The Wire के मुखिया पर योगी की पुलिस ने जैसे ही FIR किया, कालमार्क्स के भक्तों में मचा त्राहिमाम

सिद्धार्थ वरदराजन के चेले-चपाटी बिलबिला उठे हैं

सिद्धार्थ वरदराजन

द वायर पोर्टल का एक ही जीवन मंत्र/उद्देश्य है – एजेंडा ऊंचा रहे हमारा। इसी परिप्रेक्ष्य में 31 मार्च को सिद्धार्थ वरदराजन ने तब्लीगी जमात का बचाव का करते हुए एक विवादास्पद ट्वीट पोस्ट की।

सिद्धार्थ वरदराजन ने ट्वीट कर कहा  कि जिस दिन तब्लीगी जमात का समारोह हुआ था, उसी दिन योगी आदित्यनाथ ने रामनवमी के मेले को अयोध्या में हरी झंडी दी थी। इतना ही नहीं, इन्होंने तो दो कदम आगे बढ़ते हुए यहां तक दावा किया कि योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि भगवान राम अपने भक्तों की कोरोना वायरस से रक्षा करेंगे।

यह बयान योगी आदित्यनाथ ने नहीं, बल्कि एक संत स्वामी परमहंस ने दिया था। परन्तु सिद्धार्थ वरदराजन अपने झूठे ट्वीट पर एक ढीठ की भांति डटे रहे। फलस्वरूप यूपी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और सिद्धार्थ को 14 अप्रैल को अयोध्या बुलाया गया है।

परन्तु सिद्धार्थ वरदराजन को एफआईआर क्या भेज दिया, मानो लिबरल वाटिका में त्राहिमाम मच गया।  एक-एक कर कई वामपंथी सोशल मीडिया पर रूदाली करते दिखे, मानो सिद्धार्थ वरदराजन ना हो गए उनके आराध्य कार्ल मार्क्स के अवतार हो गए।

वॉल स्ट्रीट जर्नल पर अपनी व्यथा सुनाते हुए सिद्धार्थ के भाई तुंकु वरदराजन लिखते हैं, “जिस तरह से मेरे भाई को डराया जा रहा है, वह सभी को पता है। मेरे पत्रकार भाई सिद्धार्थ वरदराजन को उनके 55 वें जन्मदिन पर उत्तर प्रदेश की पुलिस ने FIR सौंपी। यह इसलिए किया गया ताकि मेरे भाई को मुकदमों में फंसाकर उनकी आवाज़ को दबाया जा सके”।

इस एक लेख ने मानो वामपंथियों को अश्रु बहाने पर विवश किया। आखिर इतने सज्जन पुरुष पर योगी आदित्यनाथ द्वारा एफआईआर दर्ज कराने  की हिम्मत कैसे हुई? सदानंद धूमे लिखते हैं कि योगी आदित्यनाथ जैसा ठग सिद्धार्थ वरदराजन जैसे निष्पक्ष पत्रकार को उनका काम करने के लिए डरा रहे  हैं।

रामचन्द्र गुहा भी अपनी व्यथा एक लेख में पिरोते हुए करते हुए ट्वीट करते हैं, “यह स्वतंत्र प्रेस पर एक घातक हमला है।”

मनमोहन सिंह की नीतिगत पंगुता पर प्रकाश डालने वाले पूर्व मीडिया  सलाहकार संजय बारू  ना केवल सिद्धार्थ वरदराजन बल्कि, यहां तक कहने की हिमाकत की कि ऐसा यूपीए के शासन में कभी नहीं होता था।

https://twitter.com/Barugaru1/status/1249538301712691203?s=19

परन्तु सिद्धार्थ वरदराजन की हरकतों को देखकर कहीं से भी नहीं लगता कि वे वाकई में पत्रकारिता के उत्थान के प्रति प्रतिबद्ध हैं। अभी हाल ही में द वायर ने होशियारपुर में अल्पसंख्यकों पर हुए कथित हमले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, जिसके पीछे होशियारपुर की पुलिस ने खूब खरी खोटी सुनाई थी।

द वायर एक बेहद निकृष्ट पोर्टल जिसका ध्येय है भारत में अपने कुत्सित प्रोपेगैंडा का प्रचार प्रसार करना। पर यदि कोई उनपर उंगली भी उठा दे, तो यह लोग आसमान सिर पर उठा लेते हैं। जिस तरह से वामपंथी सिद्धार्थ वरदराजन के विरुद्ध एफआईआर ऊपर बौखलाए हैं, उसे देख एक डायलॉग याद आता है, “ये डर अच्छा है, होना भी चाहिए। ये दर देखकर मुझे अच्छा लगा।”

 

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