28 अप्रैल को अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग यानि USCIRF ने हर बार की तरह इस बार भी भारत विरोधी रुख अपनाते हुए भारत में हो रही कथित मुस्लिमों पर हिंसा और CAA कानून पर अपनी चिंता जताई और साथ ही भारत को “खास चिंता वाले देशों” की सूची में डाल दिया। USCIRF की नज़र में अब भारत में अल्पसंख्यकों के पास उतने ही अधिकार बचे हैं जितने कि नॉर्थ कोरिया, सऊदी अरब, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों में हैं। भारत ने इस संस्था के इस फैसले को रद्दी बताया है और साथ ही USCIRF को ही चिंताजनक स्थिति में बताया है। USCIRF के पाखंड का अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि खुद इस पैनल के तीन सदस्यों ने ही USCIRF की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया।
USCIRF के तीन सदस्यों गैरी बोएर, जोह्नी मोरे और तेंजीन दोर्जी ने अपने ही पैनल की इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया और कहा कि वे इस संस्था के फैसले से सहमत नहीं हैं। कमीशन के सदस्य तेंजीन दोर्जी ने इस रिपोर्ट पर अपनी कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा-
“मैं नहीं मानता कि भारत को CPC यानि खास चिंता वाले देशों की सूची में डालना चाहिए। आप भारत को नॉर्थ कोरिया और चीन के समक्ष नहीं रख सकते। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है और वहाँ पर CAA का विरोध हुआ है। विपक्षी पार्टियों और सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया है”।
"India does not belong to the same category as authoritarian regimes like China and North Korea". 3 members of the #USCIRF commission reject India's listing as a country of particular concern. India has already snubbed the panel and called it biased. pic.twitter.com/Nj8u8E9xil
— Vikrant Singh (@VikrantThardak) April 29, 2020
इसी तरह गैरी बोएर ने USCIRF की इस पक्षपाती रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा-
“भारत हमारा साथी है, दोस्त है, और एक लोकतान्त्रिक देश है। ऐसी रिपोर्ट प्रकाशित करने से हमारा यह संबंध खराब हो सकता है। वहाँ हालात नॉर्थ कोरिया और चीन या फिर ईरान जैसे तो बिलकुल नहीं हैं। कुछ ऐसे ही विचार गैरी बोएर ने भी सामने रखा जहां उन्होंने सबको याद दिलाया कि भारत अपने संविधान से चलता है, किसी सत्तावादी शासक के इशारों पर नहीं”।
USCIRF के इन तीन सदस्यों का इस तरह इस रिपोर्ट के खिलाफ बोलना इसकी विश्वसनीयता की पोल खोलकर रख देता है। USCIRF समय-समय पर भारत विरोधी बयान जारी करता रहता है। जब भारत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था और जब भारत ने CAA कानून पारित किया था, तो भी इस संस्था को इसी तरह पीड़ा पहुंची थी। भारत सरकार ने भी अब की बार USCIRF को खरी-खरी सुनाई है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा–
‘हम अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की वार्षिक रिपोर्ट में भारत के खिलाफ टिप्पणियों को खारिज करते हैं। भारत के खिलाफ उसके ये पूर्वाग्रह वाले और पक्षपातपूर्ण बयान नए नहीं हैं, लेकिन इस मौके पर उसकी गलत बयानी नये स्तर पर पहुंच गई है।‘
बता दें कि अमेरिका अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने मंगलवार को जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा था कि इसमें नौ ऐसे देश हैं जिन्हें दिसंबर, 2019 में सीपीसी नामित किया गया था, वे म्यांमार, चीन, एरिट्रिया, ईरान, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब, तजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान हैं।
उनके अलावा उसमें पांच अन्य देश- भारत, नाईजीरिया, रूस, सीरिया और वियतनाम हैं। भारत को इस लिस्ट में शामिल कर इस संस्था ने दिखा दिया है कि उसकी कोई विश्वसनीयता अब नहीं बची है और वह एजेंडे के तहत ही बार बार भारत को बदनाम करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहा है।