Video Calling के समय अश्लील चीजें और Trolls भेजने वाले Zoom App ने बहुत कमा लिया, अब बर्बाद होगा

दुनिया भर के देशों ने इस पर बैन लगा दिया है!

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कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन होने के कारण अधिकतर लोग घर से ही काम कर रहे हैं। Work from Home या घर से काम के दौरान सामान्य तौर पर होने वाली मीटिंग स्काइप या फिर Zoom जैसे वीडियो कॉलिंग एप्प के जरिए हो रही है। इमनें सबसे ज्यादा जूम वीडियो कॉलिंग एप्प का इस्तेमाल हो रहा है।

इसकी लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इसने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के मामले में माइक्रोसॉफ्ट के स्काइप को भी पीछे छोड़ दिया है। इस महामारी में एक तरफ जहां सभी अरबपतियों की संपत्ति कम हुई तो वहीं ज़ूम एक के संस्थापक ने फोर्ब्स की बिलेनियर लिस्ट में पहली बार जगह बनाने में कामयाबी पाई है।

लेकिन इस ऐप्प पर इन दिनों प्राइवेसी खतरों के कई आरोप लगने लगे हैं जिसके बाद कई संस्थाओं और देशों ने इसे बैन करना प्रारम्भ कर दिया है। कनाडा की एक लैब का मानना है कि यह एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन key के लिए चीनी सर्वर का इस्तेमाल किया जाता है जो किसी भी स्थिति में सुरक्षित नहीं है। जूम ऐप्प (Zoom app) के सीईओ ने ऐप्प में मौजूद सुरक्षा खामियों को लेकर माफी भी मांग ली है।

ताइवान ने तो इस एप्प के इस्तेमाल पर ही बैन लगा दिया है। ताइवान ऐसी कार्रवाई करने वाला पहला नहीं है। एलोन मस्क के स्पेसएक्स और न्यूयॉर्क शहर के शिक्षा विभाग ने पहले ही इसके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है।

जूम पर जर्मनी, ताइवान, स्विट्जरलैंड, सिंगापुर ने बैन लगा दिया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वहीं कंपनियों में गूगल (google), स्पेसएक्स, टेस्ला, नासा और न्यूयॉर्क के एजुकेशनल इंस्टीट्यूट ने भी इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।

अब सिंगापुर ने शिक्षकों द्वारा जूम के उपयोग को बैन कर दिया है। यही नहीं हाँग काँग में भी इसे बैन करने पर विचार किया जा रहा है। कनाडा स्थित स्वतंत्र अनुसंधान संगठन सिटीजन लैब ने पाया कि ज़ूम पर वीडियोकॉन्फेरेंस के लिए एन्क्रिप्शन और डिक्रिप्शन key वितरित करने के लिए चीनी सर्वर का उपयोग किया जा रहा था।

इसके साथ ही साइबर सिक्योरिटी रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि इस सॉफ्टवेयर में सिक्योरिटी लूपहोल्स हैं जिससे सिक्योर फाइल्स को एक्सेस करने के लिए मीटिंग्स को हैक किया जा सकता है। कुछ यूजर्स का ट्रैफिक चीन में डेटा सेंटर्स से होकर गुजरा है।

Zoom के साथ चीन का लिंक एकमात्र चिंता का विषय नहीं है। कमजोर एन्क्रिप्शन टेक्नोलोजी के वजह से “ज़ूम बॉम्बिंग” होती है, जहां बिन बुलाए ट्रोल अन्य प्रतिभागियों को परेशान करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस तक पहुंच जाते हैं और कई तरह के फोटो और वीडियो भेज देते हैं। साथ ही मीटिंग की रिकॉर्डिंग सार्वजनिक तौर पर इंटरनेट सर्वर पर भी दिखाई गई है।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एप्पल के कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं। ऐसे में भविष्य के प्लान और प्रोडक्ट को लेकर भी मीटिंग हो रही है। एप्पल के कर्मचारी मीटिंग के लिए फेसटाइम, स्लैक और Webex जैसे एप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में एप्पल को डाटा लीक होने का खतरा है। एहतियातन एप्पल ने ऑनलाइन फाइल शेयरिंग भी कम कर दी है। स्पेस एक्स कंपनी में सभी कर्मचारियों को Zoom एप इस्तेमाल ना करने को कहा गया है। स्पेस एक्स के अलावा नासा ने भी Zoom एप्प को इस्तेमाल करने से मना कर दिया है।

भारत में कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम और राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ने भी इस ऐप्प के इस्तेमाल को लेकर चेताते हुए कहा है कि इससे अटैकर्स सरकारी और प्राइवेट ऑफिस के डेटा चोरी कर इसका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं.

अब जब से इस कंपनी के ऊपर प्राइवेसी को भंग करने का और सुरक्षित न होने के सवाल उठे हैं उसके बाद ज़ूम ऐप ने फेसबुक के पूर्व सुरक्षा प्रमुख आलेक्स स्टमोस को ऐडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया है।

लेकिन फिर भी अब लोगों को शक हो चुका है और जिस तरह से इस सॉफ्टवेयर को बैन किया जा रहा है उससे इस कंपनी को जितना अधिक फायदा हुआ है वह धड़ाम से नीचे गिरने की उम्मीद है। यह सॉफ्टवेयर किसी भी तरह से उपयोग के लिए सुरक्षित नहीं है।

आज के समय में ऑनलाइन प्राइवेसी सबसे महत्वपूर्ण वस्तु है, और ज़ूम का उपयोग करना यानि प्राइवेसी को ही खतरे में डालना है। ऐसे में जब तक जूम एप्प अपने सारे बग्स (खामियों), प्राइवेसी को फिक्स नहीं कर लेती तब तक इससे दूर रहने की जरुरत है.

महामारी के समय में भले ही जूम अल्पकालिक लाभ ले सकता है लेकिन अगर कंपनी इस तरह से काम करना जारी रखती है तो इसका लंबे समय तक चलना मुश्किल है।

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