दुनिया में कोरोना ने तबाही मचा रखी है। इस वायरस से संक्रमित मामले 2.5 मिलियन पार कर चुके हैं और लगभग 1.7 लाख मौते हो चुकी हैं। चीन के वुहान से आने वाले इस वायरस के कारण पूरे विश्व में चीन के प्रति गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
पहले तो चीन कोरोना वायरस के मामलों को कवरअप करने के लिए भयकर प्रोपोगेंडा चलाने की कोशिश की जिससे विश्व का ध्यान कहीं और हो जाए लेकिन अब फिर से वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) विवादों के घेरे में आ गया है. वायरस की उत्पत्ति के बारे में वुहान लैब पर गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं.
इससे बचने के लिए चीन ने अब अमेरिका पर आरोप मढ़ना और पुराने महामारियों की कब्र खोदना शुरु कर दिया है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा है-
“2009 में अमेरिका से शुरू हुआ H1N1 फ्लू 214 देशों और में फैल गया, और लगभग 200,000 लोग मारे गए, लेकिन क्या किसी ने भी अमेरिका से मुआवजे के लिए मांग की है?”
इस बयान से यह तो स्पष्ट हो गया है कि चीन अपने ऊपर लगे दोष को कम करने के लिए, H1N1 महामारी की बात उठा रहा है। बता दें कि यह फ्लू मैक्सिको में एक बहुत छोटे क्षेत्र में उत्पन्न हुआ था, लेकिन चीन इस मामले में यह सोचता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका को एक महामारी के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए जो वहां उत्पन्न ही नहीं हुआ था।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि एड्स की खोज पहली बार संयुक्त राज्य अमेरिका में 1980 के दशक में हुई थी, जहां से यह दुनिया में फैल गया और आश्चर्य हुआ कि क्या किसी ने अमेरिका को जवाबदेह ठहराया।
चीन को यह पता है कि दुनिया भर के देशों में उसके प्रति नाराजगी महामारी की उत्पत्ति को लेकर नहीं है बल्कि इस खतरनाक वायरस को दुनिया के बाकी हिस्सों और यहां तक कि अपने नागरिकों से भी छिपाने के कारण है। चीन ने इस बीमारी को छिपाया ही नहीं बल्कि इसके संक्रमण दर तथा इसके स्वभाव के बारे में दुनिया को गुमराह भी किया, इसी कारण वुहान वायरस के खिलाफ वैश्विक प्रतिक्रिया में देरी हुई और फिर तबाही मच गयी।
#FMsays "The H1N1 flu that broke out in the US in 2009 spread to 214 countries and regions, killing nearly 200,000 people, has anyone demanded the US for compensation?" Foreign Ministry spokesman Geng Shuang asked on Monday. (1/3) pic.twitter.com/JDpxxGE1OW
— China Daily (@ChinaDaily) April 20, 2020
महामारी के अलावा, चीनी प्रवक्ता ने आर्थिक मंदी के साथ एक झूठी समानता को दिखाकर अमेरिका को निशाना बनाने की कोशिश की। प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रवक्ता ने नैशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के प्रफेसर किशोर महबूबानी के एक वक्तव्य का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका में लीमैन ब्रदर्स के गिरने से 2008 में वैश्विक आर्थिक संकट पैदा हुआ, लेकिन किसी ने अमेरिका से नहीं कहा कि आपको इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
चीन का इस तरह से मेल्टडाउन G7 द्वारा उसके खिलाफ ठोस कार्रवाई करने में सर्वसम्मति बनने के बाद आया है। अमेरिका काफी समय से चीन के खिलाफ लगाए गए आरोप का नेतृत्व कर रहा है, और अन्य देशों जैसे जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम में भी राजनीतिक माहौल चीन के खिलाफ होने लगा है।
चीन के खिलाफ इन देशों में गुस्सा इसलिए नहीं है क्योंकि महामारी की उत्पत्ति हुई है, बल्कि इसलिए है क्योंकि चीन ने इस महामारी में भी अनुचित लाभ उठाने की कोशिश की है। चीनी अधिकारी दुनिया के देशों को हुवावे की 5G तकनीक को स्वीकार करने के लिए मजबूर करना चाह रहे थे, जिसे अमेरिका और यूरोपीय देशों ने गोपनीयता की चिंताओं को लेकर पहले ही खारिज कर दिया है। चीन ने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह मेडिकल गियर, मास्क और टेस्टिंग किट का निर्यात तभी करेगा जब प्राप्तकर्ता देश चीनी टेलिकॉम कंपनी को स्वीकार करेंगे।
हालांकि चीन ने कई देश जैसे स्पेन, The Neatherland चेक गणराज्य को टेस्टिंग किट और मास्क दिये लेकिन सब नकली निकला।
इन्हीं वजहों से दुनिया भर के देश चीन के खिलाफ हो चुके हैं और चीन यह जान गया है कि उसका हाल सोवियत संघ जैसा हो सकता है, वुहान उसके लिए चेरनोबिल बन सकता है। इसी वजह से चीन ने असली मुद्दों को दरकिनार करने के लिए विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया है.