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‘कोरोना पेशेंट को बचा नहीं सकते तो मामले ही दबा दो’- ममता बनर्जी चीन से जबरदस्त ट्यूशन ले रही हैं

जिनपिंग की राह पर चलीं ममता दीदी!

Animesh Pandey द्वारा Animesh Pandey
9 April 2020
in चर्चित
ममता बनर्जी, बंगाल, कोरोना, डेटा, चीन,
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अभी हाल ही में बंगाल में उस वक्त जबरदस्त हंगामा हो गया, जब एक मृत व्यक्ति के शव को दफनाने के लिए लोग PpE किट में सामने आए, जिसके कारण नागरिकों और पुलिस कर्मियों में हिंसक झड़प हुई।

PPE तब पहना जाता है जब वुहान वायरस से संक्रमित मरीज़ मृत्यु को प्राप्त हो, तब नहीं जब किसी अन्य कारण से मरीज़ मरा हो। परन्तु बंगाल में हाल के मामले देखकर लग रहा है कि स्थिति बंगाल में महाराष्ट्र के समान या उससे भी बदतर है। ऐसा लग रहा है मानो चीन के शी जिनपिंग की भांति ममता बनर्जी भी स्थिति की भयावहता को छुपाने में लगी हुई हैं।

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कहने को भारत में 5700 से ज़्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिसमें बंगाल से मात्र 103 मामले सामने आए है। दिलचस्प बात तो यह है कि यह आंकड़ा इतना कम तब है, जब यह बात सिद्ध हो चुकी है कि तब्लीगी जमात के सदस्य बंगाल भी गए हुए हैं। इसके पीछे स्वप्न दासगुप्ता ने भी सवाल उठाए हैं, और वे पूछ रहे हैं कि आखिर सरकार के वेब पोर्टल पर मामले अपडेट क्यों नहीं हो रहे हैं।

पर बंगाल में असल में विवादों का केंद्र है बंगाल में विशेषज्ञों की एक कमेटी, जी हां, यह तय करेगी कि कौन सी मृत्यु वुहान वायरस की वजह से हुई है, और कौन सी नहीं। इतना ही नहीं, जब मोहतरमा से तब्लीगी जमात के प्रभाव के बारे में पूछा जा रहा है, तो वे कहती हैं, आप मुझसे ऐसे सवाल ना पूछें। इसे देख तो एक बार को उद्धव भी बोल दें- ‘भाऊ उतना भी बुरा नहीं हूं’।

बंगाल में जो भी व्यक्ति वुहान वायरस से मर रहा है, उसकी मृत्यु पर अब इस कमेटी के निर्णय के कारण संदेह खड़ा हो गया है। बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार एक्स विशेषज्ञ कमेटी तय करेगी कि वुहान वायरस के कारण किसकी मृत्यु हुई है।

लगता है ममता बनर्जी ने इस दिशा में चीन से काफी सीख लिए हैं। आधिकारिक रूप से 11 लोग बंगाल में मृत्यु को प्राप्त हुए हैं, परन्तु हाल की घटनाओं को देखते हुए यह आंकड़ा बहुत छोटा लग रहा है। बंगाल के शिबपुर इलाके में दफनाने को लेकर हुई हिंसक झड़प इस बात का परिचायक है कि कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ है।

परन्तु यह पहली बार नहीं  है, जब ममता बनर्जी ने इस प्रकार से राज्य में इस महामारी की भयावहता को छुपाने का प्रयास किया हो। याद है आपको डॉ इंद्रनील खान? हां, वही डॉक्टर जिसने बंगाल में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रदान की जा रही सुरक्षा उपकरण के गुणवत्ता पर सवाल उठाया था।

डॉक्टर इंद्रनील ख़ान को रातों रात पुलिस उठाकर ले गई और उन्हें हिरासत में रख लिया। परंतु डॉक्टर का दोष क्या था? उस डॉक्टर ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों को दिये जा रहे आवश्यक Personal protective equipment यानि PPE की गुणवत्ता के बारे में सवाल उठाए थे। उन्हेंने आरोप लगाया कि कैसे पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों को पीपीई के नाम पर घटिया सामान दिया जा रहा है। डॉक्टरों को रेनकोट तो नर्सों को biomedical वेस्ट वाले थैले पहनने के लिए दिये गए।

परन्तु ममता बनर्जी को डॉ. इंद्रनील के सुझावों पर काम करने के बजाए उन्हें हिरासत में लेना ज़्यादा सरल दिखा। परंतु कुछ ही दिनों बाद डॉक्टर साब ने ट्वीट किया कि बंगाल सरकार काफी तन्मयता से इस विषय पर काम कर रही है और वे बंगाल सरकार के आभारी हैं, जो उनकी मांगों को स्वीकार किया।

इसके अलावा किसी भी प्रकार की गलतफहमी के लिए भी उन्होंने सभी से क्षमा मांगी। अब ऐसा क्या हुआ है, जो कुछ दिनों में ही इस डॉक्टर ने सुर बदल लिए? स्थानीय सूत्रों से खबर आ रही है कि डॉ इंद्रनील को बंगाल पुलिस ने हिरासत में लिया था, क्योंकि वे कथित रूप से राज्य में दहशत फैला रहे थे।

ठहरिए, क्या ये सब हम पहले भी कहीं देख चुके हैं? बिल्कुल, ऐसा ही चीन में भी हुआं था। डॉ. ली. वेंलियांग नामक डॉक्टर ने सर्वप्रथम COVID-19 की भयावहता को समझा था और वुहान में सभी को सचेत करने का प्रयास किया था। परंतु उनकी बात मानने के बजाए प्रशासन ने उल्टे उसे ही अफवाह फैलाने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया। फलस्वरूप वो डॉक्टर उसी बीमारी से संक्रमित होकर मर गए और चीन की तानाशाही सामने न आ सकी थी।

लगता है ममता बनर्जी भी चीन की राह पर ही चल पड़ी हैं। यूं तो बंगाल में दिल्ली और महाराष्ट्र की भांति मामलों में अप्रत्याशित उछाल तो नहीं आया है, परंतु यहां पर स्थिति बढ़िया भी नहीं है। कहा जाता है कि बंगाल में जो पहला केस डिटेक्ट हुआ था, उसके अभिभावकों ने न केवल नियमों का उल्लंघन किया था, बल्कि उसकी ट्रैवल हिस्ट्री छुपाने का प्रयास भी किया था पर बंगाल सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

एक ओर जहां डॉक्टर घटिया सुरक्षा उपकरण के बारे में शिकायत कर रहे हैं, तो वहीं ममता बनर्जी को इस बात से आपत्ति है कि सुरक्षा उपकरण पीले रंग के क्यों है, और से नहीं चाहती कि उनकी छाया भी बंगाल पर पड़े।

सच कहें तो उद्धव से ज़्यादा ममता बनर्जी को अपने सत्ता की चिंता है, और यदि वुहान वायरस के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, तो ये उनके  राज्य के लिए काफी हानिकारक होगा। इसलिए अब वे जानबूझकर गलत आंकड़े पेश कर रही हैं, जिससे लगे कि बंगाल में सब कुछ ठीक है। यह भी कहा जा सकता है कि ममता बनर्जी शी जिनपिंग के राह पर चल पड़ी हैं, और लगता है कि वे कई निर्दोषों की बलि चढ़ाकर ही तृप्त होगीं।

Tags: कोरोनाचीनडेटाबंगालममता बनर्जी
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