कोरोना भीलवाड़ा को निगलने वाला था, भीलवाड़ा ने उसके बाद जो किया वो पूरे भारत में किया जाना चाहिए

वाह भीलवाडा, वाह! मान गए

भीलवाड़ा

लगभग दो हफ्ते पहले हमने TFI पोस्ट पर एक लेख लिखा था, जब राजस्थान भीलवाड़ा में कुल मामले अचानक से 45 की संख्या पार कर गए थे। इससे ये संदेह हुए था कि कहीं राजस्थान का भीलवाड़ा वुहान वायरस के तीसरे और सबसे घातक स्टेज पर तो नहीं पहुंच गया।

हद तो तब हो गई, जब एक दिन में जिले ने 21 कन्फर्म केस और दो मृत्यु  के मामले दर्ज कराए। परन्तु आज भीलवाड़ा पूरे देश के लिए आदर्श बन गया है, जिसके पीछे प्रमुख कारण है स्थानीय प्रशासन की सतर्कता।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की भांति राजस्थान की सरकार भी वुहान वायरस से निपटने के पीछे काफी असंवेदनशील थी। भीलवाड़ा को तो गहलोत सरकार ने उसी के हाल पर छोड़ दिया था।  परन्तु स्थानीय प्रशासन इतना निर्दयी नहीं था। भीलवाड़ा (bhilwara) कलेक्‍टर राजेन्द्र भट्ट में RRT को सटीक तरीके से काम में लिया और 21 मार्च को ही लॉक डाउन का निर्णय लिया। सभी प्रकार के उद्योग और भट्टी, जहां 10 से ज़्यादा व्यक्ति काम करते थे, बंद कर दिए गए।

शुरू में इसका असर ठीक उल्टा पड़ा। परन्तु जल्द ही इसका सकारात्मक असर भी दिखने लगा। भीलवाड़ा भारत का पहला ऐसा जिला बना है, जहां वुहान वायरस एक विकराल रूप धारण करने से पहले ही नियंत्रण में आ चुका है।

भीलवाड़ा प्रशासन अपने काम को लेकर कितना प्रतिबद्ध था, इसका अंदाजा आप इस उदाहरण से लगा सकते हैं कि कैसे भीलवाड़ा ने अपने औद्योगिक क्षेत्र में व्यापक बदलाव किया।  भीलवाड़ा के औद्योगिक प्रमुख विपुल नानी “मैंने इंडस्ट्री एसोसिएशन वालों से बातचीत की है और उनसे अपने कर्मचारियों को यथावत रखने की अनुमती भी दी है। हमने फैक्ट्री संचालक को विशेष पास दिए हैं, ताकि वे दिहाड़ी मजदूरों का भुगतान कर सकें।”

इसके अलावा 3 अप्रैल से ही प्रशासन ने सम्पूर्ण lockdown की घोषणा भी की। इसमें आवश्यक वस्तुएं भी लोगों तक प्रशासन ही पहुंचाएगा।

इस आक्रामक नीति के अलावा भीलवाड़ा एडमिनिस्ट्रेशन युद्धस्तर पर लोगों की थर्मल स्क्रीनिंग भी कर रहा है। अब केवल एक ऐसा मरीज़ बचा है, जो अभी भी इस बीमारी से संक्रमित है।

वुहान वायरस भीलवाड़ा में विकराल रूप ना धारण करे, इसके लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है। इसके अलावा मरीजों के लिए बिस्तरों की कमी न हो, इसके लिए अतिरिक्त तौर पार धर्मशाला, होटल, रिजॉर्ट आदि भी बुक कराई है। इस तैयारी के लिए उन्हें केंद्र सेक्रेटरी राजीव गौबा से भी प्रशंसा मिली है। आज कोरोनावायरस से लड़ाई में भीलवाड़ा एक मॉडल बनकर उभरा है। यहां जिस तरह से COVID-19 महामारी पर काबू पाया गया, उसकी पूरा देश सराहना कर रहा है। भीलवाड़ा मॉडल चिकित्सा विभाग, पुलिस और प्रशासनिक अमले के कोऑर्डिनेशन का एक अच्‍छा उदाहरण है। इसका क्रेडिट भीलवाड़ा की देवरिया ग्राम पंचायत की सरपंच किस्‍मत गुर्जर को भी जाता है जो खुद ही अपने गांव में डिसइन्‍फेक्‍टेंट स्‍प्रे कर रही थीं।

कहने को भीलवाड़ा स्टेज 3 में जाने से तो बच गया, परन्तु लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। राजस्थान में संक्रमण स्तर अभी भी चिंताजनक हैं। कुल मिलाकर यहां 579 केस पाए गए हैं, और पूरे देश के कुल मामलों में राजस्थान भारत में चौथे स्थान पर है।

अब कोटा और जयपुर इस महामारी के नए केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। यदि गहलोत ने अब भी भीलवाड़ा से कोई सीख ना लेकर महाराष्ट्र की परिपाटी पर चलने की गलती की, तो राजस्थान में त्राहिमाम मचेगा।

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