रमजान के दौरान न लाउडस्पीकर, न इफ्तार और न ही मस्जिदों में नमाज- कर्नाटक सरकार का सख्त फैसला

रमजान

PC: Navodaya Times

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने रमजान महीने में पांच वक्त का नमाज इकट्ठे पढ़ने पर रोक लगा दी है। इस संबंध में सरकार की तरफ से गाइडलाइंस जारी कर दी गई है। बता दें कि कर्नाटक में अभी तक कोरोना के 315 मामले सामने आए हैं और 13 लोगों की इससे मृत्यु हुई है। पूरे देश में कोरोना अपने पाँव पसारता जा रहा है और पूरे भारत में कोरोना से 13 हजार 400 लोग पॉज़िटिव पाये गए हैं।

देश में कोरोना के मामलों पर रोक लगाते हुए सरकार ने 3 मई तक लॉकडाउन की अवधी को बढ़ाया था। लेकिन इसी बीच रमजान का पवित्र महीना भी शुरु होने वाला है। और इसी को ध्यान में रखते हुए राज्यों ने भी कमर कस ली है। कर्नाटक के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने मस्जिदों के कर्मचारियों द्वारा लोगों को नमाज के लिए बुलाए जाने पर भी रोक लगा दी है। वहीं यह भी फैसला किया गया है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते रमजान के दौरान दावत-ए-सहरी या इफ्तार की कोई व्यवस्था नहीं की जाएगी। रमजान का महीना 24 या 25 अप्रैल से शुरू होने की उम्मीद है।

राज्य सरकार द्वारा कहा गया है कि देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए केंद्र सरकार ने पहले ही धार्मिक स्थलों पर लोगों के जुटने और सामूहिक पूजा-पाठ और इबादत पर रोक लगाई है। विभाग ने नोटिस जारी कहा है कि मस्जिद या दरगाह के आसपास किसी भी खाने की दुकान की अनुमति नहीं दी जाएगी। अजान भी कम आवाज में होगी। मंत्रालय ने यह भी आदेश दिए हैं कि इन सभी दिशा-निर्देशों की घोषणा एक प्री-रिकॉर्डेड ऑडियो क्लिप के जरिए मस्जिदों व दरगाहों से तीन भाषाओं में दिन में चार बार होगी।

दूसरी तरफ केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी अल्पसंख्यकों से अपील करते हुए कहा कि वह रमजान के महीने में लॉकडाउन के नियमों और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। उन्होंने लोगों को अपने-अपने घरों में ही इबादत करने को कहा।

गौरतलब है कि अभी तक कोरोना के एक स्रोत में से सबसे अधिक मामले धार्मिक स्थलों पर भीड़ जमा होने के कारण ही सामने आए हैं। दिल्ली के निज़ामुद्दीन में हुए तबलीगी जमात के मरकज में 9000 से अधिक लोग जमा हुए थे जिसके सामने आने के बाद देश में कोरोना के मामलों में अचानक से उछाल आया और तब से यह रुक ही नहीं रहा है।

30 -31 मार्च से देश में कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल और कई राज्यों में मस्जिदों में भीड़ एकत्रित होने की बात सामने आई जिससे कोरोना फैलने के चांस कई प्रतिशत बढ़ जाते हैं। पश्चिम बंगाल के  मुर्शिदाबाद शहर में शुक्रवार की नमाज़ के लिए बड़ी संख्या में लोग उपस्थित हुए, और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए भीड़ भी इकट्ठा की। इसके अलावा वे अफसरों की बातों तक को अनसुना कर रहे थे।

सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई देश जैसे दक्षिण कोरिया, ईरान, मलेशिया, इन्डोनेशिया में धार्मिक भीड़ के एकत्रित होने के कारण कोरोना के मामले अचानक बढ़े थे जिसके बाद कोरोना इन देशों में बेकाबू हो गया।

अब कर्नाटक सरकार ने रमजान के पवित्र महीने में भीड़ एकत्रित होने पर रोक लगा कर एक अच्छा और निर्णायक फैसला लिया है। इसी तरह का फैसला पश्चिम बंगाल सहित सभी राज्यों को लेना चाहिए। इससे न सिर्फ देश में कोरोना को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी बल्कि, लोग स्वयं भी इससे सुरक्षित रहेंगे। लोगों को यह समझना अतिआवश्यक है कि उनका स्वास्थ्य उनके धर्म से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। भीड़ भाड़ वाले इलाके में जाकर न सिर्फ वे अपनी जान को खतरे में डालते हैं बल्कि, अपने परिवार के सदस्यों और समाज के लिए खतरा बन जाते है। ऐसे में घर में रहे सुरक्षित रहे।

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