है, जो संदेह को विकसित करती है।”
जियोपॉलिटिकल इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म स्ट्रैटफोर ने तबलीगी जमात और उसके जिहादी अभियान पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जमात और शिया विरोधी संप्रदाय समूहों, कश्मीरी आतंकवादियों और तालिबान के बीच ‘अप्रत्यक्ष कनेक्शन’ का सबूत है।
तबलिगी जमात और उसका आतंकवादी संगठनों से कनेक्शन कई बार तथ्यों के साथ सामने आया। जिसमें अक्टूबर 2002 पोर्टलैंड सेवन और सितंबर 2002 लाकवाना संयुक्त राज्य अमेरिका में छह मामले, साथ ही अगस्त 2006 में लंदन से अमेरिका जाने वाली फ्लाइट में बम रखने की साजिश है। साथ ही 7 जुलाई 2005 को लंदन भूमिगत बम विस्फोट और जुलाई 2007 में लंदन और ग्लासगो, स्कॉटलैंड में बम विस्फोट में भी तबलीगी जमात का नाम सामने आया था।
जिसके बाद कहा गया कि तबलीगी जमात संगठन इस्लामिक चरमपंथियों के लिए और नए सदस्यों की भर्ती के लिए अलकायदा जैसे समूहों के लिए एक वास्तविक समूह के रूप में कार्य करता है।
एक और रिपोर्ट में यह कहती है कि 2017 के लंदन ब्रिज हमले में हमलावरों में से एक, यूसुफ ज़ाग्बा को तबलीगी जमात से जुड़ा था। वहीं वर्ष 2005 में लंदन बम धमाकों को अंजाम देने वाले 7 आतंकवादियों के सरगना मोहम्मद सिद्दीकी खान और सहयोगी शहजाद तनवीर को भी तबलीगी जमात से जुड़ा पाया गया था।
नतीजतन, अब तब्लीगी जमात को ब्लैक लिस्ट किया गया और इसके प्रचारकों को वीजा से वंचित कर दिया गया। हालांकि, भारत में हर साल, कई देशों से हजारों तब्लीगी जमात के सदस्य स्वतंत्र रूप से कई राज्यों में यात्रा करते हैं और अपनी अभियोजन गतिविधियों का प्रदर्शन करते हैं। अब देखने वाली बात होगी की भारत सरकार अब इस संगठन को लेकर क्या कदम उठाती हैं। अब तो भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्वयं अजित डोभाल हैं जो इस संगठन के रग-रग से वाकिफ हैं।