चीन से आए मेडिकल किट के खराब निकल जाने के बाद मोदी सरकार ने चीनी COVID-19 रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट पर सख्त रुख अपनाया है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने चीनी एंटीबॉडी परीक्षण किटों की आपूर्ति के लिए अभी तक कोई भुगतान नहीं किया है। इसके साथ ही सरकार ने “दोषपूर्ण” रैपिड एंटीबॉडी टेस्टिंग किट को उपयोग से हटाने और सभी खरीद आदेशों को रद्द करने का फैसला किया है।
बता दें कि सरकार ने चीन की दो कंपनियों- गुआंगजौ वोंडो बायोटेक (Guangzhou Wondfo Biotech) और झुहाई लिवज़ोन डायग्नोस्टिक्स (Zhuhai Livzon Diagnostics) से रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट्स का आदेश दिया था, लेकिन किटों की एक्यूरेसी सिर्फ 5 प्रतिशत था। इसके बाद सरकार ने ये कड़े फैसले लिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के प्रमुख बलराम भार्गव के साथ बैठक की, जहां सभी खरीद आदेशों को रद्द करने और किट को उपयोग से हटाने का निर्णय लिया गया।
साथ ही मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि खराब चीनी एंटीबॉडी टेस्ट किट्स के टेंडर को रद्द करने पर देश का एक भी रुपया बर्बाद नहीं होगा। ICMR ने भी एक्शन लेते हुए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे दोषपूर्ण किट का उपयोग तुरंत बंद करें और खराब पाए जाने पर उन्हें आपूर्तिकर्ता को लौटा दें।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने विज्ञप्ति में बताया कि, “ड्यू प्रोसेस के कारण सरकार को एक भी रुपया का नुकसान नहीं होने वाला है क्योकि इसमें 100 प्रतिशत एडवांस पेमेंट नहीं होता”
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि, ‘राज्यों को चीन के गुआंगझोऊ वोंडफो बायोटेक और झूहाई लिवजॉन डायग्नोस्टिक से मिलीं किट का इस्तेमाल रोकने के लिए कहा गया है। इनके टेंडर में कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां शामिल थीं। टेंडर जारी करने में सभी जरूरी मानकों का ध्यान रखा गया था।’ अग्रवाल ने बताया कि, ‘जब ऑर्डर लेने वाली कंपनियों से टेस्ट किट्स मिलीं तो इनमें कुछ शिकायतें सामने आईं। आईसीएमआर ने तुरंत टेंडर रद्द कर दिया। फिलहाल, किसी दूसरी कंपनी को टेंडर नहीं दिया है।’
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से इन टेस्टिंग किट पर बवाल हुआ था जिसमें यह आरोप लगाए जा रहे थे कि रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट्स के लिए भारत को दोगुनी कीमत चुकानी पड़ी है। वितरक और आयातक के बीच कानूनी मुकदमेबाजी होने और यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय तक पहुंच गया था। राहुल गांधी तो इसे स्कैम का नाम दे चुके थे।
हालांकि, अब स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने खुलासा किया है कि उसने टेस्ट किट के लिए टेंडर प्रक्रिया अपनाया था। इस प्रक्रिया में 1204 रु., 1200 रु., 844 रु. और 600 रु. की बोलियां लगाई गई जिसके बाद सबसे कम बोली 600 रु. को मंजूरी दी गयी थी। हालांकि जो भी हो अब सरकार ने इस टेंडर को रद्द कर दिया और और सरकार को एक रुपये का भी नुकसान नहीं होने वाला है।
लेकिन चीन को अब सपनों की दुनिया से जागने का समय आ चुका है क्योकि भारत अन्य देशों की तरह बेवकूफ नहीं बना। चीन कई देशों को खराब टेस्टिंग किट बेचकर मुनाफा कमाने में लगा है। स्पेन से लेकर चेक गणराज्य और फिर यूके तक को चीन ने खराब टेस्टिंग किट बेचा था। कई देश तो पूरा पेमेंट कर चुके थे, और अब उन्हें यह नहीं पता कि अपने रुपयों को कैसे रिकवर किया जाए। चीन ने भारत के साथ भी यही चालाकी करने की कोशिश की लेकिन मोदी सरकार को इन देशों के हालात पता थे इसलिए पहले चीनी टेस्टिंग किट को मांग कर टेस्ट किया गया वो भी बिना पूरी पेमेंट के और जब किट खराब निकले तो टेंडर ही रद्द कर दिया गया। कोरोना के इस महामारी में चीन को लगे इस झटके से मिली सीख हमेशा याद रहेगी।