कहते हैं ”चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए”। कभी पत्रकारिता की मिसाल माने जाने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने मानो पत्रकारिता की धज्जियां उड़ाते हुए गुजरात के अस्पतालों के बारे में एक झूठी खबर फैला दी, जिसमें आरोप लगाया गया कि गुजरात के अस्पतालों में धर्म के आधार पर सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक- मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ गुणवंत एच राठौड़ कहते हैं, “वैसे तो हमारे यहां पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग वार्ड होते हैं, परन्तु यहां हिन्दुओं और मुसलमानों के लिए भी अलग-अलग वार्ड हैं। ये सरकार के दिशानिर्देश अनुसार है“।
इस हिट जॉब को वायरस होने में ज़रा भी समय नहीं लगा और चीखते चिल्लाते हुए वामपंथियों की टोली अपने आइकॉनिक रूदाली के लिए सामने आ गए। गुजरात पर अपने घटिया दावों के साथ सुर्खियों में आई राणा अय्यूब को मानो दिव्य दृष्टि मिल गई हो0, और मोहतरमा ट्वीट करती हैं-
“आमतौर पर, पुरुष और महिला रोगियों के लिए अलग-अलग वार्ड होते हैं। लेकिन यहां हमें हिंदू और मुस्लिम मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड देखने को मिल रहे हैं। यह गुजरात सरकार के निर्देश पर किया गया है.
Generally, there are separate wards for male and female patients. But here, we have made separate wards for Hindu and Muslim patients. This is on the directive of the Gujarat government https://t.co/uGKssLnidR
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) April 15, 2020
राणा अय्यूब के ट्वीट का समर्थन करते हुए राजदीप सरदेसाई भी अपना करुण क्रंदन दिखाने के लिए प्रकट हुए। जनाब कहते हैं-
“एक खांटी अमदावादी होने के नाते मैं स्तब्ध हूं। धर्म के नाम पर वार्ड बांटे जा रहे हैं? शर्मनाक!”।
As a proud Amdavadi (Ahmedabad is the city of my birth), am appalled to read that the local civil hospital is being asked to divide Covid patients on basis of religion. Shameful. https://t.co/bV6z4lYH8Z
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 15, 2020
फिर सामने आईं अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय कमिशन फॉर इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम, जिसे भारत से कुछ विशेष लगाव है। तभी तो ये ट्वीट करते हैं-
“USCIRF काफी चिन्तित है इन रिपोर्ट्स से। ऐसे मामले केवल भारत में मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों को बढ़ावा देते हैं“।
USCIRF is concerned with reports of Hindu & Muslim patients separated into separate hospital wards in #Gujarat. Such actions only help to further increase ongoing stigmatization of Muslims in #India and exacerbate false rumors of Muslims spreading #COVID19 https://t.co/GXigs4w5na
— USCIRF (@USCIRF) April 15, 2020
अब ऐसी रेस में भला प्रशांत भूषण कैसे पीछे छूट सकते थे? जनाब ट्वीट करते हैं-
“शॉकिंग! अहमदाबाद के अस्पतालों में धर्म के आधार पर वार्ड बांट जा रहे हैं? सुना है इसे सरकार की मंजूरी मिली है। क्या यही है गुजरात मॉडल?”
Shocking! Hospital in Ahmedabad segregates Covid patients on the basis of religion! It says there is a govt order to that effect. Gujarat model?! https://t.co/ZI1bK8NAUH
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) April 15, 2020
सभी इंडियन एक्सप्रेस के इस लिंक को ज़ोर-शोर से प्रोमोट कर रहे थे, परन्तु किसी ने भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने तुरंत इन खबरों का खंडन किया है। इसके अलावा PIB ने भी अपने फैक्ट चेक ट्वीट में इंडियन एक्सप्रेस के खोखले दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं.
The Health Deptt.of Govt.of Gujarat has clarified that no segregation is being done in civil hospital on the basis of religion.Corona Patients are being treated based on symptoms, severity etc.and according to treating doctors' recommendations.
— PIB in Gujarat 🇮🇳 (@PIBAhmedabad) April 15, 2020
हाल ही में पता चला कि जिस व्यक्ति के बयान को आधार बना द इंडियन एक्सप्रेस ने यह पूरा खेल रचा था, द क्विंट के झूठे रिपोर्ट की भांति वह भी बेबुनियाद और गलत था। स्वयं डॉ राठौड़ ने बताया-
“ये जो न्यूज़ छापी गई है, और वह भी मेरे नाम से, वह सरासर झूठ है, गलत है। ऐसा मैने ना कुछ कहा, ना कहलवाया।“
The news which has appeared in some dailies has misquoted me, that "we have made separate wards for Muslims & Hindus." This report in my name is false and baseless and I condemn it: Professor GH Rathod, Surgeon, Civil Hospital, Asarwa in Ahmedabad. #Gujarat #COVID19 pic.twitter.com/yRfNcj5WFo
— ANI (@ANI) April 15, 2020
तो राई का पहाड़ द इंडियन एक्सप्रेस ने बनाया, और सभी वामपंथी इस पर हो हल्ला मचाकर गुजरात की छवि बिगाड़ने सामने आ गए। ये काफी शर्मनाक है कि ऐसे विकट परिस्थिति में भी द इंडियन एक्सप्रेस जैसी प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान देश में नफरत फैलाने में लगी हुई है.