“मुस्लिम हैं, इसलिए लपेटा”, देशभर में कोरोना फैलाने के बाद आखिर तबलीगी वालों ने निकाला Victim Card

ये डर अच्छा है जी!

तबलीगी

तबलीगी जमात, इस नाम को आज देश का एक-एक नागरिक जानता है। कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को कमजोर करने में सबसे बड़ी भूमिका इसी संगठन की ही तो रही है। चाहे सभी नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर भीड़ जुटाना हो, या फिर स्वास्थ्य कर्मियों के साथ बुरा व्यवहार करना हो, थूककर कोरोना का आतंक फैलाना हो या फिर इन लोगों को एक्सपोज कर रही मीडिया को सरे आम धमकी देना हो, तबलीगी जमात ने हर पैमाने पर अपने आप को एक घटिया, स्तरहीन और कट्टरपंथी सोच से प्रेरित संगठन के तौर पर प्रदर्शित किया है। हालांकि, बेशर्मी की हद तो देखिये कि अब इस संगठन ने यह आरोप लगाया है कि इनके साथ मुस्लिम होने की वजह से ऐसा व्यवहार किया जा रहा है।

तबलीगी जमात संगठन से जुड़े दिल्ली के एक शख्स के अनुसार तबलीगी को सिर्फ एक मुस्लिम संगठन होने की वजह से निशाने पर लिया जा रहा है। मोहम्मद अशरफ नाम के इस शख्स के मुताबिक “हमारे साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, मानो सारे देश में कोरोना हमने ही फैलाया है”। अशरफ ने यह भी आरोप लगाया कि वे लगातार मीडिया के प्रोपेगैंडे का शिकार हो रहे हैं।

तबलीगी के सारे कांड का दोष मीडिया के सिर मढ़ने वाले अशरफ साहब को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत के सभी राज्यों में कोरोना फैलाने का सबसे बड़ा कारण तबलीगी जमात ही बनकर उभरा है। उदाहरण के लिए दिल्ली में कोरोना के कुल 1561 मामलों में से 1080 तबलीगी से जुड़े हैं। इसके अलावा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार तमिलनाडु में 84 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 61% और उत्तर प्रदेश में 59 फीसदी मरीज के तार तबलीगी जमात कार्यक्रम से जुडे हुए हैं।

अब आपको तबलीगी से जुड़े और भी भयावह आंकड़े दिखाते हैं। आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि अगर तब्लीगी जमात से जुड़े संक्रमण के मामले नहीं आए होते तो देश में कुल मामले बढ़ने की रफ्तार आधी होती। इस महीने की शुरुआत में स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बयान दिया था कि “इस समय कोरोना के मरीजों की कुल संख्या को दोगुना होने में 4.1 दिन का समय लग रहा है। यदि तब्लीगी जमात के मरीजों को इसमें से हटा दिया जाए तो यह रफ्तार अब भी आधी है। तब्लीगी जमात से इतर मरीजों की संख्या को दोगुनी होने में अभी 7.4 दिन का वक्त लग रहा है”। इससे आप समझ सकते हैं कि कैसे तबलीगी ने देश के रिकॉर्ड को बिगाड़ कर रख दिया।

और बात सिर्फ आंकड़े खराब करने तक ही सीमित नहीं है। तबलीगी लोगों पर समय-समय पर स्वास्थ्य कर्मियों से बुरा व्यवहार करने की खबरें भी आती रहती हैं।

इस महीने की शुरुआत में ही जब निजामुद्दीन मरकज से निकाले गए करीब 2,300 से ज्यादा लोगों को क्वारंटाइन सेंटर और अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (CPRO) दीपक कुमार ने बड़े ही चौकाने वाले खुलासे किए थे। तब उन्होंने बताया था “ये लोग सुबह से अनियंत्रित थे और खाने पीने की अनुचित मांग कर रहे थे। उन्होंने क्वारैन्टाइन सेंट्रर के कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया। इसके अलावा उन्होंने काम करने वाले सभी लोगों और डॉक्टरों पर थूकना शुरू कर दिया और ये लोग हॉस्टल बिल्डिंग में भी घूम रहे थे”। इसके अलावा ये खबरें भी आई थी कि गाज़ियाबाद के अस्पताल में तबलीगी के लोग नर्सों के साथ अभद्र व्यवहार कर रहे थे और अपनी पैंट निकालकर अश्लील इशारे भी कर रहे थे, जिसके बाद अब योगी सरकार ने उन सभी पर NSA के तहत कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

कुल मिलाकर तबलीगी को आज देश में जो तिरस्कार मिल रहा है, उसके पीछे धर्म नहीं, बल्कि इनकी करतूत सबसे बड़ा कारण है। आज तबलीगियों के साथ वही व्यवहार किया जा रहा है जिसके वे हकदार हैं। ऐसे में इन लोगों को अब विक्टिम कार्ड खेलना छोड़कर तथ्यों पर बात करनी चाहिए।

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