जब से चीन के वुहान से निकला कोरोना वायरस ने दुनिया में आतंक मचाया है तब से चीन और WHO की सांठ-गांठ भी खुल चुकी है। जिस तरह से WHO चीन को बचाता फिर रहा है उससे तो ये स्पष्ट देखा जा सकता है। चीन के दबाव में आकार WHO इनता अंधा हो चुका है कि अब वह ताइवान द्वारा दिये गए महत्वपूर्ण जानकारी को भी दुनिया से साझा नहीं कर रहा है।
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सदस्य देशों के साथ जानकारी साझा नहीं किया है जो ताइवान ने अपने देश में कोरोना मामलों और उसके रोकथाम के तरीकों पर प्रदान की थी। बता दें कि ताइवान WHO का सदस्य नहीं है और उसका भी कारण चीन ही है जिसके दबाव के कारण वह अभी तक इस वैश्विक संगठन का सदस्य नहीं बन सका है।
चीन के पास होने के बावजूद ताइवान ने अपने देश में कोरोना को सबसे अच्छे तरीके से हैंडल किया है और उसी जानकारी को International Health Regulations framework के तहत WHO से साझा किया था। लेकिन अब ताइवान ने यह आरोप लगाया है कि यह संगठन उसके रोकथाम की जानकारी बाकी सदस्य देशों के साथ साझा नहीं कर रहा है। बता दें कि ताइवान में अभी तक सिर्फ 322 मामले ही पॉज़िटिव आए हैं।
रविवार को, WHO ने ताइवान के बारे में एक बयान जारी किया था, जिसमें यह कहा गया था कि, “WHO ताइवान में कोरोनोवायरस के मामलों पर हो रही विकास का बारीकी से अध्ययन कर रहा है। साथ ही यह सबक सीख रहा है कि ताइवानवासी कैसे इस महामारी से लड़ रहे हैं।”
इसी बायान की प्रतिक्रिया में, ताइवान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जोआन ओउ ने कहा- ‘’WHO को कुछ राजनीतिक विचारों के आधार पर ताइवान के ऊपर लगाए गए कुछ अनुचित प्रतिबंधों की समीक्षा और सुधार करने की आवश्यकता है।‘’
जोआन ओउ ने बताया कि जबकि ताइवान द्वारा प्रदान की गई जानकारी डब्ल्यूएचओ द्वारा साझा नहीं की गई है। कोरोनोवायरस प्रकोप शुरू होने के बाद से, ताइवान ने WHO को उसके मामलों और रोकथाम के तरीकों के बारे में सभी जानकारी दी है, लेकिन इसे WHO की दैनिक daily updated situation report में शामिल नहीं किया गया है।
उन्होंने आगे बताया कि, “यही कारण है कि अन्य देशों को ताइवान की महामारी की स्थिति, निवारक नीतियों और ताइवान द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में पता नहीं चल पा रहा है।”
बता दें कि ताइवान के सेंट्रल एपिडेमिक कमांड सेंटर (CECC) ने ताइवान के स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर कोरोना वायरस के देश में आने से पहले ही उस पर रोक लगाने के प्रयास करना शुरू कर दिए थे। चूंकि चीन में कोरोना फैल चुका था इसलिए सबसे पहले ताइवान ने बाहर से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग करना शुरू कर दी थी।
बता दें, उस समय ताइवान में एक भी केस मौजूद नहीं था। लेकिन ताइवान कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था, इसलिए उसी वक्त से ताइवान ने अपने देशवासियों को फेस मास्क और एवं दूसरी वस्तुओं के इस्तेमाल करने की सलाह दी। साथ ही बड़े लेवल पर फेस मास्क और सैनिटाइजर का निर्माण करना शुरू कर दिया था। इसके साथ ही ताइवान ने किसी दूसरे देश से आने वाले सभी लोगों के लिए दो सप्ताह का क्वारंटीन में जाना अनिवार्य कर दिया था।
हालांकि ताइवान का WHO पर यह आरोप नया नहीं है। इससे पहले भी वह कई बार WHO पर ताइवान के साथ भेदभाव का आरोप लगा चुका है। ताइवान ने COVID-19 या चीनी वायरस के खतरों के बारे में दिसंबर, 2019 की शुरुआत में चेतावनी दी थी, लेकिन WHO ने नजरअंदाज कर दिया था। यही नहीं कोरोनावायरस जनवरी के महीने में बुरी तरह फैल चुका था, जिस पर चीन की दुनियाभर में आलोचना हो रही थी लेकिन WHO ने इस पर चीन की काफी तारीफ की थी। इसके साथ ही चीन के बाहर भी कुछ कोरोना के मरीज आ चुके थे तब भी WHO ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि यह रोग ह्यूमन टू ह्यूमन नहीं फैलता।
Taiwan had warned of the dangers of COVID-19 aka Chinese Virus as early as in December, YES December 2019 but the thoroughly compromised WHO ignored the input. Both China and WHO need to be penalised. See copy of letter by Taiwanese Rep. to the Economist 👇 pic.twitter.com/XuyG5J7vn4
— Nitin A. Gokhale (@nitingokhale) March 28, 2020
ताइवान का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह रवैया ताइवान के नागरिकों के जीवन को जोखिम में डालता है। ताइवान का आरोप है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ऐसा चीन के दबाव में आकर कर रहा है, क्योंकि उस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाहर करने के लिए दबाव है।
जब WHO ताइवान की बात मान कर कोरोना के ऊपर पहले संज्ञान लेता तो शायद आज इतनी तबाही नहीं देखने को मिलती और सभी देश ताइवान की तरह ही पहले से तैयार रहते। उसके बाद भी WHO ने सीख नहीं ली और ताइवान को नजरंदाज करता रहा है। अब सभी सदस्य देशों को मिल कर WHO पर दबाव बनाना चाहिए और ताइवान को सदस्यता दिलाने की बात करनी चाहिए।