अन्याय करने वाले से ज़्यादा दोष अन्याय पर मौन रहने वाले का होता है। इसी बात को हाल ही में सिद्ध किया है यूरोपीय संघ ने, जिसने वुहान वायरस पर चीन की संलिप्तता को दर्शाती रिपोर्ट से हाथ पीछे खींच लिए। पर यूरोप में कुछ ऐसे भी लोग हैं, जो चीन को उसी की शैली में उसकी वास्तविक पहचान बताने से ज़रा भी नहीं हिचकाते हैं।
हाल ही में चेक गणराज्य की राजधानी प्राग (Prague) में चीनी पर्यटकों अथवा राजनयिकों के स्वागत हेतु बड़े-बड़े होर्डिंग लगाए। इन होर्डिंग्स पर चीन के इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक, Tiananmen Square के लोकतांत्रिक प्रदर्शनों को कुचलने की तस्वीरों को शामिल किया गया है, जिससे स्पष्ट सिद्ध होता है कि चेक गणराज्य चीन के प्रति क्या भावना रखता है।
पहले जानते है उस प्रदर्शन के बारे में, जो आज भी चीन के माथे पर सबसे बड़ा कलंक है। कम्यूनिस्ट शासन से तंग आकर कई शिक्षकों और विद्यार्थियों ने चीन में 4 जून 1989 को चीनी शासन के विरुद्ध शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया। परन्तु चीन की निरंकुश सत्ता को ये प्रदर्शन शूल की भांति चुभने लगा, और उसने इसे कुचलने के लिए अपनी क्रूर सेना भेज दी। एक टैंक के सामने खड़े व्यक्ति की विश्वप्रसिद्ध तस्वीर आज भी चीन की बर्बरता को दर्शाती है।
तब से अब तक 30 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन आज भी उस बर्बर कांड के बारे में कम लोग ही कुछ बोलने की हिम्मत कर पाते हैं। चीन तो उल्टा इस बर्बरता को उचित ठहराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ता है। आज भी चीन ने दुनिया को इस बात पर अंधेरे में रखा हुआ है कि उस दिन वास्तव में क्या हुआ, और कितने लोग मारे गए थे।
Tiananmen Square का उल्लेख मात्र किसी भी देश के चीन के साथ संबंध के ताबूत में अंतिम कील होती है। परन्तु चेक गणराज्य के इतिहास को देखकर लगता है कि वे जानबूझकर चीन के वास्तविक स्वरूप को सबके सामने उजागर करना चाहता है। प्राग (Prague) के महापौर ज़दिनेक हरीब ने अन्य देशों की भांति चीन की तारीफ में कोई कसीदे नहीं पढ़े, और उइगर मुस्लिम पर चीन के अत्याचारों से लेकर ताइवान पर उसकी हेकड़ी के लिए हर संभव अवसर पर चीन को आड़े हाथों लिया है।
ब्लूमबर्ग के साथ एक साक्षात्कार में हरीब ने बताया था, “चीन का स्वास्थ्य उपकरणों की सहायता कोई उपकार नहीं है। ये उसका धंधा है।”
चेक गणराज्य का क्रोध भी उचित है। हर देश की तरह उसे भी चीन की ओर से वुहान वायरस के रैपिड टेस्ट किट मिले थे। परन्तु 3 लाख किट में से 80 प्रतिशत किट घटिया और दोयम दर्जे के निकले।
इसके कारण चेक गणराज्य को 54 मिलियन koruna का नुक़सान हुआ, और इसीलिए वे चीन के पीछे हाथ धोकर पड़ गया है।
चीन का टैंक मैन का प्रतिबिंब अब चेक गणराज्य के वर्तमान स्वभाव में दिखने लगा है। ये समस्त दुनिया के लिए भी एक अहम संदेश है – महामारी के खत्म होने पर चीन के विरुद्ध नरम नहीं पड़े, और उसे हर अत्याचार का हिसाब चुकाने पर विवश करें, और साथ ही साथ उसकी निरंकुश सत्ता के विनाश का मार्ग भी प्रशस्त करे।