जैसे-जैसे दक्षिण चीन सागर में चीन की गुंडागर्दी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे अब चीन को सबक सिखाने के लिए कई देश एकसाथ आने लगे हैं। प्रशांत महासागर क्षेत्र में पहले ही भारत, जापान-ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ मिलकर China को कड़ी चुनौती देने में लगा है। हालांकि, इस quad के अलावा भी अब कई देश भारत के साथ मिलकर Indo-pacific क्षेत्र में अपना सहयोग बढ़ाना चाहते हैं। वर्ष 2019 में जहां फ्रांस ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक नया गठजोड़ करने की सलाह दी थी, तो वहीं अब ऑस्ट्रेलिया, भारत और इंडोनेशिया के साथ मिलकर एक नया गठबंधन करना चाहता है। अगर यह संभव हो जाता है तो indo-pacific क्षेत्र में भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फ्रांस, ये 6 देश मिलकर चीन की हेकड़ी निकालने के लिए काफी होंगे।
दरअसल, अभी हाल ही में भारत में मौजूद ऑस्ट्रेलिया के हाई कमिशनर ने कहा था कि भारत और ऑस्ट्रेलिया, दोनों ही देश indo-pacific में एक जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं। ऐसे में यह सही होगा कि वे अपने सहयोग को और ज़्यादा बढ़ाएँ और उसमें वह इंडोनेशिया को भी अपने साथ लेना चाहता है। ऑस्ट्रेलियाई राजदूत का यह भी कहना था कि भारत और इंडोनेशिया प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया के सबसे ताकतवर सहयोगी हैं और सब को इकट्ठा होकर ही काम करना चाहिए।
इससे पहले पिछले वर्ष फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर indo-pacific के लिए नया गठजोड़ बनाने की सलाह दी थी। मैक्रों ने तब कहा था “भारत, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया का साथ आना ज़रूरी है और हमें एक अहम क्षेत्रीय संगठन की तरह स्थापित होना होगा। हमें एक नया गठबंधन बनाना होगा ताकि indo-pacific क्षेत्र में संतुलन बनाया जा सके”। बता दें कि indo-pacific region में फ्रांस की भी कई territories हैं और इस क्षेत्र में फ्रांस के Exclusive Economic Zone का एक बड़ा हिस्सा आता है। ऐसे में अगर फ्रांस जैसा ताकतवर देश indo-pacific में भारत के साथ सहयोग करने की बात करता है, तो यह चीन के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं होगा।
इसके अलावा भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका मिलकर Quad के तौर पर चीन को आड़े हाथों लेने का काम तो पहले ही कर रहे हैं। अभी हाल ही में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण चीन सागर में अपने जंगी जहाज को भेजकर चीन को भौचक्का कर दिया था, क्योंकि दक्षिण चीन सागर से सटे कई छोटे देशों ने China की गुंडागर्दी की शिकायत की थी।
हाल ही में ताइवान ने यह शिकायत की थी कि China ने ताइवान के कुछ मछलीपालकों का न सिर्फ अपमान किया बल्कि, उनकी vessels को भी निशाना बनाया। इसी प्रकार चीनी नेवी पिछले कुछ समय से मलेशिया के इलाके में भी घुसपैठ करने की कोशिश कर रही है। China की गुंडागर्दी की हद तो तब हो गयी जब कुछ दिनों पहले China ने फिलीपींस के अधिकार क्षेत्र में आने वाले हिस्से को अपने हैनान प्रांत का जिला घोषित कर दिया।
At 5:17 pm today the Chinese embassy received 2 diplomatic protests: 1. on the pointing of a radar gun at a Philippine Navy ship in PH waters & 2. declaring parts of Philippine territory as part of Hainan province—both violations of international law & Philippine sovereignty.
— Teddy Locsin Jr. (@teddyboylocsin) April 22, 2020
फिलीपींस की सरकार ने चीन से इसका कड़ा विरोध जताया और चीन के राजदूतों को पत्र भेजकर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज की। फिलीपींस के मुताबिक उसके हिस्से को China का जिला घोषित करके ना सिर्फ चीन ने अंतर्राष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है बल्कि, फिलीपींस की संप्रभुता के साथ भी खिलवाड़ किया है। इतना ही नहीं, फिलीपींस की सरकार ने फिलीपींस की जल सीमा में चल रहे उसके जहाजों पर रडार से नज़र रखने के लिए भी चीन की आलोचना की।
कोरोना के कारण पहले ही दुनिया में China के खिलाफ गुस्सा भरा है। ऐसे में दक्षिण चीन सागर में चीन की यह आक्रामकता उसी पर भारी पड़ सकती है। चीन अगर जल्द ही अपनी इन हरकतों से बाज़ नहीं आता है, तो ऐसा हो सकता है कि 6 देश मिलकर चीन के खिलाफ रणनीति बनाना शुरू कर दें। ऐसे में अमेरिका, फ्रांस, भारत, जापान जैसे देशों के सामने चीन की नेवी का पल भर के लिए भी टिक पाना असंभव ही होगा।