कोरोना की रोकथाम के लिए दुनियाभर के देशों द्वारा उठाए गए लॉकडाउन जैसे कदमों ने इन देशों की अर्थव्यवस्था पर एक बहुत बड़ा नकारात्मक असर डाला है। सभी उद्योग धंधे ठप पड़े हैं और कुछ सेक्टर तो तबाह होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। शायद यही कारण है कि IMF के अनुमान के मुताबिक विश्व इस साल आर्थिक मोर्चे पर कोई तरक्की नहीं करेगा बल्कि, इसकी बजाय दुनिया की GDP को 3 प्रतिशत तक का नुकसान होगा। भारत भी कोरोना के इस आर्थिक प्रभाव से अछूता नहीं रहेगा और 2020 में भारत की GDP विकास दर सिर्फ 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। भारत में अभी मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर को बेशक सबसे बड़ा झटका लगा हो, लेकिन एक सेक्टर ऐसा है जो भारत को कोरोना संकट से उबारकर ले जाएगा और वह सेक्टर है “कृषि सेक्टर ”।
And here the table with the IMF forecast for main countries and regions pic.twitter.com/gwPdCdp7YF
— Javier Blas (@JavierBlas) April 14, 2020
वर्ष 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत की कुल GDP में कृषि सेक्टर का लगभग 15 प्रतिशत का योगदान है और यह उद्योग सबसे ज़्यादा मानसून की वर्षा पर निर्भर करता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश के लगभग आधे परिवार कृषि उद्योग पर निर्भर हैं। अब भारत के किसानों के लिए खुशखबरी के रूप में भारतीय मौसम विभाग ने यह अनुमान जताया है कि इस साल मानसून नॉर्मल रहेगा यानि वर्षा में कोई कमी नहीं होगी, जिससे देश के एग्रिकल्चर सेक्टर को बूस्ट मिलने के अनुमान है। और अगर ऐसा होता है तो देश की कमजोर हो रही अर्थव्यवस्था को इस साल यह सेक्टर बड़ा सहारा दे सकता है।
अब आपको बताते हैं कि कैसे मानसून और भारत के कृषि उद्योग का आपस में सीधा संबद्ध है और कैसे इस वर्ष मानसून का नॉर्मल रहना भारत के किसानों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है। दरअसल, अभी भारत विश्व में सबसे ज़्यादा ज़मीन पर खेती करता है। भारत में 215 मिलियन एकड़ भूमि पर खेती की जाती है और ऐसे में सिंचाई के लिए भी बहुत बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है जो पूरी करता है मानसून। मानसून के चार महीनों में भारत में कुल होने वर्षा का तीन चौथाई से भी अधिक हिस्सा बरसता है, ऐसे में जिस वर्ष मानसून कमजोर होता है तो भारत के इस सेक्टर की कमर टूट जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा और यही सबसे अच्छी बात है।
कोरोना का बुरा असर भारत के ट्रेड पर भी पड़ा है। मार्च महिने के आए आंकड़ों के अनुसार भारत का merchandise एक्सपोर्ट पिछले वर्ष के मुक़ाबले 1 तिहाई से भी ज्यादा सिकुड़ गया है। मार्च महीने में भारत ने 21.41 बिलियन अमेरिकी डॉलर का एक्सपोर्ट किया जो पिछले वर्ष की तुलना में 34.6 प्रतिशत कम रहा, ऐसे ही भारत ने मार्च में 31.16 बिलियन अमेरिकी डॉलर का इम्पोर्ट किया जो पिछले वर्ष की तुलना में 28.7 प्रतिशत कम रहा, यानि कुल मिलाकर ट्रेड कम हुआ है। इसका कारण है दुनियाभर की सप्लाई चेन का अव्यवस्थित होना। अब इस क्षेत्र में भी भारत को कृषि उद्योग ही बचा सकता है। अभी दुनिया के देश सिर्फ essential items ही इम्पोर्ट करने में लगे हैं, फिर चाहे वह मेडिकल सप्लाई हो या फिर खाद्य सामाग्री। भारत के कुल एक्स्पोर्ट्स का लगभग 13 प्रतिशत हिस्सा कृषि उद्योग के उत्पादों से जुड़ा है। ऐसे में उम्मीद है कि इस वर्ष यह प्रतिशत बड़ा उछाल मार सकता है क्योंकि भारत अपने कृषि उत्पादों को जमकर एक्सपोर्ट कर सकता है।
अब स्पष्ट हो गया है कि चाहे वह व्यापार की बात हो या फिर अर्थव्यवस्था की, हर क्षेत्र में इस वर्ष कृषि उद्योग ही आर्थिक तौर पर भारत की डूबती नैया को बचा सकता है। आज भारत के सभी लोगों और अन्य देशों को घर बैठे खाने को मिल रहा है, तो वह दूर किसी खेत में पसीना बहाते किसान की मेहनत का ही फल है। कृषि उद्योग ही भारत का पेट पालता आया है और आज कोरोना के संकट में भी कृषि उद्योग ही देश को संभाले खड़ा है।