कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को कमजोर करने वाली इस्लामिक संस्था तबलीगी जमात के खिलाफ योगी सरकार और असम सरकार ने जिस प्रकार तेजी से कड़े कदम उठाए हैं, वो कदम अब तक अन्य राज्य सरकारें नहीं उठा पाई हैं।
दरअसल, असम सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने तबलीगीयों को आसान भाषा में यह समझा दिया है कि अगर कोई भी तबलीगी क्वारंटाइन फ़ैसिलिटी में उत्पात मचाएगा या ज़्यादा नखरे दिखाएगा तो उस क्वारंटाइन फ़ैसिलिटी को अस्थायी जेल या बंदीगृह में बदल दिया जाएगा। देशभर से ऐसी खबरें आ रही थीं कि ये तबलीगी क्वारंटाइन में डॉक्टरों और नर्सों के साथ छेड़-छाड़ कर रहे हैं, उसी के बाद इन सरकारों ने यह फैसला लिया है।
बता दें कि बीते बुधवार को असम सरकार में PWD, स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री हिमन्ता बिस्वा शर्मा ने क्वारंटाइन फ़ैसिलिटी में अधिक सुविधाओं की मांग कर रहे तबलीगियों को साफ तौर पर कहा–
“जिस प्रकार की सुविधाओं की वो मांग कर रहे हैं, ये देखा जाएगा कि क्या उनकी ज़रूरत है या नहीं, लेकिन डॉक्टर की इजाजत के बिना किसी को भी क्वारंटाइन फ़ैसिलिटी छोड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी। अगर किसी ने भी यहाँ से भागने की कोशिश की, तो सरूसजाई क्वारंटाइन फ़ैसिलिटी को बंदी गृह में तब्दील कर दिया जाएगा”।
इससे पहले असम सरकार ने उन सभी 831 लोगों पर FIR दर्ज करने का फैसला लिया था, जिन्होंने दिल्ली में निज़ामुद्दीन मरकज़ में हिस्सा लिया था।
अब बात करते हैं यूपी की योगी सरकार की। यूपी के 34 जिलों में ऐसी अस्थायी जेल बनाई गई हैं जिनमें विदेशी तबलीगियों और वीज़ा नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को रखा जाएगा। दि प्रिंट की एक रिपोर्ट के अनुसार पीलीभीत, आगरा, प्रयागराज, सहरानपुर, लखनऊ ,बुलंदशहर, बागपत, कन्नौज, उन्नाव समेत यूपी के 34 जिलों में अस्थायी जेलें बनाई गई हैं। इनमें मलेशिया, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, सूडान ,थाईलैंड समेत कई देशों के जमातियों को रखा गया है।
इन तबलीगियों से कैसे निपटा जाना चाहिए, असम और यूपी ने यह बखूबी दिखाया है। देश में कोरोना को फैलाने में सबसे बड़ी भूमिका अगर किसी की रही है तो वह इन तबलीगियों की ही रही है। उदाहरण के लिए दिल्ली में कोरोना के लगभग 2200 मामलों में से अधिकतर तबलीगी से जुड़े हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार तमिलनाडु में 84 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 61% और उत्तर प्रदेश में 59 फीसदी मरीज के तार तबलीगी जमात कार्यक्रम से जुडे हुए हैं।
आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि अगर तब्लीगी जमात से जुड़े संक्रमण के मामले नहीं आए होते तो देश में कुल मामले बढ़ने की रफ्तार आधी होती। इस महीने की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बयान दिया था-
“इस समय कोरोना के मरीजों की कुल संख्या को दोगुना होने में 4.1 दिन का समय लग रहा है। यदि तब्लीगी जमात के मरीजों को इसमें से हटा दिया जाए तो यह रफ्तार अब भी आधी है। तब्लीगी जमात से इतर मरीजों की संख्या को दोगुनी होने में अभी 7.4 दिन का वक्त लग रहा है”।
इससे आप समझ सकते हैं कि कैसे तबलीगी ने देश के रिकॉर्ड को बिगाड़ कर रख दिया। और बात सिर्फ आंकड़े खराब करने तक ही सीमित नहीं है। तबलीगी लोगों पर समय-समय पर स्वास्थ्य कर्मियों से बुरा व्यवहार करने की खबरें भी आती रहती हैं। इस महीने की शुरुआत में ही जब निजामुद्दीन मरकज से निकाले गए करीब 2,300 से ज्यादा लोगों को क्वारंटाइन सेंटर और अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) दीपक कुमार ने बड़े ही चौकाने वाले खुलासे किए थे। तब उन्होंने बताया था-
“ये लोग सुबह से अनियंत्रित थे और खाने पीने की अनुचित मांग कर रहे थे। उन्होंने क्वारैन्टाइन सेंट्रर के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया। इसके अलावा उन्होंने काम करने वाले सभी लोगों और डॉक्टरों पर थूकना शुरू कर दिया और ये लोग हॉस्टल बिल्डिंग में भी घूम रहे थे”।
इसके अलावा ये खबरें भी आई थी कि गाज़ियाबाद के अस्पताल में तबलीगी के लोग नर्सों के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे थे और अपनी पैंट उतारकर अश्लील इशारे भी कर रहे थे, जिसके बाद तब योगी सरकार ने उन सभी पर NSA के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया था। ऐसे में असम सरकार और योगी सरकार द्वारा इन कदमों का उठाया जाना ज़रूरी हो गया था, और इन कदमों की सराहना की जानी चाहिए।