हाल ही में फेक न्यूज़ का सिलसिला कुछ ज़्यादा ही बढ़ गया है। वुहान वायरस के समय इस अनचाहे ट्रेंड ने विकराल रूप धारण कर लिया है। हाल ही में एक कन्नड़ चैनल को भ्रामक खबर फैलाने के लिए केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कारण बताओ नोटिस थमाया है।
जन सत्ता की रिपोर्ट के अनुसार कन्नड़ न्यूज़ चैनल पब्लिक टीवी ने यह खबर प्रसारित की कि मोदी सरकार जल्दी ही दूर दराज के क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर से पैसे गिराकर गरीबों की मदद करेगी।
पीटीआई के अनुसार इस खबर को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से शिकायत की गई, जिसपर तुरंत कार्रवाई करते हुए मंत्रालय ने पब्लिक टीवी को कारण बताओ नोटिस भेजा है और साथ ही निर्देश भी दिया है कि दस दिन के भीतर रिप्लाई करना है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अतिरिक्त निदेशक एम नागेन्द्र स्वामी ने बताया, “जब पूरा देश COVID 19 से लड़ रहा है, तो इस संकट काल में लोगों को जागरूक करने के बजाए आपका चैनल फर्जी जानकारी फैला रहा है, पैनिक क्रिएट कर रहा है”।
परन्तु यह अपनी तरह का पहला केस नहीं है। इससे पहले हाल ही में एबीपी न्यूज़ के मराठी सेक्शन ने बखेड़ा खड़ा कर दिया था। 14 अप्रैल को महाराष्ट्र से एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई, जिसमें हजारों की संख्या में मजदूर बांद्रा स्टेशन के सामने इकट्ठा हुए। एबीपी न्यूज़ के मराठी संस्करण एबीपी माझा ने एक झूठी रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें एबीपी माझा ने दावा किया कि 14 अप्रैल को ट्रेन सेवा सीमित समय के लिए बहाल की जाएंगी।
हालांकि, यह रिपोर्ट पूर्णतया निराधार थी। रेलवे ने ऐसे किसी भी निर्णय के बारे में नहीं बात की। वैसे भी, लॉकडाउन पहले 14 अप्रैल की मध्यरात्रि के लिए निर्धारित था, वह बीच में कैसे भंग हो जाता? इसी भ्रामक रिपोर्टिंग के कारण बांद्रा में 14 अप्रैल को भारी भीड़ जमा हुई, और इसी कारण मुंबई पुलिस ने चैनल पर यह रिपोर्ट चलाने वाले पत्रकार राहुल कुलकर्णी को हिरासत में ले लिया।
इसी प्रकार लाईव हिन्दुस्तान ने भी एक भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित की, इस रिपोर्ट में अरविंद सिंह ने दावा किया था कि “रेल मंत्रालय ने 15 अप्रैल से मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को चलाने के लिए सभी डिवीजन से तैयारी रखने को निर्देश दिए हैं। इसलिए लखनऊ, इज्जतनगर और मुरादाबाद रेल मंडल ने भी अपनी समस्त गाड़ियों, रेल इंजन और स्टेशनों को सैनिटाइज कराने का काम शुरू करा दिया है”।
ऐसी रिपोर्टस ना केवल लोगों में गलत धारणा बिठाते हैं अपितु ऐसे विकट समय में स्थिति को बद से बदतर बनाते हैं। लाईव हिन्दुस्तान ने यह रिपोर्ट 10 अप्रैल को प्रकाशित की, जबकि 9 अप्रैल को ही भारतीय रेलवे ने ऐसे किसी भी खबर का पुरजोर खंडन किया था। अब भारतीय रेलवे को ट्वीट करना पड़ा, “स्पष्ट कर दें कि सभी ट्रेन सेवा 3 मई तक पूर्णतया निलंबित हैं। किसी स्पेशल ट्रेन की घोषणा नहीं हुई है। कृपया भ्रामक खबरें न फैलाएं”।
वास्तव में जब जब इतनी विकट परिस्थिति हो, तो ऐसे में न्यूज़ चैनल और अन्य मीडिया को सतर्कता बरतनी चाहिए, ना कि लोगों में गलत धारणा फैलाए, और स्थिति को और बदतर बनाए। इस तरह की पत्रकारिता से दूर रहना चाहिए, जिसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध ही नहीं। पब्लिक टीवी के विरुद्ध सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी पत्रकार इस तरह की खबरें न फैलाये।