द वायर पोर्टल का एक ही जीवन मंत्र/उद्देश्य है – एजेंडा ऊंचा रहे हमारा। इसी परिप्रेक्ष्य में 31 मार्च को सिद्धार्थ वरदराजन ने तब्लीगी जमात का बचाव का करते हुए एक विवादास्पद ट्वीट पोस्ट की।
On the day the Tablighi Jamaat event was held, Adityanath insisted a large Ram Navami fair planned for Ayodhya from March 25 to April 2 would proceed as usual and that ‘Lord Ram would protect devotees from the coronavirus”. https://t.co/rO09bSkHSe via @TheWire_in
— Siddharth (@svaradarajan) March 30, 2020
सिद्धार्थ वरदराजन ने ट्वीट कर कहा कि जिस दिन तब्लीगी जमात का समारोह हुआ था, उसी दिन योगी आदित्यनाथ ने रामनवमी के मेले को अयोध्या में हरी झंडी दी थी। इतना ही नहीं, इन्होंने तो दो कदम आगे बढ़ते हुए यहां तक दावा किया कि योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि भगवान राम अपने भक्तों की कोरोना वायरस से रक्षा करेंगे।
यह बयान योगी आदित्यनाथ ने नहीं, बल्कि एक संत स्वामी परमहंस ने दिया था। परन्तु सिद्धार्थ वरदराजन अपने झूठे ट्वीट पर एक ढीठ की भांति डटे रहे। फलस्वरूप यूपी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और सिद्धार्थ को 14 अप्रैल को अयोध्या बुलाया गया है।
परन्तु सिद्धार्थ वरदराजन को एफआईआर क्या भेज दिया, मानो लिबरल वाटिका में त्राहिमाम मच गया। एक-एक कर कई वामपंथी सोशल मीडिया पर रूदाली करते दिखे, मानो सिद्धार्थ वरदराजन ना हो गए उनके आराध्य कार्ल मार्क्स के अवतार हो गए।
वॉल स्ट्रीट जर्नल पर अपनी व्यथा सुनाते हुए सिद्धार्थ के भाई तुंकु वरदराजन लिखते हैं, “जिस तरह से मेरे भाई को डराया जा रहा है, वह सभी को पता है। मेरे पत्रकार भाई सिद्धार्थ वरदराजन को उनके 55 वें जन्मदिन पर उत्तर प्रदेश की पुलिस ने FIR सौंपी। यह इसलिए किया गया ताकि मेरे भाई को मुकदमों में फंसाकर उनकी आवाज़ को दबाया जा सके”।
I look forward to editorials denouncing this assault on journalism in the following organs. They will be next: @theprint @scroll_in @EconomicTimes @timesofindia @the_hindu @htTweets @IndianExpress @livemint @thecaravanindia @ttindia @thetribunechd https://t.co/t6ZKGZCMcl @WSJ
— Tunku Varadarajan (@tunkuv) April 13, 2020
इस एक लेख ने मानो वामपंथियों को अश्रु बहाने पर विवश किया। आखिर इतने सज्जन पुरुष पर योगी आदित्यनाथ द्वारा एफआईआर दर्ज कराने की हिम्मत कैसे हुई? सदानंद धूमे लिखते हैं कि योगी आदित्यनाथ जैसा ठग सिद्धार्थ वरदराजन जैसे निष्पक्ष पत्रकार को उनका काम करने के लिए डरा रहे हैं।
Anyone who cares about press freedom in India should speak up about Yogi Adityanath’s thuggish attempt to intimidate @svaradarajan for doing his job as a journalist. v @tunkuv https://t.co/LN7gBr3w7K
— Sadanand Dhume (@dhume) April 12, 2020
रामचन्द्र गुहा भी अपनी व्यथा एक लेख में पिरोते हुए करते हुए ट्वीट करते हैं, “यह स्वतंत्र प्रेस पर एक घातक हमला है।”
The attack on the free press in India: https://t.co/tBzEHvl349
— Ramachandra Guha (@Ram_Guha) April 13, 2020
मनमोहन सिंह की नीतिगत पंगुता पर प्रकाश डालने वाले पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू ना केवल सिद्धार्थ वरदराजन बल्कि, यहां तक कहने की हिमाकत की कि ऐसा यूपीए के शासन में कभी नहीं होता था।
https://twitter.com/Barugaru1/status/1249538301712691203?s=19
परन्तु सिद्धार्थ वरदराजन की हरकतों को देखकर कहीं से भी नहीं लगता कि वे वाकई में पत्रकारिता के उत्थान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। अभी हाल ही में द वायर ने होशियारपुर में अल्पसंख्यकों पर हुए कथित हमले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, जिसके पीछे होशियारपुर की पुलिस ने खूब खरी खोटी सुनाई थी।
Its fake! Please don’t post such articles that create panic among people in this time of crisis. We need to UNITE AND FIGHT this pandemic n should help to aware people…NOT to panic.
— Hoshiarpur Police (@PP_Hoshiarpur) April 9, 2020
द वायर एक बेहद निकृष्ट पोर्टल जिसका ध्येय है भारत में अपने कुत्सित प्रोपेगैंडा का प्रचार प्रसार करना। पर यदि कोई उनपर उंगली भी उठा दे, तो यह लोग आसमान सिर पर उठा लेते हैं। जिस तरह से वामपंथी सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध एफआईआर ऊपर बौखलाए हैं, उसे देख एक डायलॉग याद आता है, “ये डर अच्छा है, होना भी चाहिए। ये दर देखकर मुझे अच्छा लगा।”