इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत की वुहान वायरस से लड़ाई को तब्लीगी जमात के उत्पातों द्वारा काफी नुकसान पहुंचा है। जो मामले 10,000 के नीचे रह सकते थे, वो अब कुल 30000 का आंकड़ा पार कर चुका है।
ऐसे में पूरे देश में तब्लीगी जमात के सदस्यों के खिलाफ आक्रोश की लहर उमड़ पड़ी। उनके चाटुकारों, विशेषकर वामपंथी बुद्धिजीवियों के लाख प्रयासों के बावजूद यह गुस्सा कम नहीं हुआ। परन्तु अब एक नया अभियान प्रारम्भ किया गया है, जिसमें यें दिखाने का प्रयास किया गया है कि कैसे तब्लीगी जमात के सदस्य अपना सब कुछ दांव पर लगाकर मानवता की सेवा कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि तब्लीगी के सदस्य भारी संख्या में अपना ब्लड प्लाज्मा डोनेट कर रहे हैं, ताकि वुहान वायरस से निपटने में आसानी हो ।
परन्तु जल्द ही इनका भांडा भी फूट गया। कल प्रेस से वार्ता के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि कैसे प्लाज्मा थेरेपी अभी भी अपने प्रारम्भिक स्टेज पर है, और यह कोई रामबाण इलाज नहीं है। इसे आईसीएमआर ने स्वीकृत नहीं किया है, फिलहाल, इसका प्रयोग अभी मरीजों पर किया जा रहा है।
Plasma therapy is being experimented, however no evidence that this can be used as a treatment. National level study launched by ICMR to study efficacy: Lav Aggarwal, Joint Secretary, Ministry of Health pic.twitter.com/5fs2goReSc
— ANI (@ANI) April 28, 2020
जब एक व्यक्ति किसी महामारी से संक्रमित होता है, तो उसका शरीर तुरंत प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु एंटीबॉडी का सृजन करता है। , जब मरीज एंटीबॉडी बना कर किसी वायरस को मात दे देता है, तो इसके बाद भी लंबे समय तक एंटीबॉडी प्लाज्मा के साथ उसके खून में मौजूद रहती हैं। इसके बाद ठीक हुए व्यक्ति के प्लाज्मा में मौजुद एंटीबॉडी को अन्य मरीजों पर उपयोग किया जा रहा है और उसको अंदर हुए बदलाव पर अध्ययन किया जा रहा है। परन्तु यह अभी प्रारम्भिक अवस्था में है, और इसपर काम होना बाकी है। केजरीवाल ने हाल ही में बयान दिया था कीं उन्हें केंद्र सरकार से अनुमति मिली है कि डॉक्टर कोरोना से ठीक हो चुके मरीज अपना प्लाज्मा डोनेट करें और मदद के लिए आगे आएं। परन्तु इस घोषणा में केजरीवाल ने पूरी बात नहीं बताई कि केंद्र सरकार ने केवल प्रयोग के लिए अनुमति दी है इस प्रक्रिया से कोरोना ठीक ही हो जायेगा उसकी कोई गारंटी नहीं है।
यदि ऐसी बात है, तो फिर जमाती इस डोनेट करने में क्यों लगे हुए हैं? दरअसल, तब्लीगी जमात की छवि वुहान वायरस के कारण रसातल में जा चुकी है। ऐसे में यदि प्लाज्मा थेरेपी सफल हो जाती, तो काफी हद तक इनकी छवि में ना सिर्फ सुधार आता, बल्कि हमारे लिबरल ब्रिगेड को अपनी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की राजनीति के लिए काफी मसाला मिल जाता, जो आप इनके ट्वीट्स में देख सकते हैं।
After all the anger we’ve subjected to the #TableeghiJamaat – let’s also acknowledge them for their good deeds.
Jamaatis in different cities who’ve recovered are donating blood for #PlasmaTherapy to help us cure COVID19 patients- doing their bit.
Together, we shall overcome.
— Zeba Warsi (@Zebaism) April 26, 2020
#Coronavirus | Several #TablighiJamaat men have donated blood plasma after recovering from the novel coronavirus infection and successfully completing their quarantine period.https://t.co/zhyBtnIdWZ
— The Hindu (@the_hindu) April 28, 2020
Many jamatis in Delhi, earlier #Corona +ive now recovered & -ive, r donating der blood to be used in plasmatherapy 4 treatment of other patients. Request media show this. Not as a measure to build image of Jamaat but erase hate agnst Muslims. We must fight this pandemic unitedly.
— Abdur Rahman (@AbdurRahman_IPS) April 25, 2020
So Tableeghis were demonised as ‘corona carriers’: now they are plasma donors.. (who are donating to ALL) https://t.co/LAvmguI5Xe
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) April 29, 2020
अब कई लोग ऐसे हैं जो जमातियों को सुपरहीरो के तौर पर पर प्रदर्शित करना चाहतें हैं। हालांकि, सच्चाई तो यह है कि जिन लोगों को कठघरे में होना चाहिए, उन्हें जबरदस्ती हीरो के तौर पर पेश किया जा रहा है, और यह एक घृणित PR एक्सरसाइज से ज़्यादा कुछ नहीं है। क्या हम भूल सकते हैं कि किस तरह इन जमातियों ने डॉक्टरों का जीना हराम कर दिया था?
इस कुत्सित प्रोपेगैंडा के सामने नतमस्तक होने के लिए कोई भी तैयार नहीं है। यदि तब्लीगी जमात के बाशिंदे तांडव ना मचाते, तो शायद भारत दक्षिण कोरिया की भांति अब तक स्थिति को पूर्णतया नियंत्रण में कर चुका होता।