धोखाधड़ी, गुंडागर्दी और लूट-खसोट, चीन आजकल इन्हीं “गुणों” के लिए दुनियाभर में जाने जाना लगा है। कोरोना फैलाकर दुनिया को अंधकार में ले जाने वाले और नकली टेस्टिंग और PPE किट्स बेच-बेच मुनाफा कमाने वाले चीन ने अब अपने व्यापारिक साझेदारों को भी ठगना शुरू कर दिया है।
दरअसल, अब यह खबर सामने आई है कि चीन की एक कंपनी ने इटली की एक अन्य कंपनी के साथ मिलकर चलाई जा रही एक bike टैक्सी एप्प को हाईजैक कर लिया और ना सिर्फ उस बाइक सेवा एप्प की सभी सेवाओं को बंद कर दिया बल्कि 1.5 मिलियन यूजर्स का डेटा भी खतरे में डाल दिया है।
दरअसल, इटली की एक बाइक टैक्सी एप के मालिक मिस्टर अलेजेंडरों फेलिसी ने यह दावा किया है कि चीन की एक कंपनी ने कोरोना के समय में उनके बिजनेस को तबाह कर दिया। फेलीसी ने चीन की कंपनी मीयुतनाम डाइंपिंग से पिछले वर्ष दिसंबर में इटली और स्पेन में बहुचर्चित यह बाइक टैक्सी बिजनेस खरीदा था।
बाद में जब इटली में कोरोना महामारी ने दस्तक दी तो फेलिसी ने सोचा कि वह यह बाइक टैक्सी सेवा अपने देश के स्वास्थ्य कर्मियों को मुफ्त मुहैया कराएगा ताकि कोरोना से लड़ने में आसानी हो सके, लेकिन बिना कोई स्पष्टीकरण के चीन की कंपनी डाइपिंग ने इसकी इजाजत देने से साफ मना कर दिया और दो महीनों तक फेलिसी को कोई जवाब नहीं दिया।
इतना ही नहीं, चीन की इस शातिर कंपनी ने बिजनेस को बेचे जाने के बाद हुए रेवेन्यू पर भी अवैध तरीके से कब्जा कर लिया और साथ ही उस एप्प के लगभग 1.5 मिलियन यूजर्स के संवेदनशील डेटा को खतरे में डाला। इतना सब कुछ होने के बाद अब फेलिसी ने कहा है कि उसके पास कानूनी रास्ता अपनाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा है।
साथ ही फेलिसी ने चीन को चेताया है कि चीन की कंपनियों के इस व्यवहार से यूरोप में चीन को बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है और भविष्य में उसे कोई विश्वसनीय साझेदार के रूप में नह देखेगा।
कोरोना से पहले इटली और चीन के सम्बन्धों में काफी मधुरता देखने को मिल रही थी। चीन इटली में अपने BRI प्रोजेक्ट के तहत इनफ्रास्ट्रक्चर के लिए भारी निवेश कर रहा था, लेकिन कोरोना के कारण अब इटली में काफी चीन विरोधी आवाज़ें उठना शुरू हो चुकी है। चीन ने जिस तरह इटली में पहले कोरोना फैलाया और फिर बाद में नकली किट्स बेचकर इटली को ठगा, उससे इटली में काफी गुस्सा है।
इतना तो साफ है कि एक बार कोरोना संकट खत्म होने के बाद सभी देश मिलकर चीन के लिए मुसीबतें खड़ी करने वाले हैं। जापान पहले ही अपनी कंपनियों को चीन से बाहर निकालने की बात कह चुका है। अमेरिका में भी ऐसी मांग उठाई जा रही है। दुनिया में चीन के बहिष्कार की बातें की जाने लगी हैं।
उधर चीन की कंपनियों का ऐसा बर्ताव भी चीन के लिए कई मुश्किलें खड़ा करने वाला है। इससे साफ है कि यूरोप के साथ-साथ अमेरिका और पूर्वी एशिया में चीन का प्रभाव खत्म होने को है और आने वाले कुछ साल चीन के लिए बेहद घातक साबित हो सकते हैं।