दिल्ली एक बार फिर से सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। जबसे भारत पर वुहान वायरस की महामारी की मार पड़ी है, दिल्ली अपने सक्रियता और कुशलता के लिए कम और अपनी निष्क्रियता के लिए अधिक चर्चा में है। चाहे वह प्रवासी मजदूरों का पलायन हो, या फिर तब्लीगी जमात के सदस्यों द्वारा मचाया गया उत्पात हो, दिल्ली की केजरीवाल सरकार वुहान वायरस से निपटने की तैयारी में बेहद पीछे रही है।
अब दिल्ली के समक्ष एक और संकट आ खड़ा हुआ है। एक ओर काफी मेडिकल स्टाफ वुहान वायरस से संक्रमित होने के कगार पर खड़े हैं, तो वहीं कई स्टाफ के पास उचित सुरक्षा उपकरण भी नहीं हैं, जिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने भी कड़ी आपत्ति जताई है।
दिल्ली के उच्चाधिकारियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस में उन्होंने वर्तमान स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा-
“अब तक 13 पैरामेडिक्स, 26 नर्स, 24 फील्ड कर्मचारी, 33 डॉक्टर इत्यादि दिल्ली में ही वुहान वायरस से संक्रमित है। ये काफी चिंताजनक बात है“।
बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने जमीनी रिपोर्ट की समीक्षा और कोविड-19 के संक्रमण को रोकने की रणनीति पर दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और सर्विलांस अफसरों के साथ वीडियो कांफ्रेंस की।
इसके अलावा डॉ हर्षवर्धन ने कहा, अन्य बात जो चिंताजनक है, वह है हॉटस्पॉट की संख्या। दिल्ली में 96 से 98 तक हॉटस्पॉट हैं और इस संख्या को कम करने की जरूरत है। हालांकि, हम जानते हैं कि दिल्ली को बाहर से आने वाले लोगों को वहन करना पड़ता है और मरकज ने भी बीमारी फैलाई, लेकिन हमें दिल्ली में तेजी से स्थिति में सुधार करने की जरूरत है।
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर। केंद्र सरकार के स्पष्ट दिशानिर्देशों के बाद भी दिल्ली की स्थिति में कोई सुधार होते नहीं दिख रहा है। न्यूज़ 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में सुरक्षा उपकरणों की कमी के कारण काफी चिकित्सक असहज दिख रहे हैं। उनके अनुसार वुहान वायरस अभेद्य नहीं है, परन्तु बिना उचित आवश्यक वस्तुओं के कैसे यह लड़ाई जीत सकते हैं?
दिल्ली मात्र एक बड़ा शहर है, और फिर भी उसके कुल मामले कई राज्यों से भी ज़्यादा है। यहां सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, फिर भी यदि स्थिति बाद से बदतर हो रही हो, तो उसके लिए राज्य सरकार से अधिक दोषी कौन हो सकता है?
केजरीवाल सरकार की यही निष्ठुरता बहुत महंगी पड़ सकती है। उपकरणों की कमी, लंबे वर्किंग आवर और नर्स के लिए असंतोषजनक accommodation कुछ प्रमुख कारण है जिसके कारण दिल्ली सरकार आजकल आलोचना के केंद्र में है।
लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल के एक नर्सिंग स्टाफ ने नाम न छापने की शर्त पर मीडिया को बताया-
“हमें एक हफ़्ते या एक महीने के लिए PPE किट मिलते हैं और हमें उस सक्रिय ड्यूटी पर लगे नर्सों में बांटना होता है। चूंकि किट्स कम है, इसलिए 3 में से एक ही नर्स इसका लाभ उठा सकती हैं। बाकी सब को आम उपकरणों से काम चलाना पड़ता है“।
मामलों में बढ़ोत्तरी केजरीवाल सरकार की निष्क्रियता के बारे में भी काफी कुछ कहती है। इससे ज़्यादा शर्म की बात क्या होगी कि दिल्ली में इतने केस हैं जितने मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भी नहीं होंगे।
परन्तु केजरीवाल को अपने PR कैंपेन से फुरसत मिले, तब ना। जनाब अभी दावा करते फिर रहे थे कि प्लाज्मा थैरेपी वुहान वायरस का रामबाण इलाज है, हालांकि केंद्र सरकार को ये झूठ उजागर करने में ज़्यादा समय नहीं लगा। ऐसे ही लोगों के लिए शायद कहा जाता है, “आग लगे झोपड़िया में, हम गांवें मल्हार”।