‘भारत में सितंबर तक 111 करोड़ मामले होंगे’, ‘बेवकूफ Economist रामानन लक्ष्मीनारायण ने Fear mongering की

डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण

आपका कई प्रकार के ढोंगियों से सामना हुआ है, परन्तु उनमें से कोई भी डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण जितना झूठा तो नहीं ही होगा। जनाब एक बार फिर सुर्खियों में है और इस बार भी गलत कारणों से।

दरअसल, अब डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण ने दावा किया है कि सितम्बर आते आते भारत में कुल संक्रमितों की संख्या 110 करोड़ के पार पहुंच जाएगी और एक करोड़ से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई है।

द हिन्दू बिज़नेस लाइन के लेख के अनुसार इनके संगठन CDDEP ने दावा किया कि ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 111 करोड़ भारतीय इस महामारी से संक्रमित होंगे और ऐसे में आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए लॉकडाउन में थोड़ी ढील देनी होगी। परन्तु अगले ही दिन जनाब आईसीएमआर की एक रिपोर्ट को सत्य मानते हुए बताते हैं की यदि लॉकडाउन नहीं हुआ होता, तो दिल्ली में 25 प्रतिशत लोग अब तक इस महामारी से संक्रमित होते।

परन्तु यह महोदय है कौन? ये वास्तव में एक अर्थशास्त्री, जो इससे पहले भी ऐसे बचकाने दावों के लिए काफी जाने जाते थे। लगभग एक महीने बीबीसी के रिपोर्ट  के एक अंश अनुसार, डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण ने कहा, “हो सकता है हम बाकी देशों की तुलना में थोड़ा पीछे चल रहे हों, लेकिन स्पेन और चीन में जैसे हालात रहे हैं, जितनी बड़ी संख्या में वहां लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं, वैसे ही हालात यहां बनेंगे और कुछ हफ़्तों में हमें कोरोना की सुनामी के लिए तैयार रहना चाहिए।

अगर हम ज़्यादा लोगों का टेस्ट करते तो संभव है कि और अधिक मामले अब तक सामने आ चुके होते लेकिन, भारत ही नहीं सारी दुनिया में कोरोना टेस्ट बहुत कम हो रहे हैं। मुझे लगता है आने वाले दो से तीन दिनों में जब ज़्यादा लोगों के टेस्ट होंगे तो मरीजों की संख्या भी बढ़ेगी। ये संख्या 30 करोड़ के पार भी जा सकती है इसलिए हमें तैयार रहना चाहिए। भारत में ऐसे संक्रमण का फैलना बेहद आसान है और इसकी वजह यहां का जनसंख्या घनत्व है, जैसा कि चीन के साथ हुआ है।”

एक होता है किसी आपदा के बारे में लोगों को सूचित करना, और एक होता है लोगों में व्याप्त डर को और बढ़ाना। दुर्भाग्यवश BBC लोगों को वुहान वायरस से लड़ने के लिए प्रेरित करने की बजाए उन्हें अधिक भयभीत कर रही है। इस व्यक्ति से इंडिया टुडे और एनडीटीवी ने भी बातचीत की।

डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण ने 15 अप्रैल तक 50 लाख भारतीयों के संक्रमित होने का दावा किया था, और लॉकडाउन के निर्णय जा उपहास भी उड़ाया था। अभी 50 लाख तो छोड़िए, भारत में कुल 25000 लोग भी संक्रमित नहीं हुए हैं। अब तक 700 से कुछ अधिक लोगों की मृत्यु हुई है, को भारत की जनसंख्या के हिसाब से बहुत ही कम है।

अब आते हैं इनके वर्तमान दावों पर। हिन्दुस्तान टाइम्स के लिए जो महाशय ने लिखा है, वह कई मायनों में असत्य सिद्ध होता है। एक दिन पहले जनाब कहते हैं कि भारत में करोड़ों केस होंगे और फिर अगले ही दिन कहते हैं की लॉकडाउन ना होता, तो दिल्ली का ना जाने क्या होता? बार-बार ये जनाब अपने ही कही बातों से मुकर जातें है। किसी न्यूज़ पोर्टल में कुछ कहते हैं और किसी में कुछ फिर भी मूर्खों की तरह मीडिया अपने पोर्टल पर इनके बेतुके दावों को महत्व देती है।

2011 में एक फिल्म आयी थी। नाम था कंटेजियन। उसकी टैगलाइन थी – नथिंग स्प्रेड्स लाईक फियर, यानी भय से ज़्यादा असरदार कुछ भी नहीं होता। आज यह फिल्म वुहान वायरस के प्रकोप के चक्कर में कितनी प्रासंगिक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कैसे डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण इस टैगलाइन को सत्य सिद्ध करने पर तुले हुए हैं। अब इससे ज़्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि डॉक्टर रामानन लक्ष्मीनारायण को अभी भी मीडिया में ज़रूरत से ज़्यादा लाइमलाइट मिल रही है, जिसके कारण देश में भय का अनावश्यक वातावरण भी बन सकता है।

Exit mobile version