कोरोना के बीच चीन पूरी दुनिया का विलेन बनकर उभरा है। यूरोप से लेकर अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया तक, सभी देश चीन के खिलाफ जांच करने की बात कह रहे हैं। कोरोना ने चीन की सॉफ्ट पावर को गहरा धक्का पहुंचाया है। इसी बीच चीन का एक शख्स ऐसा है, जो लगातार पूरी दुनिया में चीन की छवि को दुरुस्त करने में लगा है, और वह है चीन का अरबपति बिजनेसमैन जैक मा।
जैक मा पिछले दो महीनों से लगतार दूसरे देशों को मेडिकल सप्लाई दान कर रहे हैं। BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक जैक मा अब तक दुनिया के 150 देशों में ये मेडिकल सप्लाई दान कर चुके हैं, जिनमें अफ्रीका, दक्षिण एशिया के कई देश शामिल हैं। ऐसा लगता है मानो चीन की धूमिल होती छवि के बीच इस एक शख्स पर उसे दोबारा दुरुस्त करने का दारोमदार आ गए है।
कोरोना के बीच जैक मा अब ट्विटर पर भी आ गए हैं और वे लोगों को बता रहे हैं कि कैसे Alibaba group और उससे जुड़ी संस्थाएं दुनियाभर में अब तक 100 मिलियन मास्क, 1 मिलियन टेस्ट किट्स बाँट चुके हैं ।
Following donations to 150+ countries & regions, we will provide 100M masks, 1M N95 masks, and 1M test kits to @WHO. The supplies will be distributed to those in most need. Together, we must move faster and with confidence to overcome this global challenge. #OneWorldOneFight
— Jack Ma (@JackMa) April 21, 2020
रोचक बात यह है कि जैक मा सिर्फ उन देशों को ही ये सारा सामान दान कर रहे हैं, जो ताइवान के साथ अपने द्विपक्षीय रिश्तों को बढ़ावा नहीं देते हैं। उदाहरण के लिए जैक मा ने कई अफ्रीकी देशों को मेडिकल सप्लाई भेजी लेकिन उनमें होन्डुरस और हेटी जैसे देश शामिल नहीं थे, जो आम तौर पर ताइवान का समर्थन करते हैं। अभी तक इस बात का तो पता नहीं चल पाया है कि क्या जैक मा यह सब कम्युनिस्ट पार्टी के इशारे पर कर रहे हैं या नहीं, लेकिन इतना तय है कि चीन जैक मा द्वारा दी जाने वाली donations का भरपूर कूटनीतिक फायदा उठा रहा है।
सिएरा लिओन से लेकर कंबोडिया तक, जहां-जहां भी जैक मा ने donations भेजी थीं, वहाँ-वहाँ चीनी राजदूतों ने बड़ी ही खुशी से इन्हें स्वीकार कर उन देशों को सौंपा। जैक मा की इन donations को अच्छी कवरेज मिल रही है और इसके साथ ही अफ्रीकी देशों में Alibaba group की soft power भी बढ़ रही है, लेकिन चीन की ओर से की जाने वाली donation और जैक मा की ओर से की जा रही डोनेशन में ज़मीन आसमान का फर्क है।
दुनिया के कई देश चीन की डोनेशन को शक की निगाह से देख रहे हैं, क्योंकि उसका ट्रैक रिकॉर्ड ही ऐसा रहा है। सब देशों को डर है कि चीन इस दान की आड़ में उनके देश में प्रभाव बढ़ाना चाहता है। कोरोना की तबाही के बाद जब इन देशों के पास पैसों की कमी होगी, तो चीन अपने इसी प्रभाव और नकली दोस्ती को दिखाकर इन्हें बड़े-बड़े लोन देगा और इस प्रकार जैसे उसने BRI के जरिये दुनिया के कई देशों को कर्ज़ जाल में फंसाया, वैसे ही अब भी वह कई देशों को अपने कोरोना-जाल में फंसा लेगा।
इसी कारण से दुनिया में चीन की गुडविल अब गर्त में जा चुकी है, वहीं Alibaba जैसी कंपनी के मामले में कोई भी देश असुरक्षित महसूस नहीं करता।
चीन की मास्क डिप्लोमेसी पूरी तरह विफल होने के बाद अब सिर्फ जैक मा ही बचे हैं, जो चीन की छवि को सुधारने की कोशिश कर सकता हैं। हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी की गुंडई को देखते हुए अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि जैक मा अपने लक्ष्य में सफल हो पाएंगे। चीन को जो कूटनीतिक धक्का अब लगा है, उससे उबरने में चीन को सालों का समय लग सकता है, या ऐसा भी हो सकता है कि चीन इस झटके से कभी उबर ही न पाये।