सख्त कानून, सभ्य संस्कृति की वजह से जापान जैसा बूढ़ा देश कोरोना से जंग जीत रहा है

जिसे जापान ने हथियार बनाया वही पश्चिमी देशों की कमजोरी थी

जापान

जापान एक ऐसा देश जो अपने दृढ़ निश्चय और विपत्तियों से हर बार ऊपर उठने वाली संस्कृति के रूप में जाना जाता है। इस बार विपत्ति के रूप में कोरोना आया हुआ है और इस वायरस ने लगभग विश्व के सभी देशों में तांडव मचा चुका है। जापान में अभी तक कोरोना के 3,300 मामले पाये गए हैं जो कि अन्य देशों की तुलना में काफी कम है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि भौगोलिक रूप से जापान चीन के बेहद करीब है लेकिन फिर भी अभी तक इस देश में कोरोना पूरी तरह से काबू में है। विश्व का सबसे बूढ़ा देश होने के बावजूद जापान में मौत की दरें सबसे कम है जबकि इटली में हाहाकार मचा हुआ है। आखिर यह कैसे संभव हुआ? इसके कई कारण है। जापान के लोग विश्व के सबसे law-Abiding Citizen यानि कानून को बनाने वाले माने जाते हैं। यही नहीं जापान में मास्क का भी प्रचलन आज से नहीं है, यह उनके संस्कृति में समाहित है।

जब कोरोना ने अपने पाँव पसारना शुरू किया था तब जापान ने कई कदम उठा लिए थे जो कोरोना के संक्रमण को काबू करने में काम आया।

पिछले महीने जापान ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कई तरह के कदम उठाए थे। जापान ने एक फरवरी को ही चीन के हुबेई प्रांत के लोगों की एंट्री अपने यहां बंद कर दी थी। कोरोना वायरस के मद्देनजर जापान की सरकार ने मार्च के अंत में होने वाली वसंत की छुट्टियों से दो हफ्ते पहले ही सभी स्कूलों को बंद कर दिया था, और सभी सार्वजनिक आयोजन रद्द कर दिए गए। लेकिन दुकान और रेस्तरां खुले रह सकते थे और कुछ जापानी कर्मचारियों ने घर से काम करने का फैसला किया। DW की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञ का कहना है कि बड़े पैमाने पर टेस्ट करने की बजाय उन्होंने कोविड19 के बढ़ते केसों पर नजर रखी। जब उत्तरी द्वीप होक्काइदो में एक प्राइमरी स्कूल में वायरस फैलने का मामला सामने आया तो पूरे इलाके में  स्कूलों को बंद कर दिया गया।

जापान की संस्कृति में भी कई ऐसी चिजे हैं जो किसी भी बीमारी के प्रसार को रोकती है। जापान के लोग जब भी एक-दूसरे से मिलते हैं तो हाथ मिलाने या फिर गाल पर चुंबन करने की बजाय वे एक दूसरे के सामने झुक कर अभिवादन करते हैं। यही नहीं जापान में बचपन से ही लोगों को बहुत साफ-सफाई रखना सिखाया जाता है।

हाथ धोना, डिसइंफेक्ट मिश्रण से गारगल करना और मास्क पहनना उनके रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा हैं। इन सब के लिए किसी वायरस की आवश्यकता नहीं है। इसी का नतीजा था कि जब फरवरी में यह वायरस फैलने लगा तो पूरे जापान को एंटी-इंफेक्शन मोड में आने के लिए अलग से मेहनत करने की आवश्यकता नहीं पड़ी और न ही सरकार को अलग से यह बताने की आवश्यकता पड़ी कि आप लोग साफ सफाई रखें। दुकानों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों के दरवाजो पर सैनिटाइजर रख दिए गए और मास्क पहनना सबकी जिम्मेदारी बन गया।

मास्क संस्कृति

बता दें कि जापान में हर वर्ष करीब 5.5 अरब मास्क की खपत होती है यानी एक व्यक्ति यहां औसतन 43 मास्क इस्तेमाल रखता है। जाहिर है कि कोरोना वायरस फैलने के बाद मास्क की बिक्री यहां भी अचानक से बढ़ी। लोग दुकान खुलने से पहले ही लाइन लगाकर खड़े हो जाते थे। 2009 के H1N1 इन्फ्लूएंजा महामारी द्वारा इस रिवाज को बढ़ावा दिया गया था, और उसके बाद जापान में कई प्रकार के मास्क की बिक्री होती है।

जापान के लोगों को यह समझ है कि किसी व्यक्ति में लक्षण न दिखने के बावजूद संक्रमण हो सकता है जिससे वे किसी अन्य को संक्रमित कर सकते हैं। जापानी लोगों मनना है कि जब कोई व्यक्ति मास्क पहनता हैं तो सामने वाले को बचाता है, ताकि उन तक वायरस नहीं फैले। इसी मास्क संस्कृति का असर कोरोना के मामलों में और मृत्यु दर में भी देखा जा सकता है।

पश्चिमी देशों के 5 डॉक्टरों के हालिया अध्ययन में पता चला है कि मास्क पहनने से कोरोना को फैलाने वाली छोटी-छोटी बूंदों के दूसरे लोगों में जाने यानी वायरस फैलने की आशंका कम होती है।

दरअसल, साल 1918 के स्पैनिश फ्लू में करीब 5 लाख जापानी लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद से ही वहां मास्क लगाने का कल्चर शुरू हो गया था। जापानी लोग बाहर जाने से पहले और आने के बाद हाथ धोने को प्राथमिकता देते हैं। इसके अलावा, वे कहीं जाते भी हैं तो हाथों की सफाई पर उनका जोर रहता है।

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के पूर्व चीफ ऑफ हेल्थ पॉलिसी केंजी शिबुया ने ब्लूमबर्ग से कहा है कि जापान का पूरा ध्यान या तो कम्युनिटी संक्रमण रोकने पर है या अभी तक वहां के पूरे मामले सामने आने बाकी हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जापान में कोरोना वायरस का संक्रमण इसलिए भी कम है क्योंकि वहां कि संस्कृति भी वैसी है। जापान के लोग बहुत सोशल नहीं होते हैं। उन्हें एकांत पसंद है।

जापान बहुत ही सघन आबादी वाला देश है और वहां दुनिया में जनसंख्या के अनुपात में सबसे ज्यादा बुजुर्ग लोग रहते हैं। चीन के साथ भी उसका बहुत नजदीकी संपर्क है, जहां से यह वायरस पूरी दुनिया में फैला। जनवरी में 9.2 लाख चीनी लोगों ने जापान की यात्रा की थी जबकि फरवरी में 89 हजार लोग चीन से जापान गए थे। परंतु इसके बावजूद जापान ने अभी तक Emergency नहीं घोषित की है। यह वहाँ के लोगों की मानसिकता के बारे में स्पष्ट हो जाता है। जापान के लोगों में स्वयं से अपने कर्तव्यों के बारे में एहसास है जो बाकी देशों को भी सीखने की आवश्यकता है। यही नहीं जापान का बेहतर मेडिकल इनफ्रास्ट्रक्चर भी कोरोना को रोकने में मददगार साबित हुआ। विश्व के अन्य देशों को भी जापान से कर्तव्यों, साफ सफाई और संस्कृति सीखने की आवश्यकता है।

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