ब्रिटेन का चीन पर सीधा हमला, कहा- ‘डेटा छुपाया, झूठ बोला, अब तुमसे कोई बिजनेस नहीं’

ब्रिटेन

कोरोना वायरस से परेशान ब्रिटेन ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि चीन से रिश्ते अब पहले जैसे कभी नहीं रहेंगे। वुहान वायरस ने अगर चीन, इटली और अमेरिका के बाद कहीं सबसे अधिक तबाही मचाई है तो वह यूनाइटेड किंगडम है। यूके में अभी तक 1 लाख से अधिक मामले सामने आ चुके हैं और 13 हजार 700 से अधिक मौते हो चुकी हैं। ब्रिटेन में कोरोना वायरस सिर्फ सामान्य लोगों तक ही नहीं बल्कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और प्रिंस चार्ल्स को भी कोरोना के टेस्ट में पॉज़िटिव पाया गया था। इसी कारण से अब यूके चीन पर काफी गुस्सा है। ब्रिटेन ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि चीन को कोरोना वायरस के संबंध में कड़े प्रश्नों का जवाब देना होगा।

पीएम बोरिस जॉनसन की गैर माजूदगी में ब्रिट्रेन की कमान संभाल रहे फॉरेन सेक्रेटरी Dominic Raab (डोमिनिक राब) ने कहा है कि कोरोना वायरस के बाद अब चीन के साथ पहले जैसे रिश्ते कभी नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि कुछ कड़े सवाल हैं जिनका जवाब चीन को देना होगा कि आखिर इसकी शुरुआत कैसे हुई और इसे कैसे रोका जा सकता था।

ब्रिटेन के शीर्ष अधिकारी की तरफ़ से ऐसे कड़े शब्द आना दिखाता है कि आने वाले समय में चीन द्वारा कोरोना वायरस के मामलो में आंकड़े छिपाने के लिए उसकी जवाबदेही तय की जाएगी और उसके खिलाफ कड़े एक्शन लिए जाएंगे।

ब्रिटेन की सत्ताधारी कंजर्वेटिव पार्टी के कई नेता पहले ही चीन के साथ संबंधों को Reset करने की बात कह चुके हैं।  वहीं ब्रिटिश पार्लियामेंट की फॉरेन अफेयर्स कमेटी ने चेतावनी दी है कि चीन द्वारा चलाया जा रहा प्रोपेगेंडा से कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में “ब्रिटेन को अपने लोगो की जान गंवानी पड़ रही है”।

इससे पहले यूनाइटेड किंगडम में किए गए शोध के अनुसार यह बात सामने आई थी कि, कोरोना वायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था को 3.2 ट्रिलियन पाउंड की हानि हुई है जो भारत की वित्तीय वर्ष 2019 के जीडीपी से भी अधिक है और इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

ब्रिटेन की सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के 15 वरिष्ठ सदस्यों ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को लिखा था जिसमें बीजिंग के साथ संबंधों पर पुनर्विचार करने के लिए कहा गया था, और इसके लिए जिम्मेदार चीन की कम्युनिस्ट सरकार को ठहरना। उन्होंने ब्रिटिश सरकार से मांग की है कि ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के एवज में चीन से 351 बिलियन पाउंड के मुआवजे की मांग की जाए। इसका मतलब स्पष्ट है यूके चीन को कड़ा सबक सिखाने के मुड में है जो चीन के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

सच तो यह है कि बोरिस जॉनसन की सरकार चीन से इस कदर नाराज है कि हाल ही में बोरिस जॉनसन ने कोरोना के बारे में सही आंकड़े छिपाने के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ बोला था और साथ ही चीन की कंपनी हुवावे को देश में 5जी ट्रायल शुरू करने संबन्धित दी गयी अनुमति को भी रद्द करने की बात कही थी।

दरअसल, यूके सहित दुनिया भर के देशों का चीन से नाराज़ होना लाज़मी है क्योंकि चीन के वुहान शहर के वेट मार्केट से आए इस वुहान वायरस के फैलने के बाद भी चीन कि कम्युनिस्ट सरकार इस वायरस के संक्रमण और प्रभावित होने वाले लोगों का डाटा छिपा रही। चीन में कम्युनिस्ट शासन के प्रति संदेह और भी बढ़ जाता है जब यह बात सामने आई कि इस वायरस के फैलने के बावजूद भी 25 जनवरी को नववर्ष समारोह आयोजित किया गया और उस दौरान वायरस का प्रसार हुआ था जिससे चीन में बड़े पैमाने पर यह वायरस फैला। चीन ने इस वायरस के बारे में दुनिया को बिलकुल झूठे आंकड़े दिये, जिसकी वजह से दुनिया कभी इस वायरस के असल खतरे को भाँप ही नहीं पाई और आज इतनी बड़ी संख्या में सभी देशों को अपने नागरिकों की जान गंवानी पड़ रही है। यूरोप, UK और अमेरिका जैसे देश चीन के इसी भ्रम जाल में फंसे हैं। अगर चीन समय रहते सही जानकारी सभी देशों को मुहैया कराता तो ये देश पहले ही अपनी तैयारी को और मजबूत कर लेते और आज UK को ये दिन देखना ही नहीं पड़ता। दुनिया को चीन की इस करतूत के लिए ना सिर्फ उसे कटघरे में खड़ा करना चाहिए बल्कि, इस महामारी को हल्के में लेने के लिए जरूरत पड़ने पर चीन पर प्रतिबंध लगाने का विचार भी करना चाहिए।

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